यूपी में विधानसभा के बाद अब MLC चुनाव के लिए घमासान, बहुमत हासिल करने पर बीजेपी की नजर

15 Mar, 2022
Deepa Rawat
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Uttar Pradesh MLC Election 2022

UP MLC election: यूपी की 36 विधान परिषद सीटों पर चुनाव के लिए मंगलवार को अधिसूचना जारी हो जाएगी. सूबे में दो चरणों में एमएलसी चुनाव होंगे जबकि नतीजे 12 अप्रैल को आएंगे. यूपी विधान परिषद के चुनाव में सपा अपने वर्चस्व को बरकरार रखने की कवायद में है तो बीजेपी बहुमत जुटाने के मकसद से उतरेगी

यूपी विधान परिषद चुनाव 2022

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद (UP MLC Election) के लिए सियासी घमासान होने जा रहा है. सूबे की 36 विधान परिषद (एमएलसी) सीटों के लिए मंगलवार को अधिसूचना जारी हो जाएगी जबकि मतदान 9 अप्रैल को होना है और नतीजे 12 अप्रैल को आएंगे. विधानसभा में बहुमत हासिल करने बाद बीजेपी की नजर अब विधान परिषद में प्रचंड बहुमत के साथ अपना दबदबा बनाने पर है.

यूपी में प्रचंड बहुमत के साथ चुनाव जीतने के बाद दोबारा सरकार बनाने की तैयारी में लगी बीजेपी का अब अगला लक्ष्य एमएलसी चुनाव में जीत हासिल करना है. वहीं विधानसभा चुनाव में जोरदार तरीके से लड़ने वाली सपा विधान परिषद की सीटों को बचाए रखने की तैयारी में है. दोनों ही पार्टियों से विधानसभा चुनाव की टिकट की मांग कर रहे तमाम नेताओं की आस अब एमएलसी चुनाव से है तो हारे दिग्गज भी विधान परिषद के जरिए सदन में पहुंचने की कवायद में हैं.

विधान परिषद चुनाव के पहले चरण में 30 और दूसरे चरण में छह सीटों पर चुनाव है. पहले चरण का नामांकन 15 मार्च से शुरू होकर 19 मार्च तक चलेगा. 21 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी जबकि 23 मार्च तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे. वहीं, दूसरे चरण में छह सीटों के लिए नामांकन 15 मार्च से शुरू होंगे और 22 22 मार्च नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि है. 23 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी. 25 मार्च को नामांकन पत्र वापस लिए जाएंगे. दोनों ही चरणों लिए नौ अप्रैल को मतदान होगा जबकि 12 अप्रैल को नतीजे आएंगे. 

बता दें कि विधान परिषद की 36 सीटों पर चुनाव के बाद यह पहला मौका होगा जब बीजेपी को विधानसभा के उच्च सदन में बहुमत मिल सकता है. सौ सीटों वाली विधान परिषद में स्थानीय निकाय क्षेत्रों की 36 सीटों पर 2016 के चुनाव में सपा की 31 सीटें जीती थीं जबकि दो सीटों पर बसपा को जीत मिली थी. रायबरेली से कांग्रेस के दिनेश प्रताप सिंह जीते थे तो बनारस से बृजेश कुमार सिंह और गाजीपुर से विशाल सिंह ‘चंचल’ निर्दलीय चुने गए थे. हालांकि, दिनेश प्रताप सिंह बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे. 

सपा के पास फिलहाल बहुमत

उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल 100 सदस्य हैं, जिनमें बहुमत के लिए 51 का आंकड़ा चाहिए. उत्तर प्रदेश के विधान परिषद में सपा को बहुमत है. उच्च सदन में सपा की 48 सीटें हैं, जबकि बीजेपी के पास 36 सदस्य हैं. हालांकि, विधानसभा चुनाव के दौरान सपा के 8 एमएलसी बीजेपी में चले गए थे. वहीं, बसपा के एक एमएलसी भी बीजेपी में आ गए हैं.

चुने जाएंगे 36 एमएलसी

यूपी में स्थानीय निकाय कोटे की विधान परिषद की 35 सीटें हैं. इसमें एटा-मथुरा-मैनपुरी सीट से दो विधान परिषद प्रतिनिधि चुने जाते है इसलिए 35 सीटों पर 36 सदस्यों का सिलेक्शन होता है. यूपी में विधान परिषद चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजेपी इसमें अधिक से अधिक सीटें जीतकर विधान परिषद में बहुमत हासिल करना चाहेगी, जबकि सपा अपनी सीटें बचाने में जुटेगी. ऐसे में सपा से लेकर बीजेपी तक एमएलसी चुनाव के जोड़तोड़ में जुट गई हैं. 

 एमएलसी चुनाव में वोटर कौन?

सूबे के विधान परिषद की स्थानीय निकाय कोटे की 36 सीटों पर होने वाले चुनाव में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत के सदस्य, ग्राम प्रधान, शहरी निकायों, नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत के सदस्यों के साथ ही कैंट बोर्ड के निर्वाचित सदस्य भी वोटर होते हैं. इसके अलावा स्थानीय विधायक और स्थानीय सांसद भी वोटर होते हैं. ऐसे में सूबे की सत्ता में रहने वाली पार्टी को एमएलसी चुनाव में फायदा मिलता रहा है. 

यूपी में विधान परिषद का प्रारूप 

विधान परिषद में 6 साल के लिए सदस्य चुने जाते हैं. यूपी में परिषद की कुल 100 सीटें हैं. सूबे में एलएलसी चुनाव पांच अलग -अलग तरीके से चुनकर पहुंचते हैं. 100 में से 36 सीट स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि के द्वारा चुनी जाती हैं. इसके अलावा  कुल 100 सीटों में से 1/12 यानी 8-8  सीटें शिक्षक और स्नातक क्षेत्र के लिए आरक्षित हैं. 10 विधान परिषद सदस्य को राज्यपाल मनोनीत करते हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं. बाकी बची 38 सीटों पर विधानसभा के विधायक वोट करते हैं और विधान परिषद के विधायक चुनते हैं. 

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