लोगों ने गवाई थी अपनी जान, विभाजन का दुःख नहीं भुला सकता भारत, 14 अगस्त को देश मना रहा ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’

13 Aug, 2022
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1947 का विभाजन

देश को आज़ाद हुए 75 साल पुरे हो चुके हैं. और इसी के साथ भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को भी 75 साल पुरे हो रहे हैं. 14- 15 अगस्त भारत और पाकिस्तान के इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता और इसका दुःख भी दिलों से कभी मिटाया नहीं जा सकता. अंग्रेजों की चाल बाज़ी और नेताओं की मनमानी की वजह से न जाने कितने लाख लोगों की विभाजन की वजह से अपनी जान गवा थी न जाने कितने लोग अपने परिवारजनों से, अपने घरों से, अपनी गलियों से अपनी मिट्टी से जुदा हो गए. हम भी विभाजन का दुःख भुला नहीं सकते.

नई दिल्ली: 15 अगस्त 1947 को भारत 200 साल की गुलामी से आजाद हुआ, लेकिन साथ में भारत- पाकिस्तान विभाजन का दर्द भी था. दरअसल, यह सिर्फ दो मुल्कों का नहीं बल्कि घरों का, परिवारों का, रिश्तों का और भावनाओं का बंटवारा था. रातोरात लोगों की तकदीर बदल गई. कोई बेघर हुआ तो किसी को नफरत की तलवार ने काट डाला. एक रात पहले तक भाइयों की तरह रहने वाले दो समुदायों के लोग दुश्मन बन गए. माना जाता है यह सब 14-15 अगस्त को हुआ, लेकिन इस विभाजन की लकीरों पर मुहर आजादी से करीब दो पहले लग गई थी.

1947 का विभाजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को याद करते हुए एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘लाखों भाई-बहनों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. इस दिन को भुलाया नहीं जा सकता है. भारत 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाएगा.’

पीएम मोदी ने ट्वीट में आगे लिखा कि ‘देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता. नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी. उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है.’

कंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘देश के विभाजन के समय हिंसा व घृणा के साये में विस्थापित हुए हमारे असंख्य बहनों व भाइयों के त्याग, संघर्ष व बलिदान की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. इस संवेदनशील निर्णय पर उनका अभिनंदन किया है.’

सन् 1947 का भारत विभाजनभारत के लिए अत्यंत ही दुःख पूर्ण घटना थी। सदियों तक साथ-साथ रहने के बाद भी हिन्दू और मुसलमान अपने धार्मिक मतभेदों को मिटा न सके। अंग्रेजी शासन ने इस सांप्रदायिकता की भावना को निरंतर प्रोत्साहन दिया। अंग्रेजों ने फुट डालों और शासन करो की नीति को अपनाया।

1947 का विभाजन

भारत का विभाजनऔर दो नए राष्ट्रों का निर्माण 14 अगस्त 1947 पाकिस्तान एवं 15 अगस्त 1947 को भारत में करने की घोषणा लार्ड माउंटबेटन ने की। इस विभाजन में न केवल भारतीय उप-महाद्वीप के दो टुकड़े किये गये बल्कि बंगाल  का भी विभाजन किया गया और बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर बांग्लादेश बना दिया गय वहीं पंजाब का विभाजन कर पाकिस्तान का निर्माण हुआ। इस विभाजन में रेलवे, फ़ौज, ऐतिहासिक धरोहर, केंद्रीय राजस्व, सबका बराबरी से बंटवारा किया गया। भारतीय महाद्वीप के इस विभाजन में जिन मुख्य लोगों ने हिस्सा लिया वो थे मोहम्मद अली जिन्ना, जवाहर लाल नेहरु, महात्मा गाँधी, लार्ड माउंटबटन, सीरिल रेडक्लिफ  एवं दोनों संगठनों इंडियन नेशनल कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग के कुछ मुख्य कार्यकर्तागण। इन सब में सबसे अहम् व्यक्ति थे सीरिल रैडक्लिफ़ जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने भारत-पाकिस्तान के विभाजन रेखा की जिम्मेदारी सौंपी थी।

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