नई दिल्ली: भारत में हर साल कम से कम 1000 बार भूकंप आते हैं। हमारे देश की जमीन का करीब 59 फीसदी हिस्सा भूकंप के उच्च खतरे वाले जोन में है। सबसे ज्यादा खतरा हिमालयी इलाकों को है। इस इलाके में कुछ ऐसे तगड़े भूकंप आ चुके हैं, जो रिक्टर पैमाने पर बेहद उच्च तीव्रता के थे। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने देश को पांच अलग-अलग भूकंप जोन में बांटा है। देश में पांचवें जोन को सबसे ज्यादा खतरनाक और सक्रिय माना जाता है। इस जोन में आने वाले राज्यों और इलाकों में तबाही की आशंका सबसे ज्यादा रहती है। पांचवें जोन में देश की पूरी जमीन का 11% हिस्सा है। चौथे जोन में 18% और तीसरे-दूसरे जोन में 30%.सबसे अधिक खतरा जोन 4 और 5 वाले राज्यों को है। आइए जानते हैं किस जोन में राज्य या उसका कौन सा इलाका आता है?
First Earthquake Zone
इस जोन में आने वाले इलाकों को कोई खतरा नहीं हैं। इसलिए उनके बारे में बताने का मतलब नहीं है।
Second Earthquake Zone
भूकंप के जोन-2 में आते हैं राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु का कुछ हिस्सा।
Third Earthquake Zone
इस जोन में केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, उत्तर प्रदेश और हरियाणा का कुछ हिस्सा, गुजरात और पंजाब के हिस्से, पश्चिम बंगाल का कुछ इलाका , झारखंड का उत्तरी हिस्सा और छत्तीसगढ़ कुछ इलाका आता है। महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक का भी कुछ हिस्सा इस जोन में आता है।
Forth Earthquake Zone
चौथे जोन में जम्मू और कश्मीर का हिस्सा, लद्दाख, हिमाचल और उत्तराखंड का कुछ इलाका आता है। इसके अलावा हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल का छोटा हिस्सा, गुजरात, पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और पश्चिमी राजस्थान का छोटा हिस्सा इस जोन में आता है।
Fifth Earthquake Zone
इस जोन में जम्मू और कश्मीर का हिस्सा (कश्मीर घाटी), हिमाचल का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी इलाका, गुजरात का कच्छ, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह इस जोन में आते हैं।
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