नई दिल्ली: पतंजलि आयुर्वेद और योग गुरु बाबा रामदेव के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च 2024 को पतंजलि आयुर्वेद के कथित भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर दोनों को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख:
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव की गैर-हाजिरी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्हें अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया।
यह आदेश भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की सख्ती को दर्शाता है।
यह मामला उपभोक्ता अधिकारों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
विशेषज्ञों की राय:
कई विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव के लिए एक बड़ा झटका है।
उनका मानना है कि पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्पष्टीकरण देना होगा।
उनका मानना है कि यह मामला भविष्य में अन्य कंपनियों के लिए भी एक सबक होगा।
मामले का महत्व:
यह मामला भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की सख्ती को दर्शाता है।
यह मामला उपभोक्ता अधिकारों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
यह मामला पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है।
उदाहरण:
2023 में, पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उसकी ‘कोरोनिल’ दवा COVID-19 का इलाज कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दावे को भ्रामक करार दिया था और पतंजलि आयुर्वेद को इसे वापस लेने का आदेश दिया था।
2022 में, पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उसकी ‘आयुर्वेदिक दवा’ मधुमेह का इलाज कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दावे को भी भ्रामक करार दिया था और पतंजलि आयुर्वेद को इसे वापस लेने का आदेश दिया था।
अगली सुनवाई:
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल 2024 को निर्धारित की है।
यह देखना होगा कि पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव सुप्रीम कोर्ट के समक्ष क्या जवाब देते हैं।
इसके अतिरिक्त:
पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव ने इस मामले पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।
कई लोग सोशल मीडिया पर इस मामले पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।
यह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण मामला है जिसका उपभोक्ताओं, कंपनियों और सरकार पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
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संदीप उपाध्याय