टाटा की बदौलत देश को मिली पहली एयरलाइन, JRD TATA की अनोखी सोच ने TATA को बनाया देश का नंबर 1 उद्योगपति

29 Jul, 2022
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JRD Tata

हम आज यानी 29 जुलाई को महान उद्योगपति JRD TATA की 118वी बर्थ एनिवर्सरी मना रहे हैं. साल 1932 में जेआरडी की अगुवाई में टाटा एविएशन सर्विस की शुरुआत हुई थी. जेआरडी टाटा की गिनती भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के सबसे महान उद्योगपतियों में की जाती है. उन्होंने टाटा समूह के साथ ही आजाद भारत के विकास में अहम भूमिका निभाई. यहाँ जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें.

118th Birth Anniversary Of JRD Tata: भारत के दिग्गज उद्योगपति जेआरडी टाटा की आज 118वीं बर्थ एनिवर्सरी है. उनका जन्म आज ही के दिन118 साल पहले फ्रांस में हुआ था. जेआरडी टाटा की गिनती भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे महान उद्योगपतियों में की जाती है. जेआरडी टाटा ने अपने जीवन में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की, जिनके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर हम आपको उनकी कुछ उपलब्धियों से अवगत कराते हैं और बताते हैं कैसे उन्होंने दश ही नहीं पूरी दुनिया में एक मिसाल कायम की.

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भारत में AIR INDIA का आगाज़

साल 1932 में जेआरडी की अगुवाई में टाटा एविएशन सर्विस की शुरुआत हुई. कुछ समय बाद कंपनी का नाम बदलकर टाटा एयरलाइंस किया गया. भारत की आजादी के बाद प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की अगुवाई वाली सरकार ने साल 1953 में एअर इंडिया को नेशनलाइज कर दिया था . एअर इंडिया का प्रसिद्ध महाराजा लोगो भी जेआरडी टाटा की ही देन है. कहा जाता है कि एअर इंडिया के मेन्यू में मांस से लेकर टमाटर और अंडे तक उन्होंने खुद ही शामिल किया था. उनका योगदान भारत को अपनी पहली एयरलाइन देने तक सीमित नहीं है, बल्कि स्टील सेक्टर में भारत को ग्लोबल पावर बनाना भी उनकी ही बदौलत है.

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एक मिसाल है JRD TATA

टाटा समूह को जेआरडी जैसा लीडर मिला, इसमें उनके पिता आरडी टाटा का बड़ा हाथ है. जेआरडी पहले फ्रांस की सेना में शामिल हो गए थे और सर्विस ही में बने रहना चाहते थे. उन्होंने टाटा समूह में करियर की शुरुआत एक एप्रेंटिस के रूप में दिसंबर 1925 में की और इसके लिए उन्हें एक रुपये भी नहीं मिलते थे. जब जेआरडी 22 साल के थे तब ही उनके पिता का निधन हो गया. इसके बाद जेआरडी को टाटा संस के बोर्ड में जगह मिली थी. बता दें, साल 1929 में जेआरडी ने फ्रांस की नागरिकता छोड़ दी और भारत में बिजनेस पर पूरा ध्यान लगाने लगे थे. आपको बता दें, साल 1929 में जेआरडी टाटा को कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिला और इस तरह वह ऐसा लाइसेंस पाने वाले पहले भारतीय बन गए.

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बिना सैलरी के शुरू की पहली नौकरी

जेआरडी टाटा कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन पिता के कारण उनका यह सपना भी पूरा नहीं हो सका. पिता के आदेश पर जेआरडी भारत आ गए और टाटा समूह का कामकाज देखने लग गए. उन्होंने टाटा समूह में करियर की शुरुआत एक एप्रेंटिस के रूप में दिसंबर 1925 में की थी और इसके लिए उन्हें एक रुपये भी नहीं मिलते थे. जेआरडी टाटा को भारत में सिविल एविएशन इंडस्ट्री का जनक भी कहा जाता है. जेआरडी टाटा को सफल बनाने में जमशेदजी के सिद्धांतों का बहुत बड़ा योगदान है. आरएम लाला जेआरडी की बायोग्राफी ‘Beyond the Last Blue Mountain’ में इसकी एक झलक दिखाते हैं.

Edited By – Deshhit News

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