योगी कैबिनेट ने मंगलवार को जैव ऊर्जा नीति को मंजूरी दे है। बायो फ्यूल प्लांट के लिए योगी सरकार केवल एक रुपए की लीज पर जमीन उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा प्लांट लगाने के लिए सब्सिडी भी दी जाएगी।
नई दिल्ली: योगी कैबिनेट ने मंगलवार को जैव ऊर्जा नीति को मंजूरी दे है। बायो फ्यूल प्लांट के लिए योगी सरकार केवल एक रुपए की लीज पर जमीन उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा प्लांट लगाने के लिए सब्सिडी भी दी जाएगी। योगी कैबिनेट के फैसले के बारे में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने मीडिया को जानकारी दी। एके शर्मा ने बताया कि जैव ऊर्जा नीति मंजूर कर ली गई है। सरकार सभी जिलों में बायो फ्यूल प्लांट लगाने के लिये आवेदन मांगेगी। तीस साल के लिये एक रुपये की लीज पर बायो फ्यूल प्लांट लगाने के लिए जमीन दी जाएगी। स्टाम्प शुल्क में 100 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।

एके शर्मा ने बताया कि ऊर्जा विभाग के जैव ऊर्जा के संबंध में विभागीय प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। इससे पराली जलाने की समस्या का समाधान होगा। वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी। जैव अपशिष्ट का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से हो सकेगा। इसके तहत 5 वर्ष में होने वाली जैव ऊर्जा परियोजना के अंतर्गत बायो गैस बायोकॉन बायोडाटा भारत सरकार की उत्पादन योजना पर इंसेंटिव दिया जाएगा।
नई नीति से अपशिष्ट आपूर्ति शृंखला का विकास करते हुए राज्य की प्रत्येक तहसील में एक बायोप्लांट स्थापित किया जाएगा। नई नीति से ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा और लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार से जोड़ा जा सकेगा। इस नीति को क्रियान्यवन करने के लिए कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट, बायोकोल प्लांट, बायो एथनॉल एवं बायो डीजल प्लांट और बायोमास के संग्रहण के लिए रेकर, बेलर, ट्रालर पर अतिरिक्त अनुदान पर प्रदेश सरकार 1040 करोड़ रुपये खर्च करेगी। सरकार का दावा है कि प्रदेश में इससे 5500 करोड़ रुपये का निवेश भी होगा।

नई नीति के क्रियान्वयन से खेतों में ही पराली जलाने की समस्या का स्थाई समाधान हो सकेगा। जैविक अपशिष्ट का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से किया जा सकेगा। पर्यावरण अनुकूल जैव ऊर्जा के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। बायोमैन्यूर की उपलब्धता तथा प्रयोग से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। आयातित कच्चे तेल तथा पेट्रोलियम गैस पर निर्भरता कम होगी, साथ ही विदेशी मुद्रा की बचत होगी। नई नीति में पूर्व की नीतियों में रह गईं कमियों को दूर किया गया है। प्रदेश में कृषि अपशिष्ट, कृषि उपज मंडियो का अपशिष्ट, पशुधन अपशिष्ट, चीनी मिलों का अपशिष्ट, नगरीय अपशिष्ट सहित अन्य जैविक अपशिष्ट प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
पांच वर्ष की अवधि के लिए है यह नई नीति

नई नीति की अवधि पांच वर्ष होगी। इस अवधि में प्रदेश में स्थापित होने वाली जैव ऊर्जा परियोजनाओं, (कम्प्रेस्ड बायोगैस, बायोकोल, बायोइथानॉल तथा बायोडीजल) को भारत सरकार की नीति / योजना के अतिरिक्त उत्पादन पर इन्सेंटिव दिया जाएगा। उद्यमों / संयंत्रों की स्थापना तथा फीडस्टॉक के संग्रहण और भंडारण के लिए 30 वर्षों की लीज अवधि के लिए भूमि एक रुपये प्रति एकड़ वार्षिक के टोकन लीज़ रेंट पर दी जाएगी।
20 करोड़ तक सब्सिडी का प्राविधान

कम्प्रेस्ड बायोगैस उत्पादन पर 75 लाख रुपये प्रति टन की दर से अधिकतम 20 करोड़ तक, बायोकोल उत्पादन पर 75000 रुपये प्रति टन की दर से अधिकतम 20 करोड़ तक, बायोडीजल के उत्पादन पर तीन लाख रुपये प्रति किलोलीटर की दर से अधिकतम 20 करोड़ उपादान (सब्सिडी) दिया जाएगा।
जैव ऊर्जा उद्यमों के लिए ग्राम समाज, राजस्व व चीनी मिलों की जमीनें दी जाएंगी

सब्सिडी के अलावा स्टाम्प शुल्क की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति, विद्युत कर शुल्क में 10 वर्षों तक शत-प्रतिशत छूट, बायोमास आपूर्ति के लिए एफपीओ/एग्रीगेटर के माध्यम से दीर्घकालीन बायोमास आपूर्ति अनुबंध और क्षेत्र संबद्धिकरण की व्यवस्था की जाएगी। इसी के साथ अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग (यूपीनेडा) के माध्यम से उपलब्धता के आधार पर ग्राम समाज, राजस्व भूमियों और चीनी मिल परिसरों में उपलब्ध खाली जमीन का जैव ऊर्जा उद्यम तथा बायोमास भंडारण के लिए आवंटित किया जाएगा। वहीं जैव ऊर्जा उद्यमों के सह-उत्पाद बायोमैन्यूर के बिक्री की व्यवस्था तथा जैव ऊर्जा इकाई के कैचमेंट एरिया / तहसील में बायोमास के संग्रहण, परिवहन और भंडारण में प्रयुक्त कृषि मशीनरी पर पूंजीगत सब्सिडी की सुविधा दी जाएगी।
नीति के तहत सीबीजी, बायोकोल व बायो एथेनॉल/ बायो डीजल उत्पादन संयंत्रों की स्थापना पर राज्य सरकार पर संभावित वित्तीय भार का विवरण निम्नवत है

1-कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांटस:-नीति की अवधि में लक्षित क्षमता 1000 टन सीबीजी प्रतिदिन। इसके लिए सरकार 750 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
2-बायोकोल प्लांटस:- नीति की अवधि में लक्षित क्षमता 4000 टन बायोकोल प्रतिदिन। इसके लिए सरकार 30 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
3- बायो एथनॉल एवं बायो डीजल प्लांट:-नीति की अवधि में लक्षित क्षमता 2000 किलोलीटर प्रतिदिन। इसके लिए सरकार 60 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
4- बायोमास के संग्रहण के लिए रेकर, बेलर, ट्रालर पर अतिरिक्त अनुदान :- फार्म मशीनरी एक्यूपमेंट यूनिट की संख्या 500 की जाएगी। इस मद में सरकार 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
5- 50 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं के लिए एप्रोच रोड का निर्माण:- इस मद में सरकार 200 किमी.निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
6-जैव ऊर्जा नीति के प्रचार-प्रसार के लिए प्रति जनपद 1.00 लाख रुपये की दर से बजटीय व्यवस्था की जाएगी
नई नीति से स्थापित होने वाले संयंत्रों से ये लाभ होंगे

-किसानों की आय में वृद्धि
-वायु प्रदूषण में कमी आएगी
-रोजगार सृजन होगा
-इस क्षेत्र में प्रदेश में 5500 करोड़ रुपये का निवेश आएगा
यह थी अभी तक की व्यवस्था

जैव ऊर्जा उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए जैव ऊर्जा उद्यम प्रोत्साहन कार्यक्रम-2018 लागू था। जिसमें स्थापित होने वाले जैव ऊर्जा उद्यमों को भूमि खरीद पर स्टॉम्प ड्यूटी की शत प्रतिशत छूट, उत्पादन प्रारम्भ की तिथि से दस वर्षो तक एसजीएसटी की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति तथा इकाई लागत के अनुसार 10 करोड़ रुपये तक की इकाई लागत पर 25 प्रतिशत, 10 करोड़ से 100 करोड़ रुपये तक की इकाई लागत पर 20 प्रतिशत तथा 100 करोड़ रुपये से अधिक इकाई लागत पर 15 प्रतिशत (अधिकतम प्रति इकाई 150 करोड़ रुपये) पूंजीगत सब्सिडी दिया जा रहा था।
Edited By Deshhit News