पितृ विसर्जनी अमावस्या: हरिद्वार में श्रद्धालुओं ने किया हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान और अपने पितृ का किया तर्पण

06 Oct, 2021
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हरिद्वार: बुधवार को होने वाले स्नान को लेकर हरकी पैड़ी समेत सभी गंगा घाटों पर श्रद्धालु सुबह से ही स्नान कर रहे हैं। वहीं देर शाम तक यह स्नान चलेगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पितृ विसर्जनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृ लोक से आए हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं। इस दिन ब्राह्मण भोजन तथा दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं। इस अमावस्या पर पितृ पूजा, स्नान आदि करने का विधान है। आज के दिन हमें जिन पूर्वजों की मृत्यु की तारीख याद नहीं होती या फिर उनका श्राद्ध करना भूल जाते हैं तो इस दिन भूले बिसरे सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है

गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं को सैलाब उमड़ पड़ा है। हरकी पैड़ी सहित पूरे हरिद्वार में भक्तों की भारी भीड़ दिखाई दी। वहीं नारायणी शिला मंदिर के कपाट 11 बजे तक बंद रहे। इसके बाद श्रद्धालु थान पर पूजा कर सके। यहां पर तर्पण कार्यक्रम नहीं होगा। बुधवार को मंदिर के पास मेला भी लगा। तुलसी चौक से नारायणी शिला होते हुए देवपुरा जाने वाले रास्ते पर किसी भी तरह के वाहनों की आवाजाही बंद रही। बॉलीवुड अभिनेत्री उर्वशी रौतेला भी अपने परिवारजनों के साथ श्राद्ध करने के लिए हरिद्वार पहुंचीं।

मंगलवार की देर रात तक धर्मनगरी पहुंच गए श्रद्धालु कोराना संक्रमण के चलते वर्ष 2020 में सर्व पितृ अमावस्या पर कुछ बंदिशों के साथ श्रद्धालुओं ने धर्मनगरी में आकर गंगा स्नान कर पूर्वजों का तर्पण किया था। इस बार कोरोना संक्रमण एकदम बहुत कम हो चुका है। ऐसे में बुधवार को होने वाली सर्व पितृ अमावस्या के अवसर पर धर्मनगरी में श्रद्धालुओं का सैलाब नजर आ रहा है। गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश से श्रद्धालु मंगलवार की देर रात तक धर्मनगरी पहुंच गए। 

बुधवार को होने वाले स्नान को लेकर हरकी पैड़ी समेत सभी गंगा घाटों पर श्रद्धालु सुबह से ही स्नान कर रहे हैं। वहीं देर शाम तक यह स्नान चलेगा। कुशाघाट समेत पर श्रद्धालु पूजन करने के बाद तर्पण कर रहे हैं। नारायणी शिला मंदिर के मुख्य पुजारी मनोज कुमार त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर परिसर में तर्पण कार्यक्रम नहीं होगा। जिन लोगों के थान बने हुए वह पूजा कर सकेंगे। 

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