30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन करके बनाया गया था भारत का तिरंगा।

26 Jan, 2023
Deepa Rawat
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नई दिल्ली: आज यानि 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर देश ने अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाया। गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर शानदार परेड हुई। लगभग डेढ़ घंटे तक देश की सैन्य, सांस्कृतिक, लोकतांत्रिक और राजनीतिक शक्ति की झांकी निकली। बता दें, कर्तव्य पथ पहले राजपथ के नाम से जाना जाता था। विश्व में भारत की पहचान का एक प्रतीक हमारा तिरंगा है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों से मिलकर बना है। इसलिए इसे तिरंगा कहते हैं। इस तिरंगे के बीचों बीच एक गोल चक्र है। तिरंगे के हर रंग से लेकर चक्र और चक्र में मौजूद तीलियों की संख्या तक सब कुछ देश के लिए प्रतीक की तरह है लेकिन कभी आपने सोचा कि भारतीय तिरंगे को किसने बनाया है? अगर नहीं जानते हैं तो हम आपको बता देते हैं।

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किसने किया था तिरंगे का निर्माण?

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1921 में तिरंगे का निर्माण पिंगली वेंकैया ने किया था। पिंगली वेंकैया ने साल 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन किया, जिसके बाद उन्होंने तिरंगे को डिजाइन किया था। बता दें, उस समय के तिरंगे और आज के तिरंगे में थोड़ा फर्क है। तब तिरंगे में लाल, हरा और सफेद रंग हुआ करता था। वहीं चरखे के चिन्ह को इसमें जगह दी गई थी लेकिन 1931 में एक प्रस्ताव पारित होने के बाद लाल रंग को हटाकर उसकी जगह केसरिया रंग कर दिया गया।

कब बना था तिरंगा राष्ट्रीय ध्वज ?

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तिंरगे को भारतीय ध्वज के तौर पर मान्यता मिलने में करीब 45 साल लग गए। चरखे के जगह अशोक चक्र को ध्वज में शामिल किया गया।  22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरूप को अपना लिया गया। उसके बाद इसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर फहराया जाता है।

क्या कहते हैं? तिरंगे में मौजूद रंग

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तिरंगे में मौजूद तीन रंग हैं- केसरिया, सफेद और हरा। तीनों रंगों का अपना विशेष महत्व है। केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है। सफेद रंग शांति और सच्चाई को दर्शाता है। वहीं, हरा रंग संपन्नता का प्रतीक है। जब तिरंगा डिजाइन किया गया था, तब लाल और हरे रंग को हिंदू- मुस्लिम का प्रतीक और सफेद रंग को अन्य धर्मों के प्रतीक के तौर पर प्रस्तुत किया गया था। तिरंगे में सफेद रंग पर नीले रंग में सम्राट अशोक के धर्म चक्र चिन्ह के तौर पर बना है। अशोक चक्र को कर्तव्य का पहिया कहा जाता है, जिसमें शामिल 24 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं। 

राष्ट्रीय तिरंगे की विकास यात्रा

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भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का पहला स्वरूप स्वदेसी आंदोलन के दौरान अपनाया गया था। पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 में पारसी बगान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता (कोलकाता) में फहराया गया था। यह ध्वज तीन रंग का था, जिसमें हरे, पीले और लाल रंग की पंट्टियां थीं। इन पट्टियों में कुछ प्रतीक दर्शाएं गए थे। हरे रंग की पट्टी में आठ कलम के फूल, लाल रंग की पट्टी में चांद और सूरज और बीच में पीले रंग की पट्टी में देवनागरी लिपि में ‘वंदे मातरम्’ लिखा हुआ है।

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2.मैडम भीखाजी कामा द्वारा साल 1907 में पेरिस में भारत के कुछ क्रांतिकारियों की मौजूदगी में फहराए गए ध्वज को दूसरा राष्ट्रीय ध्वज मानते हैं। यह भी पहले ध्‍वज की ही तरह था, सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी का रंग केसरिया था और कमल के बजाए सात तारे सप्‍तऋषि प्रतीक थे। नीचे की पट्टी का रंग गहरा हरा था जिसमें सूरज और चांद अंकित किए गए थे

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3. साल 1917 के होम रूल आंदोलन की आड़ में तीसरे राष्ट्रीय ध्वज को रूप दिया गया। इस ध्‍वज में पांच लाल और चार हरी क्षैतिज पट्टियां थीं। जिसके अंदर सप्‍तऋषि के सात सितारे थे। बांयी और ऊपरी किनारे पर यूनियन जैक भी मौजूद था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।

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4. साल 1921 में विजयवाड़ा में हुए भारतीय कांग्रेस कमीटी के सत्र में एक झंडे का इस्तेमाल किया गया, जिसे चौधा राष्ट्रीय ध्वज कहा गया। तीन रंगों की पट्टियों में गांधीजी के चरखें के प्रतीक को दर्शाया गया था। इस झंडे में तीन रंग- सफेग रंग के अलावा लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात् हिन्‍दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्‍व करता है।

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5. साल 1931 में अपनाया गया राष्ट्रीय ध्वज हमारे आज के राष्ट्रीय ध्वज के स्वरूप के बहुत करीब था। इस झंडे में तीन रंग- केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टियां थीं। सफेद पट्टी के बीचों-बीच गांधी जी के चरखा का प्रतीक बनाया गया था।

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6. राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान स्वरूप 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की झंडा समिति की तरफ से लिया गया। इस समिति के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे।

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