Chandrayaan-3 Landing: इतिहास रचने से बस एक कदम दूर, चांद पर लैंड करने वाला चौथा देश बनेगा भारत

22 Aug, 2023
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Chandrayaan-3 Landing: चांद पर लैंडर मॉड्यूल की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान को बाहर निकाला जाएगा. जो चांद की सतह पर अगले 14 दिनों तक अलग-अलग रिसर्च करेगा.

Chandrayaan-3 Landing: भारत चांद पर इतिहास रचने के बेहद करीब है. चंद्रयान-3 अगले कुछ ही घंटों में अब चांद पर लैंड करने के लिए तैयार है. 23 अगस्त को शाम करीब 6 बजकर चार मिनट पर ISRO लैंडर मॉड्यूल की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश करेगा, अगर लैंडिंग ठीक होती है तो रोवर अगले कई दिनों तक चांद पर रहकर कई रहस्यों से पर्दा उठा सकता है, जो भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. लैंडिंग से पहले जानते हैं कि अब तक भारत के इस मिशन मून को लेकर क्या-क्या हुआ. 

कब, कैसे और कहां से हुई शुरुआत 

भारत के दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 की साल 2019 में सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई थी, जिसके बाद राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) ने तीसरे मिशन की तैयारी शुरू की. पिछली बार चंद्रयान-2 में जो कमियां थीं, उन्हें बारीकी से देखा गया और चंद्रयान-3 में इस तरह के बदलाव किए गए कि सॉफ्ट लैंडिंग आसानी से हो जाए. पहले ही बता दिया गया कि 2023 में अगला मून मिशन लॉन्च हो सकता है. इस मिशन का कुल बजट करीब 615 करोड़ का है. 

6 जुलाई 2023 को ISRO की तरफ से जानकारी दी गई कि 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा. 

11 जुलाई तक इसरो साइंटिस्ट्स ने पूरी तैयारी कर ली और अब रिहर्सल की बारी थी. इसी दिन इसरो ने चंद्रयान-3 का ‘लॉन्च रिहर्सल’ पूरा कर लिया. 

आखिरी 15 मिनट का टेरर

गौरतलब है कि चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं. इसरो के मुताबिक, चांद के करीब पहुंचना इस मिशन के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, इस वक्त मिशन का लैंडर मॉड्यूल चांद से न्यूनतम 25 किलोमीटर ही दूर है. चंद्रमा के लगातार चक्कर लगा रहा है. लेकिन आखिरी के 15 मिनट का टेरर से निपटने के लिए इसरो इस बार पूरी तरह तैयार है क्योंकि यही वो आखिरी 15 मिनट होंगे जब लैंडर और रोवर को इसरो के कंट्रोल रूम से कोई कमांड नहीं दी जा सकेगी.

लैंडर विक्रम को अपनी सुरक्षित और सफल सॉफ्ट लैंडिंग के लिए खुद ही कुछ काम करने होंगे यानी लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट के वक्त सारी जिम्मेदारी लैंडर विक्रम के कंधों पर होगी. इस समय सही ऊंचाई, सही मात्रा में फ्यूल का इस्तेमाल लैंडिंग के लिए करना होगा.

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