नई दिल्ली: 23 अप्रैल से भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों का धरना 29 मई को भारी हंगामें के बाद खत्म कर दिया गया। साथ ही दिल्ली पुलिस ने सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा डालने के आरोप में पहलवानों को हिरासत में लेकर उन पर मुकदमा दर्ज किया। पहलवानों के खिलाफ आईपीसी की धारा- 147, 149, 186, 188, 332, 353 की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया गया है। बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट के समेत पहलवानों के प्रदर्शन के जो भी आर्गेनाइजर थे उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। बता दें, दिल्ली पुलिस ने रविवार को जंतर मंतर से पहलवानों के प्रदर्शन स्थल से टेंट, कूलर, गद्दे वगैरह हटाकर जगह को साफ कर दिया था।
इन आरोपों के चलते दर्ज किया गया है मामला

पहलवानों के खिलाफ धारा 147 (दंगा करना), धारा 149 (गैरकानूनी सभा), 186 (लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहन से रोकना), 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), 332 (स्वेच्छा से लोक सेवक को उसके कर्तव्य से विचलित करने के लिए चोट पहुंचाना) और 353 (लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
सारी दुनिया देख रही है सरकार अपने खिलाड़ियों के साथ कैसा बर्ताव कर रही है – विनेश फोगाट

एफआईआर दर्ज होने को लेकर पहलवान विनेश फोगाट की प्रतिक्रिया सामने आई है, उन्होंने ट्वीट किया कि ‘दिल्ली पुलिस को यौन शोषण करने वाले बृज भूषण के खिलाफ FIR दर्ज करने में 7 दिन लगते हैं और शांतिपूर्ण आंदोलन करने पर हमारे खिलाफ FIR दर्ज करने में 7 घंटे भी नहीं लगाए, क्या इस देश में तानाशाही शुरू हो गई है ? सारी दुनिया देख रही है सरकार अपने खिलाड़ियों के साथ कैसा बर्ताव कर रही है। एक नया इतिहास लिखा जा रहा है।’
बृजभूषण सिंह के खिलाफ FIR दर्ज करने में 7 दिन लग गए और हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में 7 घंटे भी नहीं लगे – बजरंग पुनिया

वहींं, बजरंग पुनिया ने कहा कि घर वापस जाना कोई विकल्प नहीं है। मैं बाकी पहलवानों से मिलूंगा और हम तय करेंगे कि आगे क्या करना है? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यौन उत्पीड़न का आरोपी नए संसद भवन के उद्घाटन में शामिल हुआ। दिल्ली पुलिस को बृजभूषण सिंह के खिलाफ FIR दर्ज करने में 7 दिन लग गए और हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में 7 घंटे भी नहीं लगे। बता दें, इससे पहले बजरंग पूनिया ने ट्वीट कर कहा,’मुझे अभी तक पुलिस ने अपनी हिरासत में रखा हुआ है, कुछ बता नहीं रहे, क्या मैंने कोई जुर्म किया है? कैद में तो बृजभूषण को होना चाहिये था। हमें क्यों कैद करके रखा गया है? हालांकि, देर रात सामने आया कि बजरंग पूनिया को भी रिहा कर दिया गया है।
हमारा विरोध खत्म नहीं हुआ है – साक्षी मलिक

साक्षी ने ट्विटर पर लिखा था, “हमारा विरोध खत्म नहीं हुआ है। हम पुलिस हिरासत से रिहा हुए हैं और जंतर-मंतर पर अपना सत्याग्रह वापस शुरू करेंगे। इस देश मे महिला पहलवानों का सत्याग्रह होगा, तानाशाही नहीं।” बता दें, दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन स्थल से पहलवानों के के चारपाई, गद्दे, कूलर, पंखे और अन्य सामान हटा दिए। शाम करीब साढ़े पांच बजे पहलवानों को मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया था।
रात में प्रोटेस्ट वाली जगह पर आए थे रेसलर्स – दिल्ली पुलिस

बता दें कि जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों ने नए संसद भवन तक शांतिपूर्ण मार्च का ऐलान किया था। पहलवान पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 11 बजकर 30 मिनट पर नए संसद भवन के लिए निकले लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पहले से ही बैरिकेडिंग कर रखी थी। पहलवानों ने इसका विरोध किया और बैरिकेडिंग तोड़ दी। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने साक्षी मलिक समेत कुछ पहलवानों को हिरासत में ले लिया और उनका मार्च विफल कर दिया। दिल्ली पुलिस का कहना है रात में भी रेसलर प्रोटेस्ट वाली जगह पर आए थे। तकरीबन 7-8 लोग थे उन्हें वापस भेज दिया गया है अब प्रोटेस्ट करने की इजाजत नही दी गई।
1 महीने से ज्यादा समय के बाद भारी हंगामें के बाद खत्म किया गया पहलवानों का धरना

देश के शीर्ष पहलवानों ने 23 अप्रैल को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर अपना आंदोलन फिर से शुरू किया था। बृजभूषण पर एक नाबालिग सहित कई महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है। बता दें, इससे पहले 18 जनवरी को पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया था। हालांकि, खेल मंत्रालय के दखल के बाद पहलवानों ने अपना धरना खत्म कर दिया था तब खेल मंत्रालय ने पहलवानों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों की जांच के लिए कमेटी का गठन किया था अब तीन महीने बाद पहलवान फिर धरना दे रहे थे जो कि कल भारी हंगामे के बाद खत्म कर दिया गया। बता दें, पहलवानों ने अब कमेटी पर ही सवाल खड़े किए हैं।