नई दिल्ली: संजय लीला भंसाली की नई वेबसीरीज हीरामंडी का पोस्टर 18 फरवरी को जारी किया जा चुका है। ये एक पीरियड ड्रामा वेब सीरीज है, जो पाकिस्तान की हीरामंडी पर आधारित है। इसमें मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, रिचा चड्ढा, संजीदा शेख और शर्मिन सेगल जैसे कलाकार नजर आएंगे। बता दें, इस सीरीज में पाकिस्तान की उस रेड लाइट एरिया की कहानी है। जो कभी तहजीब, मेहमान-नवाजी और संस्कृति के लिए जाना जाता था। यहां मुगल दौर में तवायफें, संगीत और नृत्य के जरिए अपनी संस्कृति को पेश करती थीं। इतना ही नहीं, साहित्य और उर्दू भाषा को आगे बढ़ाने में ये अहम भूमिका निभाती थीं लेकिन फिर कैसे हीरा मंडी धीरे-धीरे अपनी चमक खोने लगा और वेश्यावृति का केंद्र बन कर रह गया? आइए जानते हैं इस लेख में…..
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“हीरामंडी” पंजाब प्रांत के सिख राजा रणजीत सिंह के मंत्री हीरा सिंह के नाम पर पड़ा था

हीरा मंडी को अगर शाब्दिक अर्थों में देखें तो इसका मतलब हीरों का बाजार या डायमंड मार्केट से है लेकिन लाहौर का हीरामंडी का ना तो हीरों के किसी बाजार या बिक्री से लेना देना है बल्कि इसे शाही मोहल्ला के नाम से भी जाना जाता है। ये लाहौर का काफी प्रसिद्ध और ऐतिहासिक इलाका है और इसका नाम पंजाब प्रांत के सिख राजा रणजीत सिंह के मंत्री हीरा सिंह के नाम पर पड़ा। जिसने यहां पर अनाज मंडी का निर्माण कराया था। हीरा सिंह ने यहां मंडी तो बनाई ही थी। साथ ही ऐतिहासिक तौर पर प्रसिद्ध इस तवायफ इलाके में फिर से तवायफों को भी बसाने का काम किया था।
तहजीब और नफासत से जोड़कर देखा जाता था हीरामंडी का नाम

दरअसल, हीरामंडी 15वीं से 16वीं शताब्दी के बीच लाहौर के मुगल काल के रईस वर्ग के लिए तवायफ संस्कृति का केंद्र था। कहा जाता है कि पहले राजकुमारों और शासकों को अपनी विरासत और संस्कृति की जानकारी के लिए हीरा मंडी भेजा जाता था और इसी वजह से इसका नाम शाही मोहल्ला पड़ा लेकिन बाद में यानी मुगल काल के दौरान ये धीरे-धीरे मुगलों की बिलासिता का अड्डा बन गया। यहां अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान से महिलाओं को लाकर रखा जाता था और फिर उनसे नाच-गान के जरिए मनोरंजन का काम लेते थे। हालांकि, तब तवायफों का रिश्ता सिर्फ संगीत, नृत्य, कला, तहजीब और नफासत से जोड़कर देखा जाता था।
अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण के दौरान पहली बार वेश्यावृत्ति से जुड़ा हीरामंडी का नाम

लेकिन जब मुगल दौर ढलने लगा तो लाहौर कई बार विदेशी आक्रमणकारियों के निशाने पर आ गया और फिर अफगान आक्रमणकारियों ने यहां के तवायफखानों को उजाड़ दिया और जबरन यहां से महिलाओं को उठाकर ले गए। जिसके बाद इस इलाके में वेश्यावृत्ति पनपने लगी। वहीं, अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण के दौरान हीरामंडी का नाम पहली बार वेश्यावृत्ति से जुड़ा और सैनिकों ने उन महिलाओं के साथ वेश्यालय स्थापित किए। जिन्हें उन्होंने आक्रमण के दौरान गुलाम बना दिया था।
अंग्रेजों ने तवायफों को दिया प्रॉस्टिट्यूट का नाम

वहीं, ब्रिटिश शासनकाल के दौरान हीरा मंडी धीरे-धीरे अपनी चमक खोने लगा। अंग्रेजों ने तवायफों को प्रॉस्टिट्यूट (वेश्या) का नाम दे दिया।नतीजा ये हुआ कि मोहल्ला बदनाम होते चला गया। उन्होंने जबरदस्ती तवायफों को सेक्स वर्कर बनने पर मजबूर कर दिया और ब्रिटिश शासन काल में ये इलाका पूरी तरह से वेश्यावृत्ति का केंद्र बन गया।
रेड लाइट में तब्दील हो चुका है हीरामंडी

वर्तमान में लाहौर की हीरामंडी रेड लाइट में तब्दील हो चुकी है। हालांकि, यह दिन के समय में पाकिस्तान के तमाम शहरों की तरह दिखता है।यहां बाजार लगता है, लजीज खाने मिलते हैं लेकिन शाम होते ही यहां महफिल सजने लगती है। दुकानों के ऊपर की मंजिलों पर बने चकलाघर आबाद होने लगते हैं और फिर यहां कस्टमर पहुंचते हैं।जो सेक्स वर्कर्स को ढूंढते नजर आते हैं। इतना ही नहीं सौदे के लिए यहां दलाल भी नजर आते हैं।
पहली बार कलंक मुवी में सुना गया था हीरामंडी का नाम

बता दें कि पहली बार बॉलीवुड फिल्म कलंक में हीरामंडी का जिक्र हुआ था लेकिन गंगूबाई काठियवाड़ी जैसी फिल्म देने वाले बॉलीवुड डायरेक्टर संजय लीला भंसाली अपनी अपकमिंग वेबसीरीज ‘हीरामंडी’ के जरिए पाकिस्तान के उस रेडलाइट की पूरी कहानी पेश कर रहे हैं जो कभी कल्चर के लिए जाना जाता था।
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