नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस के साथ-साथ आज पूरा भारत देश वसंत पंचमी का त्यौहार भी मना रहा है। वसंत पंचमी के दिन को श्री पञ्चमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन माँ सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। माँ सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान, और शिल्प-कला की देवी माना जाता है। यह दिन विद्या आरम्भ या अक्षर अभ्यास्यम के लिए काफी शुभ माना जाता है।
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क्यों मनाया जाता है? वसंत पंचमी का त्यौहार

वसंत पंचमी को माँ सरस्वती का जन्मदिवस भी कहा जाता है, इसलिये इसे माँ सरस्वती के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाते है। “हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी, तब हर तरफ शांति व्याप्त थी कहीं कोई ध्वनि नहीं सुनाई पड़ रही थी। उस समय भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से जल लेकर धरती पर छिड़का, जिससे एक अदभुत शक्ति एवं चतुर्भुज हाथों वाली नारी का अवतार हुआ, जिनके हाथों में वीणा, माला, पुस्तक इत्यादि थी और जब उन्होंने ब्रह्माजी के कहने पर वीणा बजाई तो हर तरफ संसार मे ध्वनि फैल गई, तब ब्रह्माजी ने वीणा की देवी को सरस्वती के नाम से पुकारा जो ज्ञान और संगीत की भी देवी कहलाती है। इसी कारण इस दिन को माँ सरस्वती की उत्पत्ति के रूप मे मनाया जाता है।
समस्त ज्ञान का स्रोत हैं मां सरस्वती

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब ब्रह्मा जी को सृष्टि के निर्माण का कार्य मिला तो उन्होंने मां सरस्वती की सहायता मांगी थी, क्योंकि बिना ज्ञान के सृष्टि का निर्माण नहीं हो सकता था। इस संपूर्ण सृष्टि में जो भी ज्ञान है जिस भी तरह का ज्ञान है उसकी जननी माता सरस्वती है इसीलिए उन्हें विद्या की देवी कहा जाता है क्योंकि वही समस्त ज्ञान का स्रोत है।
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