दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में शुरू किए गए हैप्पीनेस करिकुलम के चार साल पूरे होने के अवसर पर 15 दिनों तक हैप्पीनेस उत्सव मनाया और आज यानी 29 जुलाई को बड़े ही धूम धाम से इसका समापन समारोह मनाया जा रहा है. दिल्ली में इस हैप्पीनेस उत्सव के समापन कार्यक्रम है पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने सभी बच्चों को सम्भोधित किया और तो और सभी ने ड्रम बजाकर इस मौके पर चार चाँद लगा दिए.
HAPPINESS WEEK 2022: दिल्ली में सरकारी स्कूलों में शुरू किए गए हैप्पीनेस कार्यक्रम के चार साल पुरे होने पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने जुलाई 2022 में हैप्पीनेस उत्सव मनाने का ऐलान किया था. आज 29 जुलाई को 15 दिनों तक चले इस उत्सव का दिल्ली में त्यागराज स्टेडियम में समापन कार्यक्रम मनाया जा रहा है. इस समापन समारोह में दिल्ली के CM केजरीवाल सहित उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और ब्रह्माकुमारी शिवानी जैसे कई दिग्गज मौजूद रहे. इस अवसर पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने संबोधित करते हुए सरकारी स्कूल के एक बच्चे का किस्सा सुनाया और सभी बच्चों से बड़े बेहतरीन तरीके से संवाद किया. और तो और आपको बता दें कि सीएम, डिप्टी सीएम के साथ साथ सभी ने ड्रम बजाया और पुरे माहोल को बेहद खुशनुमा बना दिया.
एक बच्चे का सुनाया किस्सा

सीएम केजरीवाल ने संवाद करने के दौरान कहा कि, ‘मुझे याद है जब दिल्ली के एक सरकारी स्कूल के बच्चे ने बोला था “देश का भविष्य प्राइवेट स्कूल के बच्चे ही होते हैं, हम नहीं।” हमने 5 साल में 90,000 करोड़ एजुकेशन पर खर्च किया है. अब वो बच्चा कहता है “सरकारी स्कूल के बच्चे भी देश का भविष्य हैं।” हम सरकारी स्कूलों में ऐसे बच्चे तैयार करना चाहते हैं जो आने वाले समय में देश में नफरत नहीं, प्यार-मोहब्बत फैलाएं, जिससे हमारा देश दुनिया का नंबर 1 देश बन सके’.
क्या है ‘हैप्पीनेस उत्सव’!

दिल्ली में सरकारी स्कूलों में शिक्षा के लेवल को बेहतर बनाने के लिए चार साल पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हैप्पीनेस करिकुलम की शुरुआत हुई थी. आदरणीय दलाई लामा जी की उपस्थिति में इसे लॉन्च किया गया था. बता दें, दिल्ली के 18 लाख बच्चे रोज एक साथ हैप्पीनेस क्लास में शामिल होते हैं. इतनी अच्छी वाइब्रेशन से बच्चों पर सकारात्मक असर पड़ता नज़र आ रहा है. और तो और एंटरप्रेन्योरशिप क्लासेज से अकैदेमिक प्रेशर खत्म करने में मदद मिल रही है साथ ही व्यवसाय करने का आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है. बताया जा रहा है कि पेरेंट्स मानते हैं कि उनके बच्चों के व्यवहार में बदलाव आया है. साथ ही साथ टीचर्स भी ये मानते है कि उन्होंने इस करिकुलम के माध्यम से खुद में और विद्यार्थियों में सकारात्मक बदलाव देखा है. बच्चे स्वयं यह मानते है कि उनका पढ़ाई में फोकस बढ़ा है और उन्हें स्ट्रेस-फ्री रहने में काफी मदद मिली है.