नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने 10 अप्रैल 2023 को आम आदमी पार्टी (AAP) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया। निर्वाचन आयोग ने AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया तो वहीं तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) का राष्ट्रीय दल का दर्जा वापस ले लिया। TMC, NCP और CPI राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिनने पर चुनाव आयोग ने साफ किया कि इन दलों को पर्याप्त मौके दिये गये लेकिन इसके बाद भी उनका वोट शेयर प्रतिशत 6 प्रतिशत से नीचे रहा है। पिछले 2 संसदीय चुनाव और 21 राज्य विधानसभा चुनावों में इन राजनीतिक दलों को पर्याप्त मौके दिये गये लेकिन रिव्यू करने के बाद इनके प्रदर्शन में जो गिरावट दिखी वो नियमानुसार राष्ट्रीय दल की परिभाषा पर खरा नहीं उतर रहा था। इसके चलते उनका स्टेटस छीन लिया गया है। हालांकि, ये दल अगले चुनावों में प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय दल का दर्जा वापस हासिल कर सकते हैं।
कैसे मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा?
कोई भी दल जिसे चार राज्यों में प्रादेशिक (क्षेत्रीय दल) का दर्जा प्राप्त है। उस दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल होता है या कोई दल तीन अलग- अलग राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 2 फीसदी सीटें जीतती है। यानी कम से कम 11 सीटें जीतना जरूरी होता है लेकिन यह 11 सीटें किसी एक राज्य से न होकर तीन अलग- अलग राज्यों से होनी चाहिए या यदि कोई पार्टी 4 लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6 फीसदी वोट हासिल करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है।
आप को इसलिए मिला राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
![AAP को मिला राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा, ममता बनर्जी और शरद पवार की पार्टी को बड़ा झटका लिस्ट से हुई बाहर - AAP got the status of a national party Mamta Banerjee](https://images.moneycontrol.com/static-hindinews/2023/04/AAM-National-Party-637x435.jpg?impolicy=website&width=770&height=431)
AAP को चार राज्यों-दिल्ली, गोवा, पंजाब और गुजरात में उसके चुनावी प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी दिल्ली और पंजाब में सत्ता में है। आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह झाडू है। भारत में अब 6 राष्ट्रीय पार्टी है। जिनमें भारतीय जनता पार्टी , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), आम आदमी पार्टी ,बहुजन समाज पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी शामिल है।
तो चलिए आगे जानते है भारत की 6 राषट्री पार्टी का इतिहास
भाजपा
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भारतीय जनता पार्टी 6 अप्रैल 2023 को 41 साल की हो गई। 41 साल की उम्र में बीजेपी किसी युवा की तरह कामयाबी की बुलंदियों पर विराजमान है। बीजेपी आज की तारीख में देश की सबसे बड़ी और प्रभावशाली पार्टी है। बीजेपी ने इस मुकाम पर पहुंचने के लिए शून्य से सफर से शुरू किया था। भारतीय जनता पार्टी जिसका नाम पहले भारतीय जनसंघ था। जिसकी स्थापना 1951में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी, इस पार्टी का चुनाव चिह्न दीपक था। इसने 1952के संसदीय चुनाव में 3सीटें प्राप्त की थी। जिसमें डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी शामिल थे। सन् 1980 में जनता पार्टी टूट गयी। 6 अप्रैल 1980को अस्तित्व में आई भारतीय जनता पार्टी। भारतीय जनसंघ के एक गुट ने अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में जनसंघ से अलग होकर समाजवादी और गांधीवादी विचारधारा के नेताओं के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी का गठन किया। भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह कमल का फूल रखा गया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसम्बर 1885 को हुई थी। इसकी शुरुआत एक ब्रिटिश सिविल सेवक एलन ऑक्टेवियन ह्यूम ने दादाभाई नौरोजी और दिनशॉ वाचा के साथ मिलकर की थी। इस दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का पहला सत्र बॉम्बे में आयोजित किया गया था और 31 दिसंबर तक जारी रहा। इसे आज लोग कांग्रेस पार्टी के नाम से जानते हैं। यह भारत की दो प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक है। 1947 में आजादी के बाद, कांग्रेस भारत की राजनीतिक पार्टी बन गई। कुल मिलाकर आजादी से लेकर 2019 तक, 17 लोकसभा चुनावों में से, कांग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत जीता है और 4 में गठबंधन का नेतृत्व किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा है।
आम आदमी पार्टी
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गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी (आप) की स्थापना 2 अक्टूबर 2012 को हुई। औपचारिक रूप से पार्टी की शुरुआत 26 नवंबर 2012 को हुई। अन्ना के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले अरविंद केजरीवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव, शाजिया इल्मी और आनंद कुमार जैसे लोग इसके संस्थापकों में शामिल थे। हालांकि ये अलग बात है कि अरविंद केजरीवाल के अलावा बाकी सभी संस्थापक सदस्य अब आप से दूरी बना चुके हैं। वर्तमान में इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल हैं। पार्टी का चुनाव चिह्न झाड़ू है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
![भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) - विकिपीडिया](https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/7/72/CPI-M-flag.svg/1200px-CPI-M-flag.svg.png)
इसकी स्थापना 26 दिसंबर 1925 को कानपुर में हुई थी। 1964 में चीन और सोवियत संघ को लेकर हुए वैचारिक मतभेद के कारण कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी का गठन किया गया था। सीपीआई मूल रूप से सोवियत संघ से प्रेरित पार्टी रही है। वर्तमान में इसके सेक्रेटरी जनरल एस सुधाकर रेड्डी हैं और राज्य सभा में इसके नेता डी राजा हैं। लोकसभा में इसके एक और राज्यसभा में दो सदस्य हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव चिन्ह हथौड़ा और दराती है।
बहुजन समाज पार्टी
![राजद, जदयू और भाकपा ने मनायी आंबेडकर की जयंती - हिन्दुस्थान समाचार](https://www.hindusthansamachar.in/Encyc/2023/4/14/WEB_bahujan_samaj_party_573.jpg)
बहुजन समाज पार्टी, जिसे बसपा के नाम से जाना जाता है, बीएसपी का चुनाव चिन्ह ‘हाथी’ है। इसकी स्थापना 1984 में दलित समुदाय के एक सदस्य कांशी राम ने की थी। कांशी राम डॉ बी.आर. अम्बेडकर की शिक्षाओं से प्रेरित थे, जिन्हें प्यार से बाबासाहब कहा जाता था और जो भारत के संविधान के मुख्य वास्तुकार थे। कांशी राम के खराब स्वास्थ्य के कारण 1993 में मायावती ने बसपा अध्यक्ष की कुर्सी संभाली। बहुजन समाज पार्टी का मुख्य आधार उत्तर प्रदेश राज्य में है, जहां 2012 में प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी से हारने से पहले मायावती ने चार बार मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उत्तरप्रदेश में पार्टी का सबसे अच्छा प्रदर्शन 2007 में रहा। जब पार्टी ने बसपा सुप्रिमो मायावती के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई। पार्टी का सबसे बुरा प्रदर्शन 2017 के भी विधानसभा चुनावों में रहा। जब पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा। कभी पूर्ण बहुमत पाने वाली बसपा इस चुनाव में सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई।
नेशनल पीपुल्स पार्टी
![नेशनल पीपुल्स पार्टी का राज्य विधानसभाओं के चुनाव अपने बल पर लड़ने का एलान - Amrit Vichar](https://www.amritvichar.com/media/392/2022-08/capture-1298.jpg)
नेशनल पीपुल्स पार्टी का गठन कभी कांग्रेसी नेता रहे और लोकसभा के पूर्व स्पीकर पीए संगमा ने किया था। बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी और शरद पवार के साथ मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानि एनसीपी का गठन किया था। ये पार्टी पार्टी जुलाई 2012 में बनी। फिर 07 जून 2019 को इसको राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी मिल गया। ये नार्थईस्ट की अकेली पार्टी है, जिसे राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल है। हालांकि, इसका असर मेघालय तक ही है। एनपीपी का चुनाव चिन्ह पुस्तक है। पार्टी का चुनाव चिन्ह काफी हद तक एनपीपी की नीतियों को भी दिखाता है, जो ये मानता है कि कमजोर वर्ग को साक्षरता और शिक्षा ही अधिकार संपन्न कर सकती है।