नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती चर्चा में हैं। दरअसल, पुंछ में एक नया मंदिर बना है। मंदिर दर्शन के दौरान महबूबा मुफ्ती ने मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने पूरे मंदिर के चक्कर लगाए और शिवलिंग पर जल चढ़ाया। अब इसे लेकर राजनीतिक गलियारे में हलचल बढ़ गई हैं। बीजेपी महबूबा मुफ्ती के मंदिर जाने को ड्रामा बता रही है। वहीं, इत्तेहाद उलेमा-ए-हिन्द के मुफ़्ती असद कासमी ने इसे गैर इस्लामिक बताया है। उन्होंने कहा, “महबूबा ने जो किया वो गैर इस्लामिक है। महबूबा की पूजा इस्लाम के खिलाफ है।”
महबूबा मुफ्ती के मंदिर जाने पर बीजेपी ने साधा निशाना

जम्मू-कश्मीर बीजेपी के प्रवक्ता रणबीर सिंह पठानिया ने महबूबा मुफ्ती पर निशाना साधते हुए कहा, “2008 में महबूबा मुफ्ती और उनकी पार्टी ने अमरनाथ धाम के लिए जमीन के अलॉटमेंट का विरोध किया था। श्रद्धालुओं के लिए इस जमीन पर निवास स्थान बनाए जाने थे। अब उनका मंदिर जाना केवल एक ड्रामा है। इससे उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा। अगर राजनीतिक ड्रामों से कुछ हासिल होता तो जम्मू-कश्मीर आज समृद्धि का बाग बन गया होता।
यह मेरा मामला है, इस पर बहस नहीं होनी चाहिए- महबूबा मुफ्ती

इस मामले पर महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि “हम लोकतांत्रिक देश में रहते हैं। पुंछ में मंदिर बना है, वे चाहते थे कि मैं मंदिर के अंदर जाकर देखूं। वहां किसी ने श्रद्धा से मेरे हाथ में पानी का लोटा दिया कि आप इस पर डालिए, तो मैंने डाल दिया अगर मैंने पानी डाल दिया तो यह मेरा मामला है। इस पर बहस नहीं होनी चाहिए।”
2016 में भी शिवलिंग पर दूध चढ़ाती दिखाई दी थी महबूबा

बता दें, यह पहली बार नहीं है जब महबूबा मुफ्ती ने हिंदू भगवान की आराधना की है। इससे पहले महबूबा मुफ्ती ने साल 2016 में कश्मीर के गांदरबल में खीर भवानी मंदिर का दौरा किया था। इस दौरे में उन्होंने भगवान शिव को दूध चढ़ाया था।
कौन है महबूबा मुफ्ती ?

जम्मू कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में मेहबूबा मुफ़्ती का नाम आता है। मुफ़्ती मोहम्मद सैय्यद की मृत्यु के बाद उनकी जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने नये उम्मीदवार के तौर पर मेहबूबा मुफ़्ती को चुना था। मेहबूबा मुफ़्ती 2016 से 2018 तक कश्मीर की मुख्यमंत्री रही थी। इनकी पीडीपी पार्टी ने बीजेपी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में बीजेपी ने गठबंधन तोड़ दिया था, जिसके बाद कश्मीर में कोई सरकार नहीं थी। मेहबूबा जम्मू काश्मीर की राजनीती का एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं।
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