पृथ्वी की इक्वेटर लाइन के ऊपर ओजोन लेयर में एक नया छेद मिला है जो कि अंटार्कटिका के ऊपर बने होल से 7 गुना बड़ा है. यह ओजोन होल मानव जीवन के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है. हालांकि, इसे लेकर वैज्ञानिकों के बीच विवाद बना हुआ है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह होल लगभग 50 साल पहले से मौजूद है और दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है.
नई दिल्ली: पृथ्वी की ओजोन परत में इक्वेटर लाइन (भूमध्य रेखा) ट्रॉपिकल इलाकों के ऊपर वैज्ञानिकों ने एक नया छेद खोजा है, जिससे धरती की लगभग आधी आबादी के लिए स्किन कैंसर और अन्य बीमारियों का एक बहुत बड़ा खतरा पैदा हो गया है। एआईपी एडवांस जर्नल में इस नये ओजोन होल के बारे में जानकारी दी गई है। बताया गया है कि नया छेद अंटार्कटिका के ऊपर पाए गए नौ मिलियन वर्ग मील के छेद से सात गुना बड़ा है।

सूत्रों के अनुसार ट्रॉपिकल इलाकों के ऊपर बना ओजोन होल दुनिया की बड़ी आबादी को खतरे में डाल सकता है. वाटरलू यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक किंग बिन लू का कहना है कि हैं इक्वेटर लाइन पर स्थित ट्रॉपिकल इलाके धरती का आधा हिस्सा कवर करते हैं. इस नये ओजोन होल दुनिया में यूवी रेडिएशन में बदलाव, स्किन कैंसर के बढ़ते खतरे और स्वास्थ्य व इकोसिस्टम पर काफी नकारात्मक प्रभावों का खतरा है. कहा जा रहा है कि यह छेद 1980 से अस्तित्व में हैं लेकिन इसकी पहचान अब हो पायी है.
ओजोन लेयर में होल को लेकर साइंटिस्ट लू की सभी वैज्ञानिको को हैरान कर देने वाली ऑब्जरवेशन सामने आई है . दरअसल फोटोकैमिकल मॉडल द्वारा इसकी भविष्यवाणी नहीं की गई थी। रिपोर्टों बताती हैं कि भूमध्यरेखीय क्षेत्रों (equatorial regions) में ओजोन की कमी का स्तर पहले से ही दुनिया की आबादी के लिए बेहद चिंता का विषय है और अब इन इलाकों तक पहुंचने वाला UV रेडिएशन उम्मीद से कहीं ज्यादा है। साइंटिस्ट लू यह भी कहते हैं कि दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन को बेहतर तरीके से समझने के लिए यह खोज काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च के माध्यम से दावा किया है कि ओजोन लेयर में पाए गए इस नए छेद के कारण लोगों को बहुत सी बीमारियों का खतरा पैदा या बढ़ सकता है। अगर ये छेद बढ़ा तो अनगिनत लोगों को स्किन कैंसर और मोतियाबिंद सहित कई अन्य तरह की गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। इससे इंसानों का इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो सकता है और तो और कृषि उत्पादकता घट सकती है और संवेदनशील जलीय जीव और इको-सिस्टम बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है।
Edited By: Deshhit News