1 अप्रैल 2024 से आयकर व्यवस्था में नहीं होगा कोई बदलाव वित्त मंत्रालय

01 Apr, 2024
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वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि आज से शुरू होने वाले वित्त वर्ष में कर प्रणाली में कोई नया बदलाव नहीं किया जा रहा है। मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर नई कर व्यवस्था के संबंध में दी जा रही सूचनाओं को भ्रामक बताते हुए इनका खंडन किया है।

मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर नई कर व्यवस्था के संबंध में दी जा रही सूचनाओं को भ्रामक बताते हुए इनका खंडन किया है।

नई कर व्यवस्था:

वित्तीय वर्ष 2023-24 से लागू व्यक्तिगत करदाताओं (कंपनियों और फर्मों को छोड़कर) के लिए डिफॉल्ट

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कम कर दरें

छूट और कटौतियों का लाभ नहीं

करदाता चुन सकते हैं विकल्प

मंत्रालय ने कहा कि नई टैक्स व्यवस्था ‘डिफ़ॉल्ट’ टैक्स व्यवस्था है। हालांकि करदाता उस कर व्यवस्था (पुरानी या नई) को चुन सकते हैं जो उन्हें लगता है कि उनके लिए फायदेमंद है। नई टैक्स व्यवस्था से बाहर निकलने का विकल्प वर्ष 2024-25 के लिए रिटर्न दाखिल करने तक उपलब्ध है। मंत्रालय का कहना है कि बिना किसी व्यावसायिक आय वाले पात्र व्यक्तियों के पास हर वित्तीय वर्ष के लिए व्यवस्था चुनने का विकल्प होगा। इसलिए, वह एक वित्तीय वर्ष में नई कर व्यवस्था और दूसरे वर्ष में पुरानी कर व्यवस्था चुन सकते हैं और इसके विपरीत भी चुन सकते हैं। जानकारों का मानना है कि सरकार ने अंतरिम बजट में तो इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है लेकिन उम्मीद यह है कि अगर मोदी सरकार फिर से सत्ता में आती है तो पूर्ण बजट में स्लैब में बदलाव कर सकती है। 

व्यावसायिक आय:

बिना व्यावसायिक आय वाले पात्र व्यक्ति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए व्यवस्था चुन सकते हैं

एक वर्ष में नई और दूसरे वर्ष में पुरानी व्यवस्था का विकल्प

महत्वपूर्ण:

पुरानी और नई कर व्यवस्थाओं का तुलनात्मक विश्लेषण

विभिन्न आय स्तरों पर प्रभाव

कर योजना के लिए रणनीतियाँ

विशेषज्ञों की राय:

कर विशेषज्ञों के दृष्टिकोण

नई कर व्यवस्था के लाभ और कमियां

करदाताओं के लिए सलाह

अनुसंधान और विश्लेषण:

आयकर डेटा का विश्लेषण

विभिन्न कर व्यवस्थाओं का प्रभाव

कर नीति में बदलावों का अध्ययन

निष्कर्ष:

1 अप्रैल 2024 से आयकर व्यवस्था में कोई नया बदलाव नहीं होगा। करदाता अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अपनी कर व्यवस्था चुन सकते हैं। informed decision लेने के लिए, करदाताओं को पुरानी और नई कर व्यवस्थाओं का तुलनात्मक विश्लेषण करना चाहिए और विभिन्न आय स्तरों पर प्रभाव का मूल्यांकन करना चाहिए।

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