नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन देशवासियों को संबोधित किया .संबोधन में उन्होंने उन्होंने इस सर्वोच्च पद पर देश की सेवा करने के लिए जनता और जनप्रतिनिधियों का आभार जताया. उन्होंने कहा की,इस मुकाम के लिए मै अपने देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति को शत-शत नमन करता हूं.
आइये जानते हैं राष्ट्रपति के विदाई भाषण की 10 बड़ी बातें जो उन्होंने से देशवासियों को संबोधित करते हुए कही.
आज से पांच साल पहले, आप सबने मुझ पर अपार भरोसा जताया था और अपने निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों के माध्यम से मुझे भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना था। आज मेरा कार्यकाल पूरा हो रहा है। इस अवसर पर मैं आप सभी के साथ कुछ बातें साझा करना चाहता हूं।
उन्होंने कहा, अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है. मैं युवा पीढ़ी से अनुरोधकरूंगा कि अपने गांव या नगर तथा अपने विद्यालयों और शिक्षकों से जुड़े रहने की परंपरा को आगे बढ़ाते रहें.
मेरा दृढ़ विश्वास है कि 21 वीं सदी को भारत की सदी बनाने की दिशा में हमारा देश सक्षम हो रहा है. हमारे पूर्वजों और आधुनिक राष्ट्र निर्माताओं ने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा जिन आदर्शों को स्थापित किया है हमें केवल उनके पदचिन्हों पर आगे बढ़ते रहना है.
19वीं शताब्दी के दौरान पूरे देश में पराधीनता के विरुद्ध अनेक विद्रोह हुए। देशवासियों में नयी आशा का संचार करने वाले ऐसे विद्रोहों के अधिकांश नायकों के नाम भुला दिए गए थे। अब उनकी वीर-गाथाओं को आदर सहित याद किया जा रहा है।
तिलक और गोखले से लेकर भगत सिंह और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तक; जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुकर्जी से लेकर सरोजिनी नायडू और कमलादेवी चट्टोपाध्याय तक – ऐसी अनेक विभूतियों का केवल एक ही लक्ष्य के लिए तत्पर होना, मानवता के इतिहास में अन्यत्र नहीं देखा गया है।
हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था। हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है।
अपने कार्यकाल के पांच वर्षों के दौरान, मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। मैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एस. राधाकृष्णन और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं।
जब कभी मुझे किसी तरह का संशय हुआ, तब मैंने गांधीजी का और उनके द्वारा सुझाए गए मूल-मंत्र का सहारा लिया। गांधीजी की सलाह के मुताबिक सबसे अच्छा मार्गदर्शक-सिद्धान्त यह था कि हम सबसे गरीब आदमी के चेहरे को याद करें और खुद से यह सवाल पूछें कि हम जो कदम उठाने जा रहे हैं, क्या वह उस गरीब के लिए सहायक होगा? मैं गांधीजी के सिद्धांतों पर अपने अटूट विश्वास को दोहराते हुए आप सबसे यह आग्रह करूंगा कि आप प्रतिदिन, कुछ मिनटों के लिए ही सही, गांधीजी के जीवन और शिक्षाओं पर अवश्य विचार करें।
जलवायु परिवर्तन का संकट पृथ्वी के भविष्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है. हमें अपने बच्चों की खातिर अपने पर्यावरण, जमीन, हवा और पानी का संरक्षण करना है.
संविधान सभा में पूरे देश का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेक महानुभावों में हंसाबेन मेहता, दुर्गाबाई देशमुख, राजकुमारी अमृत कौर तथा सुचेता कृपलानी सहित 15 महिलाएं भी शामिल थीं.
इससे पहले शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के सेंट्रल हॉल में सांसदों को संबोधित करते राजनीतिक दलों से राष्ट्रहित में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोगों के कल्याण के लिए काम करने की अपील की थी.
राष्ट्रपति ने सांसदों से विरोध जताने के संवैधानिक तरीके अपनाने, शांति और सद्भाव के मूल्यों के साथ-साथ संवाद की आवश्यकता पर जोर देने को कहा.