सतीश कुमार दूसरों को भी अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते थे। जिसके फलस्वरुप रिश्तेदारों के दोनों पक्षो के करीब 60 परिजन अंगदान करने के लिए राजी हुए हैं।
नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश से एक बहुत ही अनोखी खबर सामने आई है। ऐसी खबर जिसे सुनकर लोग काफी ज्यादा प्रोत्साहित हो रहे हैं। आपको बता दें, आंध्र प्रदेश के सतीश कुमार और संजीव रानी की शादी 29 दिसंबर को होने वाली है। इन दोनों ने अपनी शादी को और भी ज्यादा यादगार बनाने के लिए अपने शादी वाले दिन ही अंग दान करने का संकल्प लिया है। इन दोनों के इस काम से प्रत्साहित होकर करीब 60 रिश्तेदार ने भी अंगदान करने का संकल्प लेने के लिए आगे आए हैं।
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लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए शादी के दिन लिया अंग दान करने का फैसला
आपको बता दें कि, सतीश कुमार और संजीव रानी अपने शादी के दिन कुछ अच्छा करना चाहते थे। इसलिए इन दोनों ने अपनी शादी के दिन अंगों को दान करने का संकल्प लेने वाले है। सतीश कुमार दूसरों को भी अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते थे। इसलिए सतीश ने शादी के कार्ड पर संदेश छापने का अभिनव विचार लेकर आए। ‘अंग दान करें – जीवन रक्षक बनें’। सतीश के इन अच्छे विचारों से प्रतिक्रिया भी मिल रही है। जिसके फलस्वरुप रिश्तेदारों के दोनों पक्षो के करीब 60 परिजन अंगदान करने के लिए राजी हुए हैं।
क्या होतो है? अंगदान
जीवित या मृत व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को अंग दान करना ही “अंगदान” कहलाता है। जब कोई व्यक्ति अपनी मृत्यृ से पहले ही अपने शरीर को अंगदान करने का संकल्प ले लेता है तो, उसके मृत्यृ के बाद उसके शरीर के किसी भी अंग को निकालकर दूसरे जरुरतमंद लोगों के शरीर में use कर लिया जाता है । किसी व्यक्ति द्वारा दान किया गया अंग जरुरत बंद व्यक्ति के शरीर में use कर लिया जाता है। इस तरह से अंगदान करने से दूसरे व्यक्ति की जिंदगी को बचाया जा सकता और उसके जीवन को और भी खुशहाल बनाया जा सकता है। अधिकतर अंगदान मृत्यु के बाद ही होता है। आपको बता दें कि, एक मृत देह से लगभग 50 जरुरतमंद लोगों की जिंदगी को बचाया जा सकता है। अंगदान को एक बच्चे से लेकर 90 वर्ष तक के लोग भी अंगदान कर सकते हैं। इस तरह अंग दान जैसे- हमारी आँखे, गुर्दे, यकृत, अग्न्याशय, ह्रदय, फेफड़े, अस्थिमज्जा, त्वचा आदि करने से हमे दूसरें व्यक्तियों में जीवित होने का एहसास होता है।
किसने की अंग दान करने की शुरुआत?
जानकारी के अनुसार, दुनिया में पहला अंगदान साल 1954 में किया गया था। उस समय रोनाल्ड ली हेरिक नाम के एक व्यक्ति ने अपने जुड़वां भाई को अपनी एक किडनी दान कर नया जीवनदान दिया था। इसको डॉक्टर जोसेफ मरे ने किया था। इस मानवीय कार्य के लिए जोसेफ मरे को 1990 में फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।
तभी से 13 अगस्त को पूरे विश्व में अंग दान दिवस मनाया जाता है और भारत में 27 नवंबर को ‘अंग दान’ दिवस मनाया जाता है। इसी मौके पर दुनियाभर में लोगों को अंग दान के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इससे उन लोगों को मदद मिलती है, जिन्हें स्वस्थ अंग की जरूरत रहती है।
अंगदान के आकड़े
जानकारी के मुताबिक, भारत में अंगदान करने की संख्या में 77 फीसद का उछाल आया है। 2014 में जहां इसकी संख्या 6916 थी, वहीं 2022 तक यह बढ़कर लगभग 12,299 पहुंच गई है। इसमें किडनी, लिवर, दिल, फेफड़े, पैंक्रियाज और छोटी आंतों आदि का प्रत्यारोपण भी शामिल है।
Edit By Deshhit News