पतंजलि आयुर्वेद: भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार।

03 Apr, 2024
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हरिद्वार : 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक स्वामी रामदेव और एमडी बालकृष्ण भ्रामक विज्ञापन मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद द्वारा किए गए कथित उल्लंघनों पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए टिप्पणी की:

“कंपनी पर अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए?

समाचार विस्तार से

21 नवंबर, 2023 को पतंजलि आयुर्वेद ने अदालत को आश्वासन दिया था कि वह:
कोई भ्रामक विज्ञापन नहीं करेगा।
किसी भी चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ अनौपचारिक बयान नहीं देगा।
4 दिसंबर, 2023 को, कंपनी ने एक विज्ञापन जारी किया, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट नाराज हो गया।

विज्ञापन में क्या था:

विज्ञापन में पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों को ‘चमत्कारी’ बताया गया था।
विज्ञापन में यह भी दावा किया गया था कि पतंजलि आयुर्वेद के उत्पाद एलोपैथिक दवाओं से बेहतर हैं।

अदालत ने क्या कहा:

“यह एक गंभीर मामला है।”
“आपने अदालत को गुमराह किया है।”
“आपके विज्ञापन भ्रामक हैं।”
“आपने बार-बार अदालत के आदेशों का उल्लंघन किया है।”

उदाहरण:

विज्ञापन में दावा किया गया था कि पतंजलि आयुर्वेद का ‘कोरोनिल’ कोरोना वायरस का इलाज कर सकता है।
अदालत ने कहा कि यह दावा भ्रामक और झूठा है।
अब क्या होगा:

पतंजलि आयुर्वेद को 27 फरवरी, 2024 तक नए सिरे से जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया गया था
यदि कंपनी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाती है, तो उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने उपरोक्त मामले में जवाब देने के लिए व्यक्तिगत तौर पर स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश जारी किया था जिसके अंतर्गत कल 2 अप्रैल को स्वामी रामदेव आचार्य बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित हुए थे।

यह मामला महत्वपूर्ण है क्योंकि:

यह दर्शाता है कि सुप्रीम कोर्ट भ्रामक विज्ञापनों को गंभीरता से लेता है।
यह कंपनियों को अदालत के आदेशों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।
यह उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापनों से बचाने में मदद करता है।
यह एक विकासशील कहानी है। हम आपको नवीनतम अपडेट के बारे में जानकारी देंगे।

निष्कर्ष
कल अर्थात 2 अप्रैल को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि वह इस मामले में बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद की माफी स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं है।

हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें नए सिरे से जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया है।

संदीप उपाध्याय

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