नई दिल्ली: राहुल गांधी को मानहानि मामले में सूरत की निचली अदालत के दोषी मानने पर, उन्हें दो साल की सजा देने पर और लोकसभा सदस्यता को रद्द करने पर निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ राहुल गांधी ने उच्च अदालत में याचिका दाखिल की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए उच्च अदातल ने राहुल को 13 अप्रैल तक जमानत दे दी है। इस मामले में उच्च अदालत अगली सुनवाई 3 मई को करेगी। बता दें, राहुल गांधी ने उच्च अदालत में जो याचिका दाखिल की थी। उसमें राहुल गांधी ने कहा था कि उनका भाषण (सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों है’) नरेंद्र मोदी, नीरव मोदी और ललित मोदी के संबंध में थे, न कि पूरे मोदी समुदाय के संबंध में। “13 करोड़ मोदी हैं और स्पष्ट रूप से उपरोक्त निर्णयों के अनुपात के अनुसार सभी 13 करोड़ लोगों को शिकायत दर्ज करने का अधिकार नहीं होगा। इसलिए इस मामले में सिर्फ नरेंद्र मोदी को शिकायत करने का अधिकार था। मामले में पूर्णेश मोदी को शिकायत दर्ज करने का कोई अधिकार नहीं है और पूर्णेश मोदी की शिकायत टिकाऊ नहीं है। उच्च अदालत को पेश की गई राहुल गांधी की इस याचिका को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कोर्ट पर दबाव डालना कहा है। इसी के साथ उन्होंने राहुल को ओबीसी समुदाय का अपमान करने के मामले में आड़े हाथ ले लिया है।
कांग्रेस पार्टी के पास केवल देशद्रोही की विचारधारा है – ज्योतिरादित्य सिंधिया

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की अब कोई विचारधारा नहीं बची है। कांग्रेस पार्टी की केवल एक विचारधारा है और वह देशद्रोही की विचारधारा है। सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पर देश के खिलाफ काम करने और देश के लोकतंत्र के मंदिर संसद को नहीं चलने देने का आरोप लगाते हुए कहा कि माफी मांगने से कोई शख्स छोटा नहीं हो जाता है, लेकिन यहां माफी मांगने के बजाय व्यक्तिगत कानूनी लड़ाई को लोकतंत्र की कानूनी लड़ाई में बदला जा रहा है।
राहुल गांधी और कांग्रेस की विचारधारा न्यायालय पर दबाव डालने की है – ज्योतिरादित्य सिंधिया

राहुल गांधी द्वारा जमानत के लिए मुख्यमंत्रियों और नेताओं की फौज के साथ जाने की आलोचना करते हुए सिंधिया ने कहा कि यह राहुल गांधी और कांग्रेस के न्यायालय पर दबाव डालने और धमकी देने की विचारधारा को बताता है। उन्होंने कहा कि देश कांग्रेस की इस विचारधारा को पहचान गया है और देश की जनता ने एक बार नहीं कई बार इसका जवाब दिया है।
यह पहली बार नहीं है, जब किसी संसद की सदस्यता गई हो – ज्योतिरादित्य सिंधिया

इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि यह पहली बार नहीं है। जब किसी संसद की सदस्यता गई हो, पिछले 10 वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ऐसा कई व्यक्तियों के साथ हो चुका है। उन्होंने राहुल गांधी को याद दिलाते हुए कहा कि 2013 में मनमोहन सिंह की सरकार के समय जब तत्कालीन कानून मंत्री कपिल सिब्बल इसे लेकर अध्यादेश लाए थे, उस समय राहुल गांधी ने स्वयं यह कहा था कि इस अध्यादेश को फाड़कर कचरे की टोकरी में फेंक देना चाहिए, तो आज यह हिप्पोक्रेसी क्यों दिखाई जा रही है। कांग्रेस पार्टी को इसका जवाब देना चाहिए।
सितंबर, 2013 में राहुल गांधी ने कपिल सिब्बल के इस अध्यादेश को दिया था बेतुका करार

दरअसल, सितंबर, 2013 में राहुल गांधी ने कपिल सिब्बल के एक ऐसे अध्यादेश को बेतुका करार दिया था जो आज उनकी सदस्यता पर मंडराए संकट से उन्हें बचा सकता था। उस वक्त यूपीए सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी जिसमें कहा गया था कि कुछ शर्तों के तहत अदालत में दोषी पाए जाने के बाद भी सांसदों और विधायकों को अयोग्य करार नहीं दिया जा सकेगा। उस वक्त राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी में उपाध्यक्ष थे। तब उन्होंने ‘दागी सांसदों और विधायकों’ पर लाए गए यूपीए सरकार के अध्यादेश को ‘बेतुका’ करार देते हुए कहा था कि इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए। बयान देते हुए तब राहुल गांधी ने कहा था, “इस देश में लोग अगर वास्तव में भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं तो हम ऐसे छोटे समझौते नहीं कर सकते हैं।”राहुल गांधी का कहना था, ”जब हम एक छोटा समझौता करते हैं तो हम हर तरह के समझौते करने लगते हैं। ”
Edit By Deshhit News