2012 में उत्तरी दिल्ली में 104 सीटें थी। बहुमत के लिए 53 सीट अनिवार्य होती हैं। 2012 में बीजेपी ने 59, कांग्रेस ने 29 और अन्य के हाथ 16 सीटें लगी थीं।
नई दिल्ली: कुछ ही देर में दिल्ली में नगर निगम चुनाव के नतीजे आने वाले हैं। थोड़ी ही देर में पता चला जाएगा कि दिल्ली के दिल में क्या है? पता यह लग जाएगा कि दिल्ली के लोग अरविंद केजरीवाल की झाडु से कूड़े का ढेर साफ करने वाले हैं या फिर पिछले 15 सालों से एमसीडी की गद्दी पर बैठी बीजेपी इस बार भी नगर निगम की गद्दी पर बैठी रहेगी। गौरतलब है कि एमसीडी का कार्यकाल मई में खत्म हो चुका है। 4 दिसंबर को दिल्ली में एमसीडी के चुनाव हुए थे और आज यानि 7 दिसंबर को दिल्ली के नगर निगम चुनाव के नतीजे आने वाले हैं। नतीजे आने में बस थोड़ा ही समय बचा हुआ है। इससे पहले आप एमसीडी के इतिहास के बारे में जान लीजिए।
दिल्ली नगर निगम का इतिहास
- ‘बंबई नगर निगम’ की तर्ज पर दिल्ली नगर निगम की स्थापना की गई।
- दिल्ली नगर निगम अधिनियम विधेयक को 28 दिसंबर 1957 को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी।
- इसके बाद 7 अप्रैल 1958 से नगर निगम अस्तित्व में आया।
- दिल्ली को करीब 1860 में शुरू नगरीय प्रशासन प्रणाली से मुक्ति मिली।
- इसके बाद फिर दिल्ली को पहला मेयर मिला।
- दिल्ली की पहली मेयर अरूणा आसिफ अली थी।
- हालांकि चुने गए पहले मेयर त्रिलोक चंद शर्मा थे।
- दिल्ली नगर निगम की पहली बैठक को तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने संबोधित किया था।
- निगम का मुख्यालय चांदनी चौक इलाके में स्थित ऐतहासिक टाउन हॉल को बनाया गया।
- कार्यालय से एमसीडी ने 2000 के दशक तक काम किया।
- 1958 में दिल्ली नगर निगम में 80 पार्षद होते थे।
- 2017 में कुल 272 पार्षद चुने गए।
- नए परिसीमन के बाद अब 250 पार्षद चुने जाएंगे।
दिल्ली नगर निगम में पहले और अब में कितना अंतर ?
- 2011 से पहले दिल्ली नगर निगम एक था।
- 2011 में दिल्ली नगर निगम 3 भांगो में बंट गया। जो 2012 में लागू हुआ।
- 22 मई 2022 को तीन नगर निगम मिलाकर एक हुए।
- दिल्ली में पहले 272 वार्ड थे।
एमसीडी की बड़ी बातें
- विश्व के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है।
- दिल्ली नगर निगम करीब 2 करोड़ लोगों के लिए काम करता है, जो श्रीलंका देश की आबादी के करीब बराबर है।
एरिया
- दिल्ली नगर निगम का एरिया 1,397 वर्ग किलोमीटर है।
यह भारत के 4 केंद्र शासित प्रदेश के एरिया के जोड़ से भी ज्यादा है।
बजट
- दिल्ली नगर निगम का 2022-23 का बजट 15,276 करोड़ रुपये है।
निगम का बजट देश के 3 राज्यों/UT के बजट से ज्यादा है।
नए नगर निगम में वार्ड
- अभी नगर निगम में कुल 250 वार्ड हैं, जिसमें 42 सीटें एससी समाज के लिए आरक्षित हैं
- कुल 12 जोन हैं और मुख्यालय एस पी मुखर्जी सिविक सेंटर, नई दिल्ली में है।
एमसीडी के स्कूल
- कुल प्राइमरी स्कूल 1,646 हैं।
- इन स्कूलों में 8 लाख 71 हजार छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं।
एमसीडी चुनाव में BJP
- एमसीडी में बीजेपी लगातार 15 साल से काबिज है। 2007 से लगातार बीजेपी एमसीडी चुनाव जीत रही है हालांकि इस दौरान बीजेपी कभी दिल्ली में सरकार नहीं बना पाई।
एमसीडी चुनाव में AAP
- दिल्ली में आप आदमी पार्टी 2015 से सत्ता में है। 2017 में नगर निगम चुनाव में आप ने एंट्री मारी थी। आप को 272 में से 49 सीटों पर जीत मिली थी।
एमसीडी चुनाव में कांग्रेस
- कांग्रेस 1998 से 2013 तक दिल्ली में सत्ता में थी, लेकिन 2007 और 2012 में एमसीडी का चुनाव हार गई थी। 2017 में कांग्रेस को सिर्फ 31 सीटों पर जीत मिली थी।
2017- दिल्ली नगर निगम के नतीजे
उत्तरी दिल्ली
उत्तरी दिल्ली में कुल 104 सीटें हैं। एमसीडी में बहुमत बनाने के लिए 53 सीटें जरुरी होती हैं। 2017 में बीजेपी ने 64 सीटों पर कब्जा कर दिल्ली एमसीडी की गद्दी अपने नाम कर ली थी। आम आदमी पार्टी ने 21 सीटें अपने नाम की थी। वहीं कांग्रेस ने 16 तो अन्य ने 3 सीटें अपने नाम की थीं।
दक्षिणी दिल्ली
दक्षिणी दिल्ली में भी 104 सीटें हैं। यहां पर भी जीत हाासिल करने के लिए 53 सीट अनिवार्य होती हैं। 2017 में बीजेपी ने दक्षिणी दिल्ली में 70 सीटें अपने नाम कर बड़ी जीत हासिल की थी। आप ने 16 सीटें दक्षिणी दिल्ली में अपने नाम की थी। वहीं कांग्रेस ने 12 तो अन्य ने 6 सीटें अपने नाम की थीं।
पूर्वी दिल्ली
एमसीडी में पूर्वी दिल्ली में 64 सीटें हैं। बहुमत के लिए 33 सीटें जरुरी होती हैं। 2017 में बीजेपी ने पूर्वी दिल्ली में 47 सीटें अपने नाम की थी। आप ने 12 सीटें अपने नाम की थीं। वहीं काग्रेंस ने 3 तो अन्य ने 2 सीटें अपने नाम की थीं।
2012- दिल्ली नगर निगम के नतीजे
उत्तरी दिल्ली
उत्तरी दिल्ली में 104 सीटें थी। बहुमत के लिए 53 सीट अनिवार्य होती हैं। 2012 में बीजेपी ने 59, कांग्रेस ने 29 और अन्य के हाथ 16 सीटें लगी थीं।
दक्षिण दिल्ली
दक्षिणी दिल्ली में 104 सीटें थीं। बहुमत के लिए 53 सीट अनिवार्य थीं। बीजेपी ने 44, कांग्रेस ने 29 और अन्य ने 31 सीटें अपने नाम की थीं।
पूर्वी दिल्ली
पूर्वी दिल्ली में कुल 64 सीट थीं। बहुमत के लिए 33 सीटें अनिवार्य थीं। बीजेपी ने 35 सीटें, कांग्रेस ने 19 और अन्य ने 10 सीटें अपने नाम की थीं।
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