अंकिता ने एमपीएचसी की परीक्षा में यह स्थान महज 25 साल की उम्र में प्राप्त कर अपने माता-पिता का नाम रोशन कर दिखाया है। तो चलिए आपको अंकिता नागर की इस सफलता की कहानी को बताते है
नई दिल्ली : आप सभी को ये बात मालूम है की इस दुनिया में जो व्यक्ति कठिन परिश्रम करता है सफलता उसी का कदम चूमती है। लेकिन उस मेहनत को करना हर किसी की बस की बात नहीं होती, पर अगर कोई भी व्यक्ति उस मेहनत को कर लेता है वो भी ऐसे हालातों जब परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती, तो आप उन लोगों के लिए भी एक मिसाल बन जाते हो जिनके पास सब सुख सुविधा होने के बावजूद भी वे कुछ नहीं कर पाते है, ये मिसाल कायम की 25 वर्षीय अंकिता नागर जो की एक सब्जी बेचने वाले की बेटी है वो आज एक सिविल जज बन गई है।
दरअसल मध्यप्रदेश के इंदौर की रहने वाली अंकिता नागर ने सिविल जज की परीक्षा में पांचवा स्थान प्राप्त किया है। अंकिता नागर ने यह स्थान एससी कोटे के तहत प्राप्त किया है. बता दें कि अंकिता के माता-पिता सब्जी बेचते हैं और इसी से होने वाली कमाई से अपने घर का गुजर बसर करते हैं. अंकिता ने एमपीएचसी की परीक्षा में यह स्थान महज 25 साल की उम्र में प्राप्त कर अपने माता-पिता का नाम रोशन कर दिखाया है। तो चलिए आपको अंकिता नागर की इस सफलता की कहानी को बताते है
मिली जानकारी के मुताबिक अंकिता को बचपन से ही पढने लिखने का बेहद शौक था लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, यही वजह थी की अंकिता नगर भी अपने माता पिता के साथ सब्जी बेचने के लिए आया करती थी ताकि उनका हाथ बटा सके। लेकिन अंकिता ने कभी अपने अंदर की पढाई को लेकर लगन इच्छा और मेहनत को कम होने नहीं दिया और उसी दृद निश्चय के साथ उन्होंने सिविल जज की परीक्षा में पार्टिसिपेट किया और इस परीक्षा में पांचवा स्थान हासिल कर अपने माता-पिता का नाम रोशन कर दिखाया।
परिवार की आर्थिक स्थिति के अनुसार ही अंकिता ने अपने पढ़ाई का शौक को जारी रखा था। अंकिता बताती हैं कि वह अपनी मम्मी के साथ घर के कामों में हाथ बटाया करती थी. इसी के साथ वह सब्जी की दुकान पर जाकर सब्जियां भी बेचा करती थी।
अंकिता पिछले 3 साल से सिविल जज की परीक्षा की तैयारी कर रही थी. साल 2017 में उन्होंने इंदौर के वैष्णव कॉलेज से एलएलबी (LLB) की था. इसके बाद अंकिता ने साल 2021 में एलएलएम (LLM) की परीक्षा पास की और इसके बाद वो लगातार सिविल जज की परीक्षा की तैयारी में जुटी गई. हालांकि पहले दो प्रयासों में उनका सलेक्शन नहीं हो पाया था. इसके बावजूद उनके माता-पिता ने उन्हें हौसला देना नहीं छोड़ा और इसी हौसले के बदौलत उन्होंने अपने अगले प्रयास में यह परीक्षा पास कर दिखाई।