नई दिल्ली: 24 फरवरी को रुस और यूक्रेन युध्द को एक साल पूरा होने वाला हैं। 24 फरवरी 2022 को, रूस ने दक्षिण-पश्चिम में अपने पड़ोसी यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर आक्रमण शुरू किया था। युद्ध को पूरा एक साल होने वाला है लेकिन दोनों देशों के बीच युद्ध खत्म होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। इसी बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचकर सब को चौंका दिया है। बाइडेन का यह दौरा चौंकाने वाला इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसके बारे में किसी को कोई सूचना नहीं दी गई थी। बाइडेन ने पोलैंड का दौरा किया और वहां के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा से मुलाकात की। इसके बाद यूएस प्रेसिडेंट रोमानिया के एयर स्पेस से कीव पहुंच गए। कीव में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बाइडेन को रिसीव किया। आपको बता दें कि ये रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद जो बाइडेन की पहली यूक्रेन यात्रा है।
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वलोडिमिर जेलेंस्की ने जो बाइडेन की कीव यात्रा पर कहा…..

मिली जानकारी के मुताबिक, इस पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की कीव यात्रा ‘सभी यूक्रेनी लोगों के समर्थन का अत्यंत महत्वपूर्ण संकेत’ है।
रुस और यूक्रेन के युध्द का कारण?

एक साल पहले रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई थी। विषय था यूक्रेन और कारण था नाटो। एक तरफ यूक्रेन नाटो समूह में शामिल होने की बात कह रहा था। जबकि रूस चेतावनी दे रहा था। वह इसे कतई सहन नहीं करेगा। जबकि पश्चिमी देश यूक्रेन का खुल कर समर्थन कर रहे थे। इसी को वजह बताते हुए रूस ने 25 फरवरी को यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई कर दी। जिसे हम रूस यूक्रेन युद्ध कह रहे हैं। तभी से यह युद्ध दुनिया भर की निगाह में है जिससे पूरा संसार प्रभावित हो रहा है।
नाटो है रुस और यूक्रेन की युध्द की वजह

ऐसा लगता है कि इस युद्ध की वजह केवल नाटो ही है। एक तरफ लगता है कि जहां पश्चिमी देश यूक्रेन की संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाने का प्रयास करते दिख रहे हैं। जिससे यूक्रेन को यह फैसला लेने का हक मिल सके कि वह नाटो में शामिल होना चाहता है या नहीं, तो रूस नाटो का उसकी सीमा तक विस्तार खतरे के रूप में देखता है।
क्या है नाटो?

वर्ष 1939-1945 के बीच चले दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद सोवियत संघ की विस्तारवादी नीति कायम रही. सोवियत संघ को रोकने के लिए अमेरिका ने 1949 में 12 देशों के साथ नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन) को बनाया. धीरे-धीरे इसमें सदस्य बढ़ते गए और आज के समय में नाटो के 30 देश मेंबर हैं. यह एक सैन्य गठबंधन है और इसका उद्देश्य साझा सुरक्षा नीति पर काम करना. अगर कोई देश नाटो के किसी भी सदस्य पर हमला करता है तो नाटो का यह फर्ज होता है कि सभी देश एकजुट होकर उस पर हमला करें या उससे बदला लें.
नाटो से रुस की नाराजगी की वजह

रूस नाटो से क्यों चिढ़ता है, इसे समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा. दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने के बाद दुनिया में सोवियत संघ और अमेरिका 2 सुपरवार थे. 25 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ से टूटकर 15 नए देश बने. इनमें से अधिकतर देश नाटो में शामिल होते गए. वहीं 2008 में जॉर्जिया और यूक्रेन को भी NATO में शामिल होने का न्योता दिया गया था, लेकिन रूस ने ऐसा नहीं होने दिया. रूस के राष्ट्रपति नाटो के विस्तार को लेकर लगातार आपत्ति जता चुके हैं. पिछले साल दिसंबर में उन्होंने कहा था, कि पूरब में NATO का विस्तार मंजूर नहीं है. अमेरिका हमारे दरवाजे पर मिसाइलों के साथ खड़ा है.
क्या है? रुस की इच्छा

रूस चाहता है कि नाटो पूर्वी यूरोप में अपना विस्तार फौरन बंद करे. इससे उसे खतरा है. ब्लादिमीर पुतिन कई बार कह चुके हैं कि यूक्रेन का NATO में शामिल होना रूस को किसी कीमत पर मंजूर नहीं है. वो इसकी लिखित गारंटी चाहते हैं कि यूक्रेन नाटो में नहीं जाएगा. रूस ये भी चाहता है कि नाटो रूस के आसपास अपने देशों द्वारा हथियारों की तैनाती बंद करे.
यूक्रेन की क्या है? खवाहिश

यूक्रेन की सेना काफी छोटी है। रूस के पास करीब 8.5 लाख सैनिक हैं तो यूक्रेन के पास महज 2 लाख जवान हैं। दोनों के रक्षा बजट में भी काफी अंतर है। यूक्रेन को रूस से खतरा महसूस होता है, इसलिए वह अपनी आजादी बरकरार रखने के लिए ऐसे सैन्य संगठन की जरूरत महसूस करता है। जो उसकी रक्षा कर सकें और उसके लिए NATO से बेहतर कोई दूसरा संगठन नहीं हो सकता क्योंकि उसके आसपास के कई दोस्त पहले से नाटो के सदस्य हैं।
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