होली के दो दिन बाद मनाए जाने वाले भाई दूज को ‘होली भाई दूज’ के नाम से जाना जाता है जिसमें भाई बहन अपना रिशता मजबूत बनाने के लिए भाई दूज मनाने की तैयारियां करतें हैं. इस दिन बहनें भाई को सारी संकटों से बचाने और उनकी लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और उनका तिलक करने के बाद व्रत खोलती है और अपने भाइयों की सलामती की प्रार्थना करती हैं।
नई दिल्ली: आपको बता दें, भाई दूज का त्योहार साल में दो बार आता है, एक होली के बाद और दूसरा दीपावली के बाद. यह त्योहार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि (पूर्णिमंत कैलेंडर के अनुसार) को मनाया जाता है। हालाँकि, वही त्योहार फाल्गुन के महीने में मनाया जाता है (अमावस्यंत कैलेंडर के अनुसार)।
शनिवार से हस्त नक्षत्र में इसकी शुरुआत होने के साथ रविवार को भी बहनें तिलक करके भाई की सुख समृद्ध की कामना करेंगी। ये दिन भाई और बहन के बीच प्यार बढ़ाने वाला और उनके रिश्ते को मजबूती देने वाला त्योहार है. होली के एक दिन बाद होली भाई दूज मनाई जाती है और इस वर्ष होली 18 मार्च 2022 को थी. हालाँकि, भाई दूज, द्वितीया तिथि 19 मार्च को दोपहर 2:07 बजे से शुरू होकर 20 मार्च 2022 को दोपहर 12:36 बजे समाप्त होगी.
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हर हिंदू त्योहार की तरह, भाई दूज के उत्सव के पीछे मंत्रमुग्ध कर देने वाली एक कहानी है जिसमें देवी यमुना और उनके भाई भगवान यम, भगवान विवस्वत के बच्चे, का एक पहलू शामिल हैं. ऐसा माना जाता है कि यमुना अक्सर यम को अपने घर आने के लिए आमंत्रित करती थी लेकिन यम हमेशा काम में व्यस्त रहते थे और इसलिए वह अपनी बहन से मिल नही पाते थे. हालांकि, एक दिन भगवान यम अपनी बहन यमुना के घर जाकर उन्हें आश्चर्यचकित कर देते हैं। जिससे यमुना प्रसन्न होकर अपने भाई यम के माथे पर टीका लगाकर उनका स्वागत करती हैं और उनके लिए विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाती हैं। उनके स्नेह से प्रभावित होकर, भगवान यम ने यमुना से एक इच्छा मांगने को कहा. जिसके बाद यमुना ने अपने भाई को हर साल उससे मिलने के लिए कहा और ‘भाई दूज’ पर सारे भाइयों को लंबी उम्र का आशीर्वाद देने के लिए कहा।
उसी दिन से यह एक हिंदू परंपरा बन गया और यह दिन महत्वपूर्ण और लोकप्रिय हो गया। इसी प्रतिबद्धता की स्मृति में ‘होली भाई दूज’ मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार जिस प्रकार दीपावली के दो दिन बाद भाईदूज का पर्व मनाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करते है, ठीक उसी प्रकार होली के अगले दिन भाई को तिलक लगाकर उसके जीवन में आने वाले सभी संकटों को दूर करने की कामना की जाती है। पौराणिक काल से ही भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन यमराज की पूजा अर्चना का भी विधान है।