अब जब इमरान की सरकार गिर गई है तो विपक्ष की पार्टियों ने मिलकर सर्वसम्मति से शाहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चुना है आने वाले एक या दो दिन में शाहबाज प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ले सकते हैं.
नई दिल्ली: पकिस्तान में कुछ दिनों से राजनीतिक उठापटक के बीच राजनीतिक संकट गहराया हुआ था. इसका मुख्य कारण बताया गया कि इमरान सरकार के कुछ मंत्रियों ने बगावत शुरू कर दी है साथ ही इमरान खान के साथ जिन पार्टियों ने गठबंधन कर सरकार बनाई थी वह अब उन्हें छोड़कर विपक्षी पार्टी की ओर चली गई है. तब से ही विपक्षी पार्टियों ने इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और वह नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव ले आई, और इमरान को लगा की अब उनकी सरकार नहीं रहने वाली है. लेकिन इमरान खान भी इतनी जल्दी हार मानने वालो में से नहीं थे, जब सभी राजनीतिक विश्लेषक कहने लगे की इमरान की सरकार गई, तब इमरान ने संसद में खेल खेलने की कोशिश की. नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव को देखें बिना ही इसे विदेशी साजिश बताकर वापिस कर दिया था. इमरान ने राहत की सांस ली और मीडिया ने कहना शुरू कर दिया की इमरान ने विपक्ष को नाकों चने चबा दिए हैं.
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लेकिन विपक्ष तभी सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया और कोर्ट ने यह कहकर डिप्टी स्पीकर के फैसले को नकार दिया की यह आर्टिकल 95 का उल्लंघन है. अगर विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है तो उसका सम्मान होना चाहिए और अगले 24 घंटे में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी चाहिए.
शनिवार को दिन में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस चली और रात में वोटिंग हुई, प्रस्ताव के पक्ष में 342 में से 174 मत पड़े और इसके बाद इमरान की सरकार अल्पमत में आ गई, जिसके कारण उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. तभी विपक्ष ने अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार शाहबाज शरीफ को चुना. अब से एक-दो दिन बाद वह पाकिस्तान के पीएम पद की शपथ ले सकते हैं.
शाहबाज शरीफ का शुरूआती जीवन
मियां शहबाज शरीफ का जन्म 23 सितंबर 1951 को कश्मीरी कबीले के लाहौर जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम मुहम्मद शरीफ था. वह एक उच्च-मध्यम वर्ग के व्यापारी और उद्योगपति थे, शरीफ का परिवार व्यापार करने के लिए कश्मीर के अनंतनाग से पंजाब आया था, जिन्ना के नेतृत्व में आंदोलन और 1947 में पाकिस्तान बनने के बाद, उनके माता-पिता अमृतसर से लाहौर चले गए थे और तब से ही उनका परिवार लाहौर में ही रहता है. उनकी मां कश्मीर के पुलवामा शहर से थी.
शाहबाज शरीफ की शिक्षा
शाहबाज ने गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी लाहौर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है और वह बाद में अपने पारिवारिक व्यवसाय में आ गए और जहाँ उन्हें सफल और चतुर व्यवसायी के रूप में जान गया. वह एक पूर्व उद्योगपति मियां मुहम्मद शरीफ के बेटे हैं. उनके परिवारिक उद्योग का नाम “इत्तेफाक समूह” है. कंपनी की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद शरीफ को 1985 में लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष के रूप में चुना गया.
राजनीतिक सफ़र
शाहबाज शरीफ़ 1988 में पंजाब (पाकिस्तान) प्रांतीय विधानसभा और उसके बाद 1993 में, वह फिर से पंजाब विधानसभा के सदस्य के रूप चुने लिए गए और उन्हें विपक्ष का प्रतिपक्ष के नेता के रूप में नामित किया गया था. उन्हें पहली बार वर्ष 1997 में पाकिस्तान के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था, शाहबाज ने 20 फरवरी 1997 को पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. वह 1997 से 99 तक इस पद पर बने रहे. जब शाहबाज पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होंने अपने दौर के खर्च अपनी जेब से ही भुगतान किए थे. और इस दौरान पूरे पंजाब में कोई नई कार नहीं खरीदी गई. पुलिस में पहली बार पढ़े लिखे युवा लड़कों की भर्ती मेरिट के आधार पर करवाई गई۔ फरवरी 2008 के चुनाव के बाद उपचुनाव में जीतकर दोबारा पंजाब के मुख्यमंत्री चुने गए. मई 2013 के चुनाव की जीत के बाद वह पंजाब के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने और 2018 तक वह इस पद पर बने रहे, लेकिन जब उनके बड़े भाई नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद से अयोग्य करार दिया गया तो वह 2018 में राष्ट्रीय राजनीति में आ गए. और उन्हें पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था. 2018 के चुनाव के बाद उन्हें विपक्ष के नेता के रूप में नामित किया गया था.
अब जब इमरान की सरकार गिर गई है तो विपक्ष की पार्टियों ने मिलकर सर्वसम्मति से शाहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चुना है आने वाले एक या दो दिन में शाहबाज प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ले सकते हैं.