नई दिल्ली: बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को चंडीगढ़ में अंतिम श्रद्धांजलि दी। कल प्रकाश सिंह बादल का अंतिस संस्कार किया जाएगा। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के निधन के चलते पंजाब सरकार ने 27 अप्रैल को सामूहिक अवकाश की घोषणा की है। इसके तहत सभी सरकारी भवनों में झंडे आधे झुके रहेंगे। पीएम के साथ मनोहर लाल खट्टर भी प्रकाश सिंह बादल को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। बादल का पार्थिव शरीर शिरोमणि अकाली दल के मुख्य दफ्तर सेक्टर 28 चंडीगढ़ में रखा गया है। बादल के पार्थिव शरीर को अकाली दल के झंडे में लपेटा गया है। बता दें, कल पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का मोहाली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। पांच बार के मुख्यमंत्री बादल को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद कुछ दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बादल के परिवार में उनके बेटे और अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और बेटी परनीत कौर हैं। अकाली दल के संरक्षक बादल 2022 पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले सबसे उम्रदराज उम्मीदवार थे। हालांकि, AAP के पहले बार उम्मीदवार बने गुरमीत सिंह खुडियन से उनको हार का सामना करना पड़ा। प्रकाश सिंह बादल पहली बार 1970 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे।
1970 में सबसे कम उम्र और 2012 में सबसे उम्रदाज सीएम बने थे प्रकाश सिंह बादल

बता दें, बादल का राजनीतिक सफर 75 साल का रहा। 1952 में बादल गांव से चुने गए सबसे कम उम्र के सरपंच थे। वह 1970 में पंजाब के सबसे कम उम्र के सीएम और फिर 2012 में सबसे उम्रदराज भी सीएम बने। उन्होंने 1970-71, 1977-80, 1997-2002, 2007-12 और 2012-17 तक पांच बार सीएम बनने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया। वह लोकसभा सांसद भी रहे थे और थोड़े समय के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया।
भारतीय किसानों के विरोध का समर्थन करने के लिए बादल ने पद्म विभूषण सम्मान को किया था वापस

अपने 75 साल के राजनीतिक सफर में बादल सिर्फ दो बार विधानसभा चुनाव हारे। पहले, 1967 में गिद्दड़बाहा से हरचरण सिंह बराड़ से सिर्फ 57 वोटों से और उसके बाद 2022 में लांबी से गुरमेत सिंह खुडियान से उनको हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर 1957 में मलोट से पंजाब राज्य के पुनर्गठन से पहले पहला विधानसभा चुनाव जीता। उन्होंने 1969, 1972, 1977, 1980 और 1985 में गिद्दड़बाहा से लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीता। बादल ने अपने राजनीतिक जीवन में दो बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़े- एक बार 1962 में और दूसरी बार 1992 में, क्योंकि अकाली दल ने इनका बहिष्कार किया था। 30 मार्च, 2015 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। हालांकि, उन्होंने 3 दिसंबर 2020 को भारतीय किसानों के विरोध का समर्थन करने के लिए इस सम्मान को वापस कर दिया था।
CHANDIGARH, deshhit news, Former Chief Minister of Punjab Parkash Singh Badal, Kon the Prakash Singh Badal, Panjab ka sabse jada umar ke chief minister kon the, panjab ke sabse kam umar ke chief minister kon the, PM Modi, Prakash singh badal ka Raajnitik saffar