सुरक्षा संस्कृति के विकास हेतु युवाओं को प्रोत्साहित करता राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस

नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस सच्ची निष्ठा, समर्पण, त्याग एवं राष्ट्रप्रेम की भावना से व अपने अदम्य साहस एवं शौर्य से देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहने वाले भारतीय सुरक्षा बलों के जांबाज जवानों को याद करते हुए मनाया जाता है और इसबार ये दिन ख़ास थीम के साथ “सुरक्षा संस्कृति के विकास हेतु युवाओं को प्रोत्साहित करते” हुए मना रहा है हम और हमारे परिवार सुरक्षित रहें लोगों की आत्मरक्षा और राष्ट्र की सुरक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए भारतवर्ष में प्रत्येक वर्ष 4 मार्च को मनाता है राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस लोगों के मन में सुरक्षा के प्रति जागरूकता को जगाना और उनमें सुरक्षा मामलों की गंभीरता को समझाना है.

राष्ट्रीय सुरक्षा की बधाई देते देश के नागरिक

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सुरक्षा दिवस 4 मार्च से 10 मार्च 2022 को एक सप्ताह तक मनाया जाएगा साथ ही जागरूकता के साथ हम सब आज के दिन एक संकल्प लेते हुए कि हम संगठित होकर देशहित के लिए कार्य करते रहें और भारत देश की सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहें.

देश की महिला सेना भारत का गौरव

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राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस की स्थापना 4 मार्च 1966 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा मुंबई सोसायटी अधिनियम के तहत की गयी थी, 4 मार्च के दिन को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के रूप में मनाने की पहल भारत की एक गैर सरकारी संस्था नेशनल सेफ्टी काउंसिल ने की थी। जिसके बाद लगातार हर वर्ष 4 मार्च का दिन राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा, आजादी और आर्थिक न्याय

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस को मनाने का मुख्य वजह है कि लोगों में सुरक्षा के प्रति जागरूकता लाना साथ ही अशिक्षित को शिक्षित करना और सुरक्षा का वातावरण स्थापित करना ताकि किसी के मन में किसी प्रकार का कोई भय न हो, राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस एक सप्ताह चलने के साथ विभिन्न कार्यकर्मों को आयोजित करते हुए पर्यावरण और स्व्यास्थ्य जैसे कारकों की सुरक्षा के बारे में जागरूक करना है मालिको और कर्मचारियों को उनकी कानूनी ज़िम्मेदारी याद दिलाकर वर्क प्लेस पर सुरक्षा को बढ़ावा देना.

देश का वीर जवान जो आत्मरक्षा और सुरक्षा का भाव जगाता हुआ

वैसे तो हमारे संविधान में राष्ट्र के प्रति भावना और अखंडता की बात लिखी गई है साथ ही वैज्ञानिक सोच के प्रति जागरूक होना भी हमें सुरक्षा की बात करते हुए उन तमाम मूल्यों पर भी चर्चा करनी चाहिए जिसे हमें संविधान ने दिया है हमें सुरक्षा की भावना के साथ-साथ राजनीतिक,आर्थिक और सामाजिक लोकतंत्र पर भी जागरूकता के साथ उन तमाम मुद्दों पर संवाद-चर्चा को करना चाहिए. 

संविधान की प्रस्तावना जो आर्थिक,सामाजिक और राजनैतिक न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध

आज हम राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति काफी सचेत तो हुए है लेकिन राष्ट्र की सुरक्षा की बहस के आलावा सामाजिक सुरक्षा जैसे महिला सुरक्षा, जातिव्यवस्था मानसिकता, बच्चों को मजदूरी से बचाना और वृद्ध लोगों की सुरक्षा पर भी जागरूकता फ़ैलाने की भी आवश्यकता है.