मुंबई एयरपोर्ट से क्वीन ऑफ स्काईज का “विंग वेव”।

24 Apr, 2024
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मुंबई, 23अप्रैल 2024: भारतीय एयरलाइंस की एयर इंडिया के बेड़े के अखरी बोइंग 747 “क्वीन ऑफ स्काईज” ने मुंबईएयरपोर्ट से अपनी अंतिम उड़ान भरी, 50 से अधिक वर्षों तक आसमानों पर राज करने वाला यह जंबो जेट,अब इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अंकित हो जाएगा।

विमान ने VT-EVA रजिस्ट्रेशन के साथ कल सोमवार को सुबह 10:47 बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी। हवाई अड्डे पर, इस “Queen Of sky” को पानी की बौछारों से नहलाया गया फिर उपस्थित स्टाफ ने तालियां बजाकर और भावुक विदाई संदेशों के साथ इसका सम्मान किया।

यह उड़ान केवल “क्वीन ऑफ स्काईज” के लिए नहीं, बल्कि हवाई यात्रा के एक पूरे युग के अंत का प्रतीक थी। बोइंग 747, जिसे “जंबो जेट” के नाम से भी जाना जाता था, लंबी अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा में बोइंग 747 ने क्रांति ला दी थी। अपनी विशाल क्षमता और शानदार उड़ान अनुभव के लिए प्रसिद्ध, यह विमान एक समय में दुनिया भर के हवाई अड्डों पर आसमान का राजा हुआ करता था।

समय के साथ बढ़ती ईंधन लागत और आधुनिक, ईंधन-कुशल विमानों के आगमन के साथ, बोइंग 747 धीरे-धीरे अतीत का हिस्सा बन गया।
52 साल और 1574 बोइंग 747 के बाद बोइंग 747 की प्रोडक्शन लाईन 6 दिसंबर 2022 बंद कर दी गई थी जिससे जंबो जेट का युग समाप्त की ओर बढ़ गया था।

एयर इंडिया ने 2020 में अपने बोइंग 747 बेड़े को धीरे-धीरे सेवानिवृत्त करना शुरू कर दिया था, और आज, “क्वीन ऑफ स्काईज” की अंतिम उड़ान के साथ, यह अध्याय पूरी तरह से समाप्त हो गया है।

“क्वीन ऑफ स्काईज” की विदाई निश्चित रूप से आज भारतीय एवियशन इंडस्ट्री में एक ऐतिहासिक क्षण है। यह विमान उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है जिन्होंने इसमें यात्रा की, और जिन्होंने इस दिग्गज विमान को हवा में उड़ते हुए देखा। यह हवाई यात्रा के एक युग का प्रतीक था, और यह निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए एक किंवदंती बना रहेगा।

यह विमान न केवल एयर इंडिया के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रतीक था। बोइंग 747 ने भारत को दुनिया से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

“क्वीन ऑफ स्काईज” की विदाई निश्चित रूप से एक भावुक क्षण है, लेकिन यह हमें उन अद्भुत यादों को याद करने का अवसर भी देता है जो इस विशालकाय विमान ने हमें दी हैं। यह विमान हमेशा हमारे दिलों में रहेगा, और यह हवाई यात्रा के इतिहास में हमेशा के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखेगा।

संदीप उपाध्याय

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