कमजोर इम्यून सिस्टम वाले इंसान के शरीर से फैला है ओमिक्रॉन वैरिएंट्स, जानिए- तीन साल से क्यों खत्म नहीं हो रहा है ? कोरोना का संकट।

23 Dec, 2022
Deepa Rawat
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पिछले साल नवंबर में जब ओमिक्रॉन का पता चला। तभी उसने 50 से ज्यादा म्यूटेशन कर रखे थे। यह कोरोना के अन्य वैरिएंट्स से अलग था। माना जाता है कि यह किसी ऐसे एक इंसान के शरीर में विकसित हुआ होगा, जिसका इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर था।

नई दिल्ली: चीन सहित भारत और अन्य देशों में ओमिक्रॉन वैरिएंट के BF.7 का प्रकोप देखने को मिल रहा है। बता दें, ओमिक्रॉन वैरियंट अब तक का सबसे खतरनाक वैरियंट है। ओमिक्रॉन वैरियंट का अलग- अलग देशों में अलग- अलग नाम रखा गया है।

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कैसे पड़ते हैं वैरिएंट्स के नाम?

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वैज्ञानिक जब नया वैरिएंट देखते हैं, तो उसे अंग्रेजी के अक्षर, संख्याओं और दशमलव लगाकर जैसे कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन (Omicron) वैरिएंट के 180 सब-वैरिएंट्स हैं। जिनके नाम  BA.1, BA.2, BA.5, BQ.1 और अब BF-7. लेकिन ये सब-वैरिएंट्स हैं। वैरिएंट्स में कन्फ्यूजन न हो। इसलिए WHO ने सभी बड़े वैरिएंट्स का नामकरण किया। बता दें, नाम वायरस में होने वाले बदलावों के हिसाब से भी दिया जाता है। यानी अलग-अलग म्यूटेशन के साथ सामने आए अलग-अलग वैरिएंट्स के अलग नाम।

ग्रीक अक्षरों से लिए गए है कोरोना वायरस वैरिएंट के नाम

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WHO दुनिया भर के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर कोरोना वायरस और उसके वैरिएंट्स पर जनवरी 2020 से नजर रख रहा है। वायरस को दो श्रेणियों में बांटा गया। पहला-वैरिएंट्स ऑफ इंट्रेस्ट और दूसरा – वैरिएंट्स ऑफ कंसर्नताकि वैरिएंट के हिसाब से इलाज और स्वास्थ्य संबंधी प्रबंधन वैरिएंट्स ऑफ इंट्रेस्ट और दूसरा – वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न। ताकि वैरिएंट के हिसाब से इलाज और स्वास्थ्य संबंधी प्रबंधन किया जा सके। बता दें, कोरोना वायरस वैरिएंट को जो नाम दिए वो ग्रीक (Greek) अक्षरों से लिए गए है। जैसे- अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा आदि।

सभी वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न की कैटेगरी में

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WHO ने वैरिएंट्स के नाम उनकी भयावहता को देखकर रखा है। सिंतबर 2020 में UK में मिले B.1.1.7 वैरिएंट को अल्फ(Alpha), मई 2020 में दक्षिण अफ्रीका में मिले वैरिएंट B.1.351 को बीटा (Beta), नवंबर 2020 में ब्राजील में मिले P.1 को गामा (Gamma), अक्टूबर 2020 में भारत में मिले B.1.617.2 को डेल्टा (Delta) नाम दिया। ये सभी वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न की कैटेगरी में थे।  

भिन्न- भिन्न देशों में ओमिक्रॉन के अलग- अलग नाम

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अगर वैरिएंट्स ऑफ इंट्रेस्ट की बात करते हैं। ऐसे कोरोना वायरस जो सामुदायिक स्तर पर या बहुस्तरीय संक्रमण फैलाते लेकिन ये वैरिएंट्स गुच्छों या समूहों में संक्रमित करते हैं। एकसाथ कई देशों में मिल सकते हैं। मार्च 2020 में अमेरिका में मिले B.1.427/B.1.429 वैरिएंट को एप्सीलोन (Epsilon), दिसंबर 2020 में कई देशों में मिले कोरोना वैरिएंट B.1.525 को एटा (Eta), फिलिपींस में जनवरी 2021 में मिले P.3 को थेटा (Theta), नवनवंबर 2020 में अमेरिका में मिले B.1.526 को आयोटा (Iota), अक्टूबर 2020 में भारत में मिले वैरिएंट B.1.617.1 को कप्पा (Kappa) नाम दिया गया।

ओमिक्रॉन सबसे खतरनाक वैरियंट है…

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कोरोना का सबसे खतरनाक वैरिएंट रहा है ओमिक्रॉन (Omicron). इसे दुनिया में आए हुए साल भर से ज्यादा समय हो चुका है। अब तक यह नहीं पता चला कि इतनी तेजी से ये फैला कैसे? लगातार म्यूटेशन कर रहा है। अभी नया सब-वैरिएंट BF.7 निकल आया। एक अकेली वंशावली पर चलने के बजाय इस वायरस ने खुद सैकड़ों वंशों में बांट दिया। इसके इतने ज्यादा वैरिएंट्स हो गए कि इंसानों का इम्यून सिस्टम समझ नहीं पाया। संक्रमण तेजी से बढ़ता चला गया। इसके कई सब-वैरिएंट्स हैं। जैसे- XBB, BQ.1.1 और CH.1.

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पिछले साल नवंबर में जब ओमिक्रॉन का पता चला। तभी उसने 50 से ज्यादा म्यूटेशन कर रखे थे। यह कोरोना के अन्य वैरिएंट्स से अलग था। माना जाता है कि यह किसी ऐसे एक इंसान के शरीर में विकसित हुआ होगा, जिसका इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर था। इसलिए यह वायरस बहुत ताकतवर बनकर उभरा। ओमिक्रॉन ने म्यूटेशन करके स्पाइक प्रोटीन में ही बदलाव कर दिया था। जिससे एंटीबॉडी उससे चिपक नहीं पा रहे थे। ओमिक्रॉन तेजी से फैलता चला गया।

ओमिक्रॉन के बने थे 180 सब-वैरिएंट्स

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पूरी दुनिया में ओमिक्रॉन (Omicron) के 180 सब-वैरिएंट्स बने थे। अब तो इससे ज्यादा हो गए होंगे। ओमिक्रॉन इवोल्यूशनरी विस्फोट के लिए ही आया है। यानी यह अपने वायरस वंश को तेजी से बढ़ाता जा रहा है। इसका हर वैरिएंट कई सब-वैरिएंट्स को पैदा कर रहा है। इस पर 40 से ज्यादा एंटीबॉडीज का प्रयोग किया गया, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। हर इलाज के बाद एक नया वैरिएंट खड़ा कर देता है। इसकी वजह भी हम इंसान और हमारी इलाज पद्धत्ति है।

Edit By Deshhit News

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