भारत ने इस जीत की भारी कीमत भी चुकाई। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सैन्य बलों के लगभग 12,189 जवान या तो मारे गए, दिव्यांग हो गए या लापता हुए।
नई दिल्ली: 16 दिसबंर की तारीख भारत के इतिहास में देश को गौरवान्वित करने वाली तारीख है। आज से 51 साल पहले सन् 1971 में भारत और पाकिस्तान के युद्ध में भारत ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। इस युद्ध के अंत में 93,000 पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इसलिए आज का दिन को हर भारतवासी विजय दिवस के रुप में मनाता है। आइए हम आपको यह बताते है कि साल 1971 में आखिर किस कारण हुआ था? भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध….

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भारत ने इस जीत की चुकाई थी बड़ी कीमत

भारत और पाकिस्तान के बीच 3 दिसंबर, 1971 को युद्ध शुरु हुआ और 13 दिनों तक दोनों देशों की सेनाओं ने युद्ध किया। 16 दिसंबर, 1971 को आधिकारिक तौर पर युद्ध खत्म हुआ और पाकिस्तान ने भारत के सामने सरेंडर किया। ये जीत भारत की सबसे बड़ी सैन्य जीतों में से एक थी। भारत ने इस जीत की भारी कीमत भी चुकाई। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सैन्य बलों के लगभग 12,189 जवान या तो मारे गए, दिव्यांग हो गए या लापता हुए।
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का कारण ?

दरअसल् 1947 विभाजन के बाद पाकिस्तान के हिस्से में दो तरफ के जमीन के हिस्से आए। एक भारत के पश्चिम का और एक भारत के पूर्व का। उस दौर में बंगाल से सटे पूर्वी हिस्से को पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था। पूर्वी पाकिस्तान में लगभग 75 मिलियन बंगाली बोलने वाले हिन्दू और मुस्लिम रहते थे। बंगाली मुसलमान अलग दिखते थे और उनकी राजनैतिक विचारधारा भी अलग थी। बंगाली मुसलमानों की विचारधारा उदारवादी थी यानि वे लिब्रल सोच रखते थे। पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान के बीच न सिर्फ 1600 किलोमीटर की जमीनी दूरी थी बल्कि दोनों हिस्सों की सोच, खान-पान, बोली सबकुछ अलग था।

पश्चिम पाकिस्तान के अधिकारियों ने बंगाली भाषा, बंगाली संस्कृति को खत्म करने की जीतोड़ कोशिश की और इस अन्याय ने पूर्वी पाकिस्तान के सीने में धधक रही आग के लिए हवा का काम किया।

पूर्वी बांग्लादेश में अलग राष्ट्र बनने के स्वर तेज होने लगे। जब पाकिस्तान ने 1951 में उर्दू को देश की राष्ट्रभाषा घोषित कर दी तो उधर पूर्व में विरोध की हूंकार भरी गई। लोगों ने बांग्ला को दूसरी भाषा घोषित करने की अपील की लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने एक न सुनी।
पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिम पाकिस्तान के बीच तनाव 1947 से ही चल रहा था। 1970 के चुनाव ने दुनिया को दिखा दिया कि पूर्वी पाकिस्तान के बाशिंदे असल में क्या चाहते हैं। पाकिस्तान के बनने के बाद ये पहला आम लोकतांत्रिक चुनाव था। शेख मुजीबुर रहमान की आवामी लीग ने ऐतिहासिक जीत हासिल की लेकिन पश्चिम पाकिस्तान ने उन्हें सरकार बनाने नहीं दिया। पश्चिम पाकिस्तान के प्रधानमंत्री याह्या खान ने पूर्वी पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगा दिया।

पश्चिम पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध से पहले के कुछ महीनों में पूर्वी पाकिस्तान की सड़कें चीखों से गूंजा दिए और खून से रंग दिए। पाकिस्तानी सेना ने जो किया उसकी तुलना हिटलर के होलोकॉस्ट से की जाती है। मार्च 1971 में पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान से देशभक्ति, भाषा भक्ति को निकाल बाहर करने की ठान ली। ऑपरेशन सर्चलाइट चलाया गया और बंगाली राष्ट्रवादियों की बेरहमी से हत्या शुरु कर दी गई। गौतरलब है कि बांग्लादेश की आजादी में महिलाओं और पुरुषों दोनों ने ही संघर्ष किया।

बांग्लादेश में मुक्ति बाहिनी अपने तरीके से लड़ाई लड़ रही थी। कॉलेज के युवक-युवतियां, आम लोग सभी आजादी के लिए लड़ रहे थे, संघर्ष कर रहे थे। बांग्लादेश लिब्रेशन वॉर के दौरान भारत ने बांग्लादेश की राशन भेजकर, सेना भेजकर सहायता की। युद्ध के दौरान ही हजारों की संख्या में बांग्लादेशियों ने भारत में शरण ली। 3 दिसंबर को जब पाकिस्तान एयर फोर्स ने भारत के 11 एयर फोर्स बेस पर हमला शुरु किया तब युद्ध का उद्घोष हुआ था।

16 दिसंबर एक ऐसी तारीख है जो भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। भारत आज स्वर्णिम विजय दिवस मना रहा है। भारत की जीत के साथ ही नए देश बांग्लादेश का नवनिर्माण हुआ। ऐतिहासिक जीत के साथ ही दुनियाभर में भारत की सैन्य शक्तियों- भारतीय सेना, भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना का लोहा माना। पाकिस्तानी सेना की हैवानियत को बांग्लादेश की जनता नहीं भूल सकती लेकिन बांग्लादेश लिब्रेशन वॉर क्रांति और गणतंत्र का उत्कृष्ट उदाहरण है।
Edit By Deshhit News