नई दिल्ली: सितंबर, 2013 में राहुल गांधी ने एक ऐसे अध्यादेश को बेतुका क़रार दिया था जो आज उनकी सदस्यता पर मंडराए संकट से उन्हें बचा सकता था।
दरअसल, उस वक्त यूपीए सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी जिसमें कहा गया था कि कुछ शर्तों के तहत अदालत में दोषी पाए जाने के बाद भी सांसदों और विधायकों को अयोग्य क़रार नहीं दिया जा सकेगा। उस वक्त राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी में उपाध्यक्ष थे। तब उन्होंने ‘दागी सांसदों और विधायकों’ पर लाए गए यूपीए सरकार के अध्यादेश को ‘बेतुका’ करार देते हुए कहा था कि इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए।
बयान देते हुए तब राहुल गांधी ने कहा था, “इस देश में लोग अगर वास्तव में भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं तो हम ऐसे छोटे समझौते नहीं कर सकते हैं।”राहुल गांधी का कहना था, ”जब हम एक छोटा समझौता करते हैं तो हम हर तरह के समझौते करने लगते हैं।’
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