नई दिल्ली: 13 जनवरी को PM मोदी ने वर्चुअली हरी झंडी दिखाकर गंगा विलास क्रूज को रवाना किया। क्रूज 51 दिनों तक 3200 किलोमीटर सफर कर गंगा और ब्रह्मपुत्र होते हुए डिब्रूगढ़ जाएगा। गौरतलब है कि क्रूज द्वारा सभी सांस्कृतिक और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
देश की सबसे लंबी रिवर यात्रा पर निकला क्रूज
51 दिनों तक यह क्रूज 3200 किलोमीटर की यात्रा में स्विस नागरिकों को काशी से असम के डिब्रूगढ़ तक यात्रा कराएगा। 18 कमरों वाले इस क्रूज में वह सारी लग्जरी वाहन से पर्यटकों को रामनगर स्थित पोर्ट पर ले जाया गया। वहां से पर्यटकों ने क्रूज की सवारी शुरू की। यह स्विस मेहमान गंगा विलास क्रूज से देश की सबसे लंबी रिवर क्रूज यात्रा पर निकला।
50 से अधिक जगहों पर रुकेगा क्रूज
बता दें कि क्रूज गंगा विलास भारत में निर्मित पहला रिवरशिप है। जो काशी से बोगीबील (डिब्रूगढ़) तक सबसे लंब लंबी जलयान (क्रूज) यात्रा कराएगी। ये यात्रा कुल 3200 किलोमीटर की होगी। 51 दिनों का यह सफर भारत और बांग्लादेश के 27 रिवर सिस्टम से गुजरेगा। यह यात्रा विश्व विरासत से जुड़े 50 से अधिक जगहों पर रुकेगी। यह जलायन राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों से भी गुजरेगा। जिनमें सुंदरबन डेल्टा और काजीरंगा नेशनल पार शामिल हैं। यात्रा उबाऊ न हो, इसलिए क्रूज पर गीत संगीत ,सांस्कृतिक कार्यक्रम, जिम आदि की भी सुविधाएं होंगी।
एक ही रिवर शिप द्वारा की जाने वाली सबसे लंबी यात्रा
गंगा विलास क्रूज आधुनिक सुविधा से युक्त और पूरी तरह सुरक्षित होगा। एक ही रिवर शिप द्वारा की जाने वाली सबसे लंबी यात्रा होगी। इस परियोजना ने भारत और बांग्लादेश को दुनिया के रिवर क्रूज नक्शे पर ला दिया है।
27 रिवर सिस्टम से होकर गुजरेगा क्रूज
मिली जानकारी के मुताबिक, क्रूज में सभी लग्जरी सुख सुविधाएं मौजूद है। कुल 31 स्विस यात्री क्रूज पर सवार हुए और 40 क्रू मेंबर को मिलाकर कुल 71 लोग क्रूज की यात्रा पर निकले। क्रूज में किसी फाइव स्टार होटल ज्यादा ही सुख-सुविधाएं मिलेंगी। क्रूज 27 रिवर सिस्टम से होकर गुजरेगी। इससे बांग्लादेश से कनेक्टिंग अच्छी होगी और जलमार्ग का विकास भी होगा।
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