जानिए-हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों का इतिहास,कब किस पार्टी के नेता राज्य के मुख्यमंत्री बने?

10 Dec, 2022
Deepa Rawat
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हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा कांग्रेस का ही राज रहा है। इसमें सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड वीर भद्र सिंह के नाम दर्ज है। वीर भद्र सिंह 21 साल से ज्यादा समय तक सूबे के मुख्यमंत्री रहे।

नई दिल्ली: 8 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के चुनाव के नतीजे आ गए। हिमाचल विधानसभा में 68 सीटें हैं। प्रत्येक पार्टी को अपनी सरकार बनाने के लिए 35 सीटों की जरुरत थी। कांग्रेस ने 40 सीटें हासिल कर हिमाचल की गद्दी अपने नाम कर ली। भाजपा ने 25 सीटों पर जीत हासिल की। निर्दलियों ने 3 सीटें अपने नाम की थी। वहीं आम आदमी पार्टी एक भी सीट पर कब्जा नहीं बना पाई। कांग्रेस ने 40 सीटें अपने नाम कर यह तय कर दिया कि इस बार हिमाचल के मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी तय करेगी। बहराल, आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के अब तक रह चुके मुख्यमंत्री के बारे में बताएंगे।

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1952 को हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार थे

यशवंत सिंह परमार - विकिपीडिया
यशवंत सिंह परमार

आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को हिमाचल प्रदेश राज्यों के रूप में अस्तित्व में आया। 26 जनवरी 1950 को जब देश गणतंत्र बना तब हिमाचल प्रदेश को ‘ग’ श्रेणी के राज्य का दर्जा मिला। 1952 में राज्य में पहली बार चुनाव हुए और यशवंत सिंह परमार 8 मार्च 1952 से 31 अक्टूबर 1956 तक हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे। डॉ॰ यशवंत सिंह परमार भारत के राजनेता और एक स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी थे। वे हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने। उन्हें ‘हिमाचल निर्माता’ के नाम से जाना जाता है। डॉ॰ यशवंत सिंह परमार का जन्म 4 अगस्त 1906 को सिरमौर जिला के चनालग गांव में हुआ था। डॉ॰ यशवंत सिंह परमार ने 1928 में बी.ए. आनर्स किया और इसके बाद उन्होंने लखनऊ से एम.ए. और एल.एल.बी. तथा 1944 में समाजशास्त्र में पी एच डी की उपाधि ग्रहण की। 1929 से 1930 तक वे थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य रहे। डॉ॰ यशवंत सिंह परमार की 2 मई 1981 में मृत्यु हो गई थी।

यशवंत सिंह परमार का करियर

  • डॉ॰ यशवंत सिंह परमार ने सिरमौर रियासत में 11 सालों तक सब जज और 1930से 1937 तक मैजिसट्रेट के बाद जिला और 1938 से 1941तक सत्र न्यायधीश के रूप में अपनी सेवाए दीं।
  • उन्होंने अपनी नौकरी की परवाह किए बिना ही सुकेत सत्याग्रह प्रजामण्डल से जुड़े गए और  उनके ही प्रयासों से यह सत्याग्रह सफल हो पाया था।
  • 1943 से 1946 तक वे सिरमौर एसोसिएशन के सचिव रहे।
  • 1946 से 1947 तक हिमाचल हिल स्टेट कांउसिल के प्रधान रहे।
  • 1947 से 1948 तक सदस्य आल इन्डिया पीपुलस कान्फ्रेस एवं प्रधान प्रजामण्डल सिरमौर संचालक सुकेत आन्दोलन से जुड़े रहे।
  • डॉ॰ परमार के प्रयत्न से ही 15 अप्रैल 1948 को 30 सियासतों के विलय के बाद हिमाचल प्रदेश बन पाया और 25 जनवरी 1971 को इस प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
  • 1948 से 1952 सदस्य सचिव हिमाचल प्रदेश चीफ एडवाजरी काउंसिल रहे।
  • 1948 से 1964 तक हिमाचल कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे।
  • 1952 से 1956 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
  • 1957 सांसद बने और 1963 से 24 जनवरी 1977 तक हिमाचल के मुख्यमंत्री पद पर कार्य किया।

यशवंत सिंह परमार सिंह एक लेखक भी थे

डॉ॰ यशवंत सिंह परमार सिंह एक अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने ने पालियेन्डरी इन द हिमालयाजहिमाचल पालियेन्डरी इटस शेप एण्ड स्टेटसहिमाचल प्रदेश केस फार स्टेटहुड और हिमाचल प्रदे्श एरिया एण्ड लेगुएजिज नामक शोध आधारित पुस्तकें भी लिखी।

इसके बाद विधानसभा भंग करके हिमाचल प्रदेश को केंद्र शासित राज्य बना दिया गया। ये दर्जा 1963 तक रहा। बाद में फिर इसे विधानसभा के साथ केंद्र शासित राज्य का दर्जा मिला। तब पहले केंद्र शासित राज्य में भी यशवंत सिंह परमार ही मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 1 जुलाई 1963 से 4 मार्च 1967 तक केंद्र शासित राज्य के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। 

1967 में 60 विधानसभा क्षेत्रों वाली विधानसभा में चुनाव हुआ। सरकार बनाने के लिए 31 सीटों की जरूरत थी। कांग्रेस ने 34 सीटों पर जीत हासिल की। भारतीय जनसंघ ने हिमाचल में पहली बार चुनाव लड़ा और सात पर विजय मिली। दो सीटें कम्युनिस्ट पार्टी के खाते में गए, जबकि स्वतंत्र पार्टी का एक उम्मीदवार चुनाव जीत गया। 16 निर्दलीय प्रत्याशी विधायक चुने गए थे। यशवंत सिंह परमार तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। परमार 1977 तक इस पद पर रहे। 

1977 में ठाकुर रामलाल बने हिमाचल के मुख्यमंत्री

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ठाकुर रामलाल

28 जनवरी1977 से 30 अप्रैल 1977 तक ठाकुर रामलाल हिमाचल के मुख्यमंत्री बने। ठाकुर रामलाल का जन्म 7 जुलाई,1929 को शिमला में हुआ था। वह एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। वह हिमाचल प्रदेश में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनेताओं में से एक थे। उनकी मृत्यु 6 जुलाई, 2022 में शिमला में हुई थी।

ठाकुर रामलाल का करियर

1.सन् 1951 में वह एस.डी. कॉलेज शिमला से स्नातक हुए। लॉ कॉलेज जालंधर से 1995 में उन्होंने एलएलबी पास की।

2.सन् 1957 से 1962 तक राम लाल क्षेत्रीय परिषद के लिए चुने गए।

3.इसके बाद वह 1957,1962 1967,1977,1980 और 1982 में जुब्बल-कोटखाई निर्वाचन क्षेत्र से हिमाचल प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए।

4.राम लाल हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने पर 28 जनवरी,1977 से 30 अप्रैल,1977 तक कार्यालय में बने रहे।

5. 29 जून.1977 से 13 फरवरी,1980 तक वह हिमाचल प्रदेश विधान सभा में विपक्ष के नेता थे। फिर 14 फरवरी, 1980 को राज्य के मुख्यमंत्री बने और 7 अप्रैल,1983 तक इस पद पर बने रहे।

6. बाद में ठाकुर राम लाल आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रुप में 15 अगस्त,1983 से 29 अगस्त,1984 तक पह पर बने रहे।

30 अप्रैल 1977 से 22 जून 1977 तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा

क्या होता है? राष्ट्रपति शासन

दरअसल, संविधान के आर्टिकल 356 के तहत ही किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। राज्य में राष्ट्रपति शासन दो तरीकों से लगाया जा सकता है। पहला यह कि जब राज्य में किसी भी दल के पास बहुमत ना हो और गठबंधन की सरकार भी ना चल पा रही हो या फिर राज्य की सरकार संविधान के अनुरूप काम नही कर पा रही हो तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा कर सकता है। इसके अलावा राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से विफल होने की स्थिति में केंद्र सरकार भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकती है।

1977 में शांता कुमार बने राज्य के मुख्यमंत्री

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शांता कुमार

22 जून 1977 से 14 फरवरी 1980 तक हिमाचल में शांता कुमार राज्य के मुख्यमंत्री बने। शांता कुमार का जन्म  12 सितम्बर,1934 में हुआ था। उनका निवास स्थान यामिनी परिसर, पालमपुर, काँगड़ा जिला, हिमाचल प्रदेश में है। उनके पिता का नाम जगन्नाथ शर्मा और उनकी माता का नाम कौशल्या देवी था। उनका विवाह संतोष शैलजा देवी के साथ हुआ। शांता कुमार ने प्रांरभिक शिक्षा के बाद जेबीटी की पढ़ाई की और एक स्कूल में अध्यापक के रूप में काम करने लगे। लेकिन आरएएस में मन लगने की वजह से दिल्ली चले गए। वहां जाकर संघ का काम किया और ओपन यूनिवसर्सिटी से वकालत की डिग्री की।

शांता कुमार का राजनीति करियर

  • शांता कुमार ने पंच के चुनाव से राजनीति की शुरुआत की।
  • शांता कुमार ने 1963 में पहली बार गढ़जमूला पंचायत से जीते थे। उसके बाद वह पंचायत समिति के भवारनां से सदस्य नियुक्त किए गए। बाद में वे 1965 से 1970 तक कांगड़ा जिला परिषद के भी अध्यक्ष रहे।
  • 1977 में वे पहली बार हिमाचल प्रदेश के गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने।
  • 1982 में वे दोबारा विधानसभा में लौटे और प्रतिपक्षी सदस्य रहे। 1985 में वे राज्य असेंबली चुनाव हार गए। 1986 से 1990 तक वे राज्य भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बने।
  • फरवरी 1990 में इनको पालमपुर और सुलह निर्वाचन क्षेत्रों से जीत मिली तथा भारतीय जनता पार्टी का नेता चुने गए।
  • वे दोबारा 5 मार्च 1990 से 25 दिसम्बर,1992 मुख्यमंत्री के पद पर रहे ।
  • 1993 में उन्होंने सुलह विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, किंतु पराजित हुए।
  • वे केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार में मंत्री भी रहे। वर्तमान में वे भाजपा के एक सक्रिय नेता हैं।
  • शांता कुमार दो बार हिमाचल प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री रहे चुके है। उन्होंने 05 मार्च 1990 से 15 दिसंबर 1992 तक बार फिर हिमाचल के मुख्यमंत्री की गद्दी अपने नाम की थी।

1983 को वीर भद्र सिंह हिमाचल के मुख्यमंत्री बने

वीरभद्र सिंह - भारतकोश, ज्ञान का हिन्दी महासागर
वीर भद्र सिंह

वीर भद्र सिंह ने 08 अप्रैल 1983 से 05 मार्च 1990 तक हिमाचल के मुख्यमंत्री का पद संभाला। वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून, 1934 को शिमला, हिमाचल प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम पिता राजा पदम सिंह और उनकी माता का नाम श्रीमति शांति देवी था। उनका विवाह श्रीमति प्रतिभा सिंह के साथ सम्पन्न हुआ और उनके 1 बेटा और 4 बेटियाँ है। वीरभद्र सिंह की ने स्नातकोत्तर तक की शिक्षा प्राप्त की है।

वीर भद्र सिंह का राजनीति करियर

  • वीरभद्र सिंह 1962 में तीसरी लोकसभा के लिए चुने गए।
  • इसके बाद पुन: 1967 में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए।
  • एक बार फिर 1972 में पाँचवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
  • 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
  • 1976 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य बने।
  • दिसम्बर 1976 से मार्च 1977 तक भारत सरकार में पर्यटन और नागरिक उड्डयन के उपमंत्री नियुक्त हुए।
  • 1977, 1979 और 1980 में प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने रहे।
  • शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से 20 दिसम्बर 2012 को राज्य विधान सभा के सदस्य चुने गए।
  • सितम्बर, 1982 से अप्रैल 1983 तक भारत सरकार में उद्योग मंत्री बने।
  • अक्टूबर 1983 और 1985 में जुब्बल – कोटखाई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
  • 1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में रोहड़ू निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
  • 8 अप्रैल, 1983 से 5 मार्च, 1990 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री।
  • दिसंबर, 1993 से 23 मार्च, 1998 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री।
  • वीरभद्र सिंह एक बार फिर 6 मार्च 2003 से 29 दिसंबर 2007 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे।
  • मार्च 1998 से मार्च 2003 तक राज्य विधान सभा में हिमाचल प्रदेश के विपक्ष के नेता।
  • 25 दिसम्बर, 2012 को हिमाचल प्रदेश के छठे मुख्य मंत्री बने।।
  • 2009 में वे मंडी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से हिमाचल प्रदेश से निर्वाचित हुए ।
  • मई 2009 से जनवरी 2011 तक वीरभद्र सिंह भारत सरकार में इस्पात मंत्री रहे।
  • उन्होंने 19 जनवरी 2011 से जून 2012 तक भारत सरकार में लघु और मझौले उद्यम मंत्री के रूप में कार्य किया ।
  • 26 अगस्त 2012 से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
  • वीरभद्र सिंह आठ बार विधायक, छ: बार मुख्यमंत्री और पांच बार लोकसभा में बतौर सांसद रह चुके हैं।

वीकभद्र सिहं चार बार राज्य के मुख्यमंत्री बने

वीरभद्र सिंह 8 अप्रैल 1983 से 5 मार्च 1990 तक,  3 दिसम्बर 1993 – 24 मार्च 1998 तक, 6 मार्च 2003 से 30 दिसम्बर 2007 तक, 25 दिसम्बर 2012 से 27 दिसम्बर 2017 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे।

15 दिसंबर 1992 से 03 दिसंबर 1993 तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा

राष्ट्रपति शासन कैसे लागू होता है?

राष्ट्रपति कैबिनेट की सहमति से किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला करता है, लेकिन राष्ट्रपति शासन लगने के 2 महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) द्वारा इसका अनुमोदन किया जाना जरूरी है। अगर उस समय लोकसभा भंग होती है, तो राज्यसभा में इसका अनुमोदन किया जाता है और फिर लोकसभा गठन होने के एक महीने में भीतर वहां भी अनुमोदन किया जाना जरूरी है। दोनों सदनों द्वारा अनुमोदन करने पर 6 माह तक राष्ट्रपति शासन रहता है। इसे 6-6 महीने करके 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

1998 को प्रेम कुमार धूमल राज्य के मुख्यमंत्री बने

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प्रेम कुमार धूमल

प्रेम कुमार धूमल ने 24 मार्च 1998 से 05 मार्च 2003 तक राज्य में मुख्यमंत्री पद को संभाला। प्रेम कुमार धूमल का जन्म 10 अप्रैल 1944 को हिमाचल प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम महंत राम था तथा माता का नाम फुलमु देवी था।

प्रेम कुमार धूमल की राजनीति यात्रा

.1982 में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष बने।
• 1984 में हमीरपुर में लोकसभा चुनाव हारने के बाद , उन्होंने 1989 के आम चुनाव में इसी निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की।
• 1993 में वह हिमाचल प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष बने।
• 1998 में वह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
• 2003 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद भाजपा ने उन्हें विपक्ष का नेता बनाया।
• दिसंबर 2007 में वह दूसरी बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, जब भाजपा सरकार राज्य सत्ता में आई थी।
• 2012 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद, पार्टी ने उन्हें विपक्ष का नेता बनाया।
प्रेम कुमार धूमल 30 दिसंबर 2007 से 25 दिसंबर 2012 तक एक बार फिर हिमाचल के मुख्यमंत्री बने।

2017 को जयराम ठाकुर राज्य के मुख्यमंत्री बने

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जयराम ठाकुर

जयराम ठाकुर ने 27 दिसंबर 2017 से अब तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी 1965 को हिमाचल में हुआ था।

जयराम ठाकुर का राजनीति करियर

1986 में, हिमाचल प्रदेश के अखिल भारतीय छात्र परिषद (एबीवीपी) के संयुक्त सचिव बने।
1989-93 जम्मू और कश्मीर में एबीवीपी के आयोजन सचिव बने।
1993-95 हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के राज्य सचिव बने।
1998 में, हिमाचल प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए।
2000-2003 हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
2003 में, हिमाचल प्रदेश विधान सभा में दोबारा से निर्वाचित हुए।
2003-2005 हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
2007 में, हिमाचल प्रदेश विधान सभा में फिर से निर्वाचित हुए।
2012 में, हिमाचल प्रदेश विधान सभा के लिए चौथी बार चुने गए।
2017 में, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए पांचवीं बार निर्वाचित हुए और 27 दिसंबर को उन्होंने हिमाचल प्रदेश के 14 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथग्रहण की।

हिमाचल में सबसे ज्यादा कांग्रेस ने राज किया

हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा कांग्रेस का ही राज रहा है। इसमें सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड वीर भद्र सिंह के नाम दर्ज है। वीर भद्र सिंह 21 साल से ज्यादा समय तक सूबे के मुख्यमंत्री रहे। उन्हें पांच बार हिमाचल प्रदेश के मुखिया बनने का मौका मिला। इसके पहले कांग्रेस के यशवंत सिंह परमार 18 साल से अधिक समय तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।  वीरभद्र सिंह की तरह ही यशवंत सिंह भी पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे। इन दोनों के अलावा ठाकुर राम लाल तीन बार, शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल ने दो-दो बार राज्य की कमान संभाली। इसके अलावा दो बार राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लगा।

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Edit By Deshhit News

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