आज प्रधानमंत्री मोदी कानून मंत्रियों और सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन को करेंगे संबोधित

15 Oct, 2022
देशहित
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पीएमओ ने बताया कि यह सम्मेलन वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र जैसे त्वरित और किफायती न्याय के लिए मध्यस्थता, समग्र कानूनी बुनियादी ढांचे को उन्नत करने, अप्रचलित कानूनों को हटाने, न्याय तक पहुंच में सुधार, मामलों की लंबितता को कम करने और त्वरित सुनिश्चित करने जैसे विषयों पर चर्चा करेगा।

नई दिल्ली: शनिवार को सुबह 10:30 बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे। दो दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी गुजरात के एकता नगर में कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा की जा रही है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि यह मंच भारतीय कानूनी तंत्र से संबंधित विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श का गवाह बनेगा। इस कार्यक्रम में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कानून मंत्री और सचिव शामिल होंगे।

Narendra Modi (@narendramodi) / Twitter
PM MODI

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आपसी सहयोग में सुधार करने के उद्देश्य से रखा जाएगा सम्मेलन

प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि इसका उद्देश्य नीति निर्माताओं के लिए भारतीय कानूनी और न्यायिक प्रणाली से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक आम मंच प्रदान करना है। इस सम्मेलन के माध्यम से राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, नए विचारों का आदान-प्रदान करने और अपने आपसी सहयोग में सुधार करने में सक्षम होंगे।

राज्य की कानूनी व्यवस्था को मजबूत करना सम्मेलन का प्रमुख बिंदु

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पीएमओ ने बताया कि यह सम्मेलन वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र जैसे त्वरित और किफायती न्याय के लिए मध्यस्थता, समग्र कानूनी बुनियादी ढांचे को उन्नत करने, अप्रचलित कानूनों को हटाने, न्याय तक पहुंच में सुधार, मामलों की लंबितता को कम करने और त्वरित सुनिश्चित करने जैसे विषयों पर चर्चा करेगा। निपटान, बेहतर केंद्र-राज्य समन्वय के लिए राज्य के बिलों से संबंधित प्रस्तावों में एकरूपता लाना और अन्य के साथ-साथ राज्य की कानूनी व्यवस्था को मजबूत करना इस सम्मेलन का प्रमुख बिंदु रहेगा।

गौरतलब है कि देश में करीब 5 करोड़ मुकदमे पेंडिंग पड़े हुए हैं। इन मुकदमों को निपटाने के लिए न्यायपालिका में जरूरी जजों और कर्मचारियों की कमी है। एक आंकड़े के मुताबिक देश में 10 लाख की आबादी पर जजों की संख्या केवल 20 है। जो कि इतनी बड़ी संख्या में लंबित मामलों को निपटाने के लिए काफी नहीं है। भारत में निचली अदालतों में जजों और कर्मचारियों की सही समय पर भर्ती नहीं होने से हजारों पद खाली पड़े हैं। जिससे न्याय प्रणाली पर बोझ बढ़ा है।

Edited by Deshhit News

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