नई दिल्ली: बीते कई दिनों से जोशीमठ भूधंसाव से बुरी तरह से प्रभावित है। भूधंसाव से जोशीमठ में तकरीबन 600 परिवार और 3000 लोग संकट की चपेट में है और अब जोशीमठ को डेंजर जोन घोषित करने के चलते खाली कराने का आदेश दे दिया गया है। एसडीआरएफ ने खतरे वाले घरों को तीन दिन के अंदर घर खाली करने के आदेश दे दिया है। बता दें, यहां करीब 500 घरों को खाली किया जाना है। हालांकि, लोग घरों को छोड़ने को राजी नहीं है, जिससे जिला प्रशासन की चुनौती बढ़ी है। भूमि धंसने के कारण कम से कम 570 घरों में दरारें आ गई हैं।
डेंजर जोन से घर खाली नहीं करने वालों को हटाया जाएगा जबरन

जिला प्रशासन के अनुसार तीन दिन में डेंजर जोन से घर खाली नहीं करने वालों को जबरन हटाया जाएगा। उनके पुनर्वास के लिए भी व्यवस्था की गई है। जिला प्रशासन अब तक 129 परिवारों को डेंजर जोन से हटाकर पुनर्वासित कर चुका है और 42 परिवारों को राहत कैंप में भेजा जा चुका है। अब तक कुल 52 परिवारों को राहत कैंप में शिफ्ट किया गया है। जिला प्रशासन की ओर से आपदा प्रभावित 46 परिवारों को पांच-पांच हजार रुपये प्रति परिवार की दर से घरेलू सामान व राशन के लिए दो लाख 30 हजार रुपये के चेक वितरित किए गए।
आज किस कारण जोशीमठ में है यह दुर्दशा?

मिली जानकारी के मुताबित, जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण पानी के निकासी की व्यवस्था ना होना, जोशीमठ में भू-धंसाव और दरारों का प्रमुख कारण है। इसके अलावा टेक्निकल टीम ने अलकनंदा नदी में हो रहा कटाव को भी इसका एक प्रमुख कारण माना है। उत्तराखंड में जोशीमठ एक छोटा सा शहर है। इसका एक और नाम ज्योतिर्मठ भी है। धार्मिक और सांस्कृतिक अहमियत वाले शहर जोशीमठ को बद्रीनाथ का द्वार माना जाता है और इसका इतिहास करीब 1500 साल पुराना है। 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य को यहीं ज्ञान प्राप्त हुआ और चार मठों में से पहले मठ की स्थापना उन्होंने जोशीमठ में ही की थी।
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