नई दिल्ली: आज कर्नाटक के चुनावों की तारीख का ऐलान हो गया। राज्य में 10 मई को वोटिंग होगी और 13 मई को चुनाव के नतीजे आएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी साझा की। बता दें, कर्नाटक में कुल मतदाताओं की संख्या 5 करोड़, 21 लाख 73 हजार, 5 सौ 79 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या लगभग 2.6 करोड़ है। प्रदेश में लगभग 9.17 लाख मतदाता पहली बार वोट डालेंगे। कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है। 224 सदस्यीय सदन में कांग्रेस के पास 68 विधायक हैं। हालांकि, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 80 , जेडीएस ने 37 और भाजपा ने 104 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल 25 मई को समाप्त होने वाला है।
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चुनावी विशेषज्ञों की मानें तो मुकाबला मुख्यत: दो पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस के बीच होना है लेकिन कई सीटों पर जेडीएस जैसे क्षेत्रीय दल भी कई सीटों पर खेल बिगाड़ सकते हैं। सवाल यह भी हैं कि चुनावी तारीखों की घोषणा तो हो गई है लेकिन राज्य में किन मुद्दों पर चुनाव लड़े जाएंगे? क्या ये चुनाव हिंदुत्व के मुद्दे पर होगा? हिजाब के मुद्दे पर होगा? या फिर मुस्लिमों को दिए गए आरक्षण के मुद्दे पर होगा। बता दें, आने वाले दिनों में इसको लेकर के भी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बड़े मुद्दे की बात करें तो राज्य में आरक्षण को लेकर विवाद चल रहा है। इसके अलावा महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद को लेकर भी राज्य की सरकारें आमने-सामने आ चुकी हैं। राज्य की जब भी बात होती है तो सांप्रदायिक तनाव का जिक्र भी आता है।इसके अलावा भ्रष्टाचार भी बड़ा मुद्दा है।
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में तीन समुदाय ऐसे हैं। जिन पर सभी राजनीतिक पार्टियों की नजर रहती है। इसमें लिंगायत समुदाय को सबसे अहम माना जाता है। राज्य की 75-80 सीटों पर इनका प्रभाव है। इसके बाद वोक्कालिगा का जिक्र आता है। जिसका 55 से 60 सीटों पर प्रभाव है। वहीं, कुरुबा समुदाय का भी राज्य की 25-30 सीटों पर प्रभाव है।
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