प्रधानमंत्री ने ‘सतत विकास के लिये ऊर्जा’ पर वेबिनार को सम्बोधित किया

05 Mar, 2022
Deepa Rawat
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“भारत ने अपने लिये जो भी लक्ष्य तय किये हैं, मैं उन्हें चुनौती के रूप में नहीं, बल्कि अवसर के रूप में देखता हूं”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ‘एनर्जी फॉर सस्टेनेबल ग्रोथ’ (सतत विकास के लिये ऊर्जा) पर एक वेबिनार को सम्बोधित किया। प्रधानमंत्री द्वारा सम्बोधित बजट-उपरान्त वेबिनारों की कड़ी में यह नौवां वेबिनार है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘सतत विकास के लिये ऊर्जा’ न सिर्फ भारतीय परंपरा की अनुगूंज है, बल्कि यह भावी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने का मार्ग भी है। उन्होंने कहा कि केवल सतत ऊर्जा स्रोत से ही सतत विकास संभव है। प्रधानमंत्री ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरा करने के ग्लासगो संकल्प को दोहराया। उन्होंने  पर्यावरण के दृष्टिगत सतत जीवनशैली से जुड़े एल.आई.एफ.ई. पर अपनी परिकल्पना का भी उल्लेख किया। भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे वैश्विक सहयोग में नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता तथा 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा के जरिये 50 प्रतिशत तैयार ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लक्ष्य की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “भारत ने अपने लिये जो भी लक्ष्य तय किये हैं, मैं उन्हें चुनौती के रूप में नहीं, बल्कि अवसर के रूप में देखता हूं। पिछले कुछ वर्षों से भारत इसी परिकल्पना के साथ आगे बढ़ रहा है और इस वर्ष के बजट में इसे नीतिगत स्तर पर अंगीकार किया गया है।” इस बजट में उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल निर्माण के लिये 19.5 हजार करोड़ रुपये की बजट घोषणा सौर मॉड्यूल तथा सम्बंधित उत्पादों के निर्माण और अनुसंधान एवं विकास में भारत को वैश्विक केंद्र बनाने में सहायता करेगी।

हाल में घोषित राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी अथाह नवीकरणीय ऊर्जा शक्ति के रूप में अपनी अंतर्निहित बढ़त के बल पर हरित हाइड्रोजन का केंद्र बन सकता है। उन्होंने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि वह इस क्षेत्र में प्रयास करे।

श्री मोदी ने यह भी कहा कि बजट में ऊर्जा भंडारण की चुनौती पर उल्लेखनीय ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा, “बैटरी स्वैपिंग नीति और अंतर-परिचालन मानकों के सम्बंध में भी इस वर्ष के बजट में प्रावधान किये गये हैं। इनसे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल में आने वाली समस्यायें कम होंगी।”

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ, ऊर्जा बचत भी वहनीयता के लिये समान रूप से महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने प्रतिभागियों का आह्वान किया, “आप लोगों को देश में ज्यादा ऊर्जा-दक्ष एसी, ऊर्जा-दक्ष हीटर, गीजर, अवन बनाने के लिये काम करना चाहिये।”

ऊर्जा-दक्ष उत्पादों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल देते हुये प्रधानमंत्री ने एलईडी बल्बों को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन दिये जाने की मिसाल दी। उन्होंने कहा कि पहले सरकार ने उत्पादन को प्रोत्साहित करके एलईडी बल्बों की कीमत कम की और फिर 37 करोड़ एलईडी बल्बों का उजाला योजना के अंतर्गत निशुल्क वितरण किया। इससे 48 हजार मिलियन किलोवॉट प्रति घंटा बिजली की बचत हुई तथा गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बिजली के बिलों में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की कमी आई। इसके अलावा, वार्षिक कार्बन उत्सर्जन में चार करोड़ टन की गिरावट देखी गई। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय  स्ट्रीट लाइट में एलईडी बल्बों के इस्तेमाल से छह हजार करोड़ रुपये हर वर्ष बचा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयले को गैस में परिवर्तित करना कोयले का एक स्वच्छ विकल्प है। इसके मद्देनजर इस वर्ष के बजट में कोयले के गैसीकरण के लिये चार प्रायोगिक परियोजनाओं की घोषणा की गई है, जो इन परियोजनाओं की तकीनीकी और वित्तीय उपादेयता को मजबूत बनाने में मदद करेंगी। इसी तरह सरकार लगातार इथेनॉल के मिश्रण को बढ़ावा दे रही है। प्रधानमंत्री ने उपस्थितजनों को गैर-मिश्रित ईंधन के लिये अतिरिक्त अंतरीय उत्पाद शुल्क के बारे में बताया। प्रधानमंत्री ने इंदौर में हाल में उद्घाटित गोबरधन संयंत्र का उल्लेख करते हुये कहा कि निजी क्षेत्र अगले दो वर्षों के दौरान देश में ऐसे 500 या 1000 संयंत्र लगा सकता है।

प्रधानमंत्री ने देश में ऊर्जा की मांग में भावी उछाल के बारे में उल्लेख किया और नवीकरणीय ऊर्जा के विकल्प को अपनाने के महत्त्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में कई पहलें की गई हैं, जैसे भारत में 24-25 करोड़ घरों में क्लीन-कुकिंग, नहरों पर सौर पैनल, घरों के बगीचों या बालकनियों में सौर वृक्ष। सौर वृक्ष से ही घर के लिये 15 प्रतिशत बिजली मिल जायेगी। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि माइक्रो हाइडिल परियोजनाओं की संभावना तलाशनी चाहिये, ताकि बिजली उत्पादन बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा, “दुनिया हर तरह के प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास देख रही है। ऐसे परिदृश्य में चक्रिय अर्थव्यवस्था समय की मांग है और हमें इसे अपने जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाना होगा।”

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