कांग्रेस और बीजेपी का आरोप- प्रत्यारोप का यह है मकसद !

27 Mar, 2023
Deepa Rawat
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नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि का दोषी पाए जाने के बाद अदालत ने दो साल की सजा सुनाई और 6 साल के लिए उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी। जिसके फलस्वरुप राहुल गांधी 6 साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। कांग्रेस का आरोप है कि यह सब कुछ केंद्र में सत्ताधारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के इशारे पर हुआ है। जबकि, बीजेपी कह रही है कि राहुल गांधी ने सारे मोदी को चोर कहा, इसलिए अदालत ने उन्हें आपराधिक मानहानि का दोषी माना है। पार्टी का कहना है कि राहुल गांधी ने सारे मोदी को चोर कहकर तमाम ओबीसी का अपमान किया है, इसलिए उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द हुई है।

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आरोप – प्रत्यारोप के पीछे चुनावी है पूरा खेल

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बता दें, इस आरोप-प्रत्यारोप के पीछे का पूरा खेल चुनावी है। लगता है कि दोनों ओर से अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार धारणाएं बनाने की कोशिशे की जा रही हैं। दरअसल, इस साल चार बड़े राज्यों में चुनाव होने हैं और इनमें से तीन में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होना है। कर्नाटक में जेडीएस की भी मौजूदगी है, लेकिन राजनीतिक रूप से वह फिलहाल कांग्रेस के ही ज्यादा नजदीक दिखती है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में से राजस्थान में तो बारी-बारी से सरकारें बदलते रहने की परंपरा सी बनी हुई है। बाकी एमपी और छत्तीसगढ़ में एक जगह बीजेपी और दूसरी जगह कांग्रेस की सरकारें हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत की अदालत ने आपराधिक मानहानि केस में जिस तरह से दो साल की सजा सुनाई है और उसको लेकर कांग्रेस हंगामा खड़ा कर रही है, उसकी वजह राज्यों में होने वाले यही विधानसभा चुनाव हैं। सबसे पहले कर्नाटक की लड़ाई है।

राजनीतिक लड़ाई को पीएम मोदी बनाम राहुल गांधी होने देने में कोई परहेज नहीं कर रही है बीजेपी

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राहुल गांधी की अयोग्यता के बहाने जहां कांग्रेस सहानुभूति बटोरने की कोशिश में है तो भारतीय जनता पार्टी ने उसकी काट में ओबीसी के अपमान के वाला मसला उछालकर तुरुप का इक्का चलने की कोशिश की है। कुल मिलाकर कांग्रेस और भाजपा के बीच धारणा की लड़ाई जारी है। कांग्रेस जहां राहुल की अयोग्यता के नाम पर खुद के साथ ज्यादती होने की तस्वीर पेश करना चाहती है, वहीं भारतीय जनता पार्टी उनकी अयोग्यता को ओबीसी के अपमान से जोड़ रही है। इसकी एक झलक राहुल गांधी की उस प्रेस कांफ्रेंस में भी दिख चुकी है कि भाजपा की इस कोशिश पर जब राहुल से एक पत्रकार ने सवाल पूछ लिया तो वह सीधा जवाब देने की जगह तिलमिलाते नजर आए। भाजपा को फिलहाल इस राजनीतिक लड़ाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी होने देने में कोई परहेज नहीं दिख रहा है। क्योंकि, पीएम मोदी देश में इस वक्त ओबीसी का सबसे बड़ा चेहरा हैं।

बीजेपी के रणनीतिकारों को रणनीति उनके हक में लग रही है

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बीजेपी के रणनीतिकारों को लगता है कि यह रणनीति उसके हक में है। क्योंकि, कांग्रेस के अधिकतर क्षेत्रीय नेता ओबीसी हैं, जो चुनावी राज्यों में पार्टी के चेहरा भी होंगे। जैसे कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्दारमैया और पार्टी के नेता डीके शिवकुमार, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल। ये सारे न सिर्फ ओबीसी हैं, बल्कि इनका अपने राज्यों में अपनी जातियों के अलावा बाकी पिछड़ी जातियों पर भी अच्छा-खासा प्रभाव है। दोनों दलों की पहली लड़ाई कर्नाटक में होनी है, जहां कुर्बा जाति के सिद्दारमैया अपनी Ahinda नीति के तहत अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग और दलित सभी को एकसाथ साधना चाहते है।

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Edit By Deshhit News

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