इलेक्टोरल बॉन्ड,महत्वपूर्ण जानकारी का अभाव पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवालिया निशान

15 Mar, 2024
Head office
Share on :

प्रमुख बिंदु:

  • 15 मार्च 2024 को चुनाव आयोग द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सार्वजनिक किया गया था।
  • दानदाताओं के नाम, कंपनियों/व्यक्तियों द्वारा खरीदे गए बॉन्ड की संख्या और विशिष्ट राजनीतिक दलों को प्राप्त धनराशि जैसी महत्वपूर्ण जानकारी अभी भी गायब है।
  • यह जानकारी चुनावों में धन के प्रवाह को पारदर्शी बनाने, राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाने और अनुचित प्रभाव को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • चुनाव आयोग का तर्क है कि यह जानकारी गोपनीय है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने केवल बैंक शाखाओं और शहरों का नाम सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।
  • यह मुद्दा चुनावी सुधारों और लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व से जुड़ा हुआ है।
  • आगे क्या होगा: चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है और सुप्रीम कोर्ट दानदाताओं के नाम और अन्य जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश दे सकता है।

विश्लेषण:

इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सार्वजनिक करना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन महत्वपूर्ण जानकारी का अभाव पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवालिया निशान खड़ा करता है। यह जानकारी चुनावों में धन के प्रवाह को लेकर जनता की चिंताओं को दूर करने में मदद कर सकती है।

निष्कर्ष:

चुनाव आयोग को दानदाताओं के नाम और अन्य जानकारी सार्वजनिक करने के लिए कदम उठाने चाहिए। यह लोकतंत्र में विश्वास को मजबूत करने और चुनावों को अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने में मदद करेगा।

अतिरिक्त जानकारी:

  • चुनावी बॉन्ड योजना 2017 में शुरू की गई थी।
  • इस योजना के तहत, कोई भी व्यक्ति या कंपनी किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम रूप से धन दान कर सकता है।
  • इस योजना की आलोचना इस बात के लिए की गई है कि यह चुनावों में धन के प्रवाह को पारदर्शी बनाने में विफल है।
  • कुछ राजनीतिक दलों ने इस योजना का अत्यधिक उपयोग किया है, जिससे चुनावी परिणामों पर अनुचित प्रभाव पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।

Tags : #इलेक्टोरलबॉन्ड , #चुनावआयोग , #पारदर्शिता , #जवाबदेही , #चुनावीसुधार

News
More stories
पंजाब में 8 उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा की आम आदमी पार्टी ने