भागवत ने अपने वक्तव्य में कहा कि अब हम जब कश्मीर में जाएंगे तो सिर्फ हिंदु बनकर नहीं बल्कि भारत भक्त बनकर जाएंगे, और अपनी सुरक्षा के प्रति पूर्ण आश्वस्त होकर. हम ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जिसके बाद आप लोग अपनी आजाविका वहां पर सुख से चला सकेंगे.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत आज नवरेह समारोह के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेसिंग कर कश्मीरी हिन्दुओं को संबोधित किया. भागवत ने संबोधन पर कहा कि अभी हाली में आई कश्मीर फाइल्स फिल्म की चर्चा चल रही है. कुछ लोग इसके पक्ष में हैं और कुछ विपक्ष में हैं, लेकिन इस फिल्म ने न केवल कश्मीर के विस्थापितों की व्यथा हमारे सामने रखी है बल्कि हमें झंगझोर के रख दिया है. इस फिल्म ने हमें वो सच्चाई दिखाई है जिसको हमने कभी अपने सपनों में भी नहीं देखा होगा, सिनेमा का कार्य ही है कि वह समाज की सच्चाई को लोगों के सामने वैसे ही लाकर रख दे जो समाज में होता है.
भागवत ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हम कैसी परिस्थिति में जी रहे है कि हम अपने ही देश में अपने घर से विस्थापित होने का दंश झेल रहे हैं. ये परिस्थिति पिछले तीन-चार दशकों से लगातार चल रही है. लेकिन हम हारे नहीं है और न ही हमको हारना है हम भारतियों ने इतिहास में कभी हार नहीं मानी है हमने सिर्फ धैर्य रखा है और हमेशा हमें इसका फल मिला है. अभी हार नहीं मानना है हमें इस परिस्थिति को पार करके जीत का संकल्प लेना है. पूरा भारत हमारे साथ है क्योंकि हमारे पास अपनी भूमि है. अब हालात बदल रहे हैं. हमें नये अवसर मिल रहे हैं हमको इनको सजा के रखना है और अपने देश को मजबूत करना है.
कश्मीर से 370 हटाई
भागवत ने कहा कि ये सिर्फ हमरी कोशिशों का नतीजा है कि आज कश्मीर से धारा 370 हटी है, हमें थोड़ा धैर्य रखना है, हमारे लिए कुछ रस्ते खुले हैं. आज भारत का हर नागरिक जनता है की कश्मीरी पंडितों का पलायन करना पड़ा था तो उनको कितने कष्ट हुए थे और कितने उन पर अत्याचार किए गये थे.
अबकी बार ऐसा बसना है कि कोई उखाड़ न पाए
भागवत ने आगे कहा कि अब हम जब कश्मीर में जाएंगे तो सिर्फ हिंदु बनकर नहीं बल्कि भारत भक्त बनकर जाएंगे, और अपनी सुरक्षा के प्रति पूर्ण आश्वस्त होकर. हम ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जिसके बाद आप लोग अपनी आजाविका वहां पर सुखी होकर चला सकेंगे.
लुप्त होता, पारंपरिक ज्ञान
आरएसएस प्रमुख ने कहा, “किसी भी आस्था को बिना जांचे परखे अंधविश्वास कहना सही नहीं है. इसकी जांच होनी चाहिए. कुछ लोग वेदों को खारिज करते हैं और कुछ विज्ञान को खारिज करते हैं. दोनों अतिवादी दृष्टिकोण हैं.” भागवत ने कहा कि इस तरह की अतिवादी सोच के कारण हमारे कुछ पारंपरिक ज्ञान को खारिज कर दिया गया और वह लुप्त हो गया.