47 मिलियन वर्षीय विशालकाय सांप का जीवाश्म: IIT रूड़की वैज्ञानिकों ने ‘वासुकी इंडिकस’ की खोज की

23 Apr, 2024
Head office
Share on :

रूड़की, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की के वैज्ञानिकों ने गुजरात के कच्छ में 47 मिलियन वर्ष पुराने एक विशालकाय सांप के जीवाश्म की अविश्वसनीय खोज की है। यह दुर्लभ प्रजाति, जिसे ‘वासुकी इंडिकस’ नाम दिया गया है, माना जाता है कि यह दुनिया के अब तक ज्ञात सबसे बड़े सांपों में से एक है। यह खोज वैज्ञानिक समुदाय में उत्साह पैदा कर रही है और भारत के प्राकृतिक इतिहास के बारे में हमारी समझ को गहरा करने की क्षमता रखती है।

खोज का महत्व:

यह खोज भारत में सांपों के विकास और विविधता को समझने में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

यह दर्शाता है कि भारत में 47 मिलियन वर्ष पहले भी विशालकाय सांप मौजूद थे।

यह इओसीन काल के दौरान मैडत्सोइडे परिवार के सांपों के भौगोलिक वितरण को समझने में भी मदद करता है।

‘वासुकी इंडिकस’ जीवाश्म असाधारण रूप से अच्छी तरह से संरक्षित है, जो वैज्ञानिकों को इसकी शारीरिक रचना और जीवनशैली के बारे में अधिक जानने की अनुमति देता है।

शोध निष्कर्ष:

वैज्ञानिकों का अनुमान ​​है कि ‘वासुकी इंडिकस’ लगभग 15 मीटर लंबा और 1000 किलोग्राम से अधिक वजन का था।

यह आधुनिक अजगर और एनाकोंडा के समान शिकारी था।

जीवाश्म अवशेषों का विश्लेषण इंगित करता है कि यह सांप जलीय वातावरण में रहता था और शायद मछली और अन्य जलीय जीवों का शिकार करता था।

नामकरण:

‘वासुकी’ नाम हिंदू पौराणिक कथाओं से लिया गया है, जहाँ इसे भगवान शिव के गले में लिपटे हुए सर्प के रूप में दर्शाया जाता है।

‘इंडिकस’ नाम इस बात को दर्शाता है कि यह जीवाश्म भारत में पाया गया था।

प्रभाव:

‘वासुकी इंडिकस’ की खोज एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि है जो भारत के प्राकृतिक इतिहास और दुनिया भर में सांपों के विकास को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है।

यह खोज भारत में जीवाश्म विज्ञान और प्राचीन जीव विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान को आगे बढ़ाने की क्षमता रखती है।

यह वैज्ञानिक समुदाय और आम जनता दोनों में उत्साह और रुचि पैदा कर रहा है।

निष्कर्ष:

‘वासुकी इंडिकस’ की खोज एक अविश्वसनीय वैज्ञानिक खोज है जो भारत के प्राकृतिक इतिहास के बारे में हमारी समझ को बदलने की क्षमता रखती है। यह दर्शाता है कि भारत अभी भी वैज्ञानिक खोजों के लिए एक खजाना trove है, और वैज्ञानिकों के पास भविष्य में और भी अधिक अद्भुत खोजों को उजागर करने की क्षमता है।

अतिरिक्त जानकारी:

इस खोज को ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

आप IIT रूड़की की वेबसाइट पर इस खोज के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

यह खोज भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान और जीवाश्म विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। यह दर्शाता है कि भारत में अभी भी कई अज्ञात खजाने छिपे हुए हैं, जिनकी खोज की जानी बाकी है।

संदीप उपाध्याय

News
More stories
अरविंद केजरीवाल को पहली बार दी गई इंसुलिन, 320 तक पहुंच गया था शुगर लेवल