इस मामले में 30 से ज्यादा याचिकाएं डाली गई थीं, जिस पर 27 सितंबर को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
नई दिल्ली: देश में EWS आरक्षण जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के आर्थिक आधार पर आरक्षण के फैसले पर मुहर लगा दी है। 5 जजों की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी। 5 में से 4 जजों ने ईडब्ल्यूएस के पक्ष में राय दी है। ईडब्ल्यूएस आरक्षण (EWS Reservation) पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के 103वें संशोधन को सही ठहराया है और कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण जारी रहेगा।
क्या है संविधान का 103 वां संशोधन
जनवरी 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार ने 103 वें संविधान संशोधन के तहत EWS कोटा लागू किया था। सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के खंड 6 में इस कोटे को जोड़ा जो नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देता है। इसके तहत राज्य सरकार शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण और नौकरी पर किसी भी आर्थिक रूस से कमजोर वर्ग (EWS) को 10 फीसदी आरक्षण दे सकती है।
ये है मामला ?
साल 2019 में सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत का आरक्षण देने का फैसला लिया गया था। सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इस मामले में 30 से ज्यादा याचिकाएं डाली गई थीं, जिस पर 27 सितंबर को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या होता है आरक्षण?
आरक्षण का अर्थ है अपना जगह सुरक्षित करना। प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा हर स्थान पर अपनी जगह सुरक्षित करने या रखने की होती है, चाहे वह ट्रेन में यात्रा करने के लिए हो या किसी अस्पताल में अपनी चिकित्सा कराने के लिए, विधानसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ने की बात हो तो या किसी सरकारी विभाग में नौकरी प्राप्त करने की।
आरक्षण देने का कारण?
भारत में सरकारी सेवाओं और संस्थानों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व न रखने वाले पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए भारत सरकार ने सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाइयों और धार्मिक/भाषाई अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को छोड़कर सभी सार्वजनिक तथा निजी शैक्षिक संस्थानों में पदों तथा सीटों के प्रतिशत को आरक्षित करने के लिए कोटा प्रणाली लागू की है। भारत के संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व के लिए भी आरक्षण नीति को विस्तारित किया गया है।
बेंच में 5 जस्टिस रहे शामिल
चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच संदस्यीय बेंच ने इस पर फैसला सुनाया है। बेंच में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पार्डीवाला शामिल थे। 3-2 से फैसला लिया गया। आपको बता दें , सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जस्टिस यूयू ललित और एस रवींद्र भट ने आपत्ति जताई है।
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