इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद में चकरनगर क्षेत्र का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व सदैव से रहा है। यहाँ स्थित कालेश्वर मंदिर पांडवों का ऐतिहासिक स्थान माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान कई वर्ष इसी मंदिर पर रहकर तपस्या की थी।
पंचनद संगम:
यह मंदिर पांच नदियों: यमुना, चंबल, सिंध, पहुज और क्वांरी के संगम पर स्थित है, जिसे पचनदा के नाम से जाना जाता है। यह पवित्र संगम श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।
अन्य मंदिर और चमत्कार:
पंचनद संगम के समीप ही एक और प्रसिद्ध मंदिर है, जो अनेक आस्थाओं का प्रतीक है। यह मंदिर चंबल और यमुना नदी के किनारे वियाबान जंगल में स्थित है। यहाँ अनेक चमत्कारों की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिसके चलते देशभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
डाकुओं का आतंक और सुरक्षा:
एक समय में इस क्षेत्र में डाकुओं का आतंक हुआ करता था। शाम ढलते ही लोग अपने घरों में दुबक जाते थे।
मंदिर का महत्व:
यह मंदिर, जिसे परुषोत्तम बाबा के नाम से भी जाना जाता है, पांच नदियों के बीच घिरे गांव शेरगढ़ के पास स्थित है। श्रद्धा है कि जो भी इस मंदिर में दर्शन करने और मनोकामना लेकर आता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
हजारों श्रद्धालुओं का दर्शन:
इस मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
निष्कर्ष:
इटावा के चकरनगर क्षेत्र में स्थित पांच नदियों का संगम, कालेश्वर मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल न केवल आस्था का केंद्र हैं, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं।
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रिपोर्ट- रामकुमार राजपूत
इटावा उत्तर प्रदेश