Hindu Nav Varsh 2022: चैत्र नव-रात्रि से होती है नववर्ष की शुरुआत, जानें इसका वैज्ञानिक और पौराणिक महत्व

02 Apr, 2022
Deepa Rawat
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हिंदू नववर्ष की शुरुआत को लेकर जो पौराणिक मान्यता है उसकी मानें तो इसी दिन ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी. साथ ही यह मान्यता भी जुड़ी है कि प्रभु श्रीराम एवं धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी आज ही के दिन किया गया था.

नई दिल्ली: भारत के विभिन्न हिस्सों में नव वर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है. ज्यादातर ये तिथि मार्च और अप्रैल महीने क्व बीच में ही पड़ती है. पंजाब में नया साल बैशाखी नाम से 13 अप्रैल को मनाया जाता है. सिख नानकशाही कैलंडर के अनुसार 14 मार्च होला-मोहल्ला नया साल होता है. इसी तिथि के आसपास बंगाली तथा तमिल का नव वर्ष भी आता है. तेलगु का नया साल मार्च और अप्रैल के बीच में आता है. आंध्रप्रदेश में इसे एक युग का आगमन के रूप में मनाते हैं. यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है. तमिल में नया साल 13 या 14 अप्रैल को तमिलनाडु और केरल में मनाया जाता है. तमिलनाडु में पोंगल 15 जनवरी को नए साल के रूप में आधिकारिक तौर पर भी मनाया जाता है. कश्मीरी कैलेंडर नवरेह 19 मार्च को होता है. महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है, कन्नड का नया वर्ष उगाडी कर्नाटक के लोग चैत्र माह के पहले दिन को मनाते हैं, सिंधी उत्सव चेटी चंड, उगाड़ी और गुड़ी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है। मदुरै में चित्रैय महीने में चित्रैय तिरूविजा नए साल के रूप में मनाया जाता है। मारवाड़ी नया साल दीपावली के दिन होता है। गुजराती नया साल दीपावली के दूसरे दिन होता है। इस दिन जैन धर्म का नववर्ष भी होता है।लेकिन यह व्यापक नहीं है। अक्टूबर या नवंबर में आती है। बंगाली नया साल पोहेला बैसाखी 14 या 15 अप्रैल को आता है, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में भी इसी दिन में नया साल मनाया जाता है.

हिन्दू नववर्ष 2022 की शुभकामनाएँ

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हमने ऊपर दर्शाया है कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तिथि को नववर्ष मनाया जाता है और यही भारत की विविधता है लेकिन जब हम सिर्फ हिन्दू नववर्ष की बात करें तो ये हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष से नवरात्रि की शुरुआत होती है. वहीं, आज चैत्र के पहले नवरात्र से हिंदू नववर्ष 2022 भी शुरू होता है. हिंदू नववर्ष 2022 के पहले दिन को हिंदू संवत्सर या फिर विकर्म संवत के नाम से जाना जाता है. अलग-अलग जगहों पर इसे अलग तरीके से मनाया जाता है. महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक इस दिन को उगादी, पंजाब में बैसाखी और सिंधी चेती चंडी के नाम से मनाते हैं. इसे मनाने का भी सबका अपना अलग तरीका होता है. इस  बार हिंदू नव वर्ष 2022 की शुरुआत 2 अप्रैल से हुई है.

हिन्दू नववर्ष की शुरुआत

हिंदू नववर्ष की शुरुआत को लेकर जो पौराणिक मान्यता है उसकी मानें तो इसी दिन ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी. साथ ही यह मान्यता भी जुड़ी है कि प्रभु श्रीराम एवं धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी आज ही के दिन किया गया था. इस पूरे हिंदू कैंलेंडर में कुल 12 महीने होते हैं और हर महीना 30 दिन का होता है. इस कैलेंडर की गणन सूर्य के उदय के साथ की जाती है. इस पूरे विक्रम संवत कैलेंडर में हर महीने को दो भागों में बांटा गया है कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष. यह कैलेंडर अंग्रेजी के कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है.

हिन्दू नववर्ष की पौराणिक मान्यता के अनुसार आज ही के दिन भगवन श्री राम का राज्याभिषेक किया गया था

शक संवत और विक्रम संवत क्या अंतर है?

शक संवत की शुरुआत शक राजा कनिष्क के द्वारा 78 ईसा पूर्व में की गई. इसमें चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को सोलहवीं तारीख मानी गई. इसे बाद में राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में भारत में मान्यता दी गई और हिंदू धर्म के लोग इसी कैलेंडर के अनुसार इस दिन को हिंदू नववर्ष के रूप में मनाने लगे. यह केवल भारत ही नहीं नेपाल में भी प्रचलित है. हालांकि इसके साथ ही राजा विक्रमादित्य के जमाने में शुरू हुए कैलेंडर को विक्रम संवत माना गया और इसमें चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को उस महीने की पहली तारीख माना गया. जबकि इसकी गणना का विस्तार भी शक संवत की ही तरह है. आपको बता दें कि इन दोनों कैलेंडर के बीच 135 वर्ष का अंतर आता है. ऐसे में दोनों के वर्षों को आप जब ध्यान से देखेंगे तो पता चलेगा कि कैलेंडर के वर्ष एक दूसरे से कितने भिन्न हैं.

चैत्र मास शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो जाती है. हिंदू नव वर्ष का पहला त्योहार चैत्र नवरात्रि होती है. इस बार 2 अप्रैल से 10 अप्रैल तक नवरात्रि पर्व रहेगा. साल 2022 का यह नवसंवत्सर विक्रम संवत 2079 के नाम से भी जाना जाएगा. इस वर्ष के राजा शनि ग्रह हैं और मंत्री गुरु ग्रह हैं. शनि और गुरु का मंत्रिमंडल को संभालना कई जातकों के जीवन को प्रभावित करेगा. नव वर्ष के प्रारंभ में 1500 साल बाद कई विशेष संयोग बन रहे हैं.

साल 2022 का यह नवसंवत्सर विक्रम संवत 2079 के नाम से भी जाना जाएगा
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