भारत और चीन की भिड़ंत में औवेसी ने सरकार पर साधा निशाना, कहा – पीएम मोदी का कमजोर राजनीतिक नेतृत्व ही चीन के खिलाफ इस अपमान का कारण बना है

13 Dec, 2022
Deepa Rawat
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बता दें, तवांग में एलएसी के कुछ इलाके ऐसे हैं। जहां दोनों ही पक्ष अपना दावा करते हैं और यहां दोनों देशों के सैनिक गश्त करते हैं। यह ट्रेंड 2006 से चल रहा है। 

नई दिल्ली: 9 दिसंबर को चीन अरुणाचल प्रदेश में तवांग के पास 15 हजार फीट की ऊंचाई पर भारत-चीन के सैनिकों के बीच भयंकर भिड़ंत हो गई। इस भिड़त में दोनों देशों के सैनिक घायल हो गए हैं। भारतीय सेना के 20 जवानों की घायल होने की खबर सामने आ रही है। बता दें इस भिड़त में भारतीय सेना के सामने 600 चीनी सैनिक थे। तभी चीन के अधिकतर सैनिक इस भिड़त में घायल हो गए है लेकिन किसी के मृतक होने की खबर सामने नहीं आई है। हालांकि, झड़प के बाद दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए। दोनों देशों के कमांडर स्तर पर फ्लैग मीटिंग हुई।

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क्या है भिड़त का कारण?

तवांग में गलवान जैसी भिड़ंत, 30 महीने बाद चीन ने फिर किया विश्वासघात -  Indian Chinese troops clash in Arunachal Pradesh again after two years  Galvan Tawan Eastern Ladakh ntc - AajTak
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बता दें, तवांग में एलएसी के कुछ इलाके ऐसे हैं। जहां दोनों ही पक्ष अपना दावा करते हैं और यहां दोनों देशों के सैनिक गश्त करते हैं। यह ट्रेंड 2006 से चल रहा है। 

क्या है एलएसी?

भारत और चीन के सीमा को वास्तविक नियंत्रण रेखा या एलएसी कहा जाता है। चीन के साथ लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) करीब 3,488 किलोमीटर की है। जबकि चीन मानता है कि यह बस 2000 किलोमीटर तक की है। ये सीमा जम्मू- कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। ये तीन सेक्टरों में से होकर गुजरती है। पश्चिमी सेक्टर यानि जम्मू – कश्मीर , मिडिल सेक्टर यानि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड, पूर्वी सेक्टर यानि सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।

पिछली बार अक्टूबर 2021 में दोनों देशों में हुई थी तनातनी

15 जून, 2020 को पूर्वी लद्दाख के गलवां में हुई भिड़ंत के बाद यह पहली घटना है जब दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई है। अक्टूबर, 2021 में इसी जगह पर दोनोंं सेनाएं आमने सामने आई थीं। तब भारतीय सेना ने चीन के कई सैनिकों को घंटों बंधक बना कर रखा था। बातचीत के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। 15 जून 2020 को सेना के बीच हिंसक झड़प के बाद से सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक कई राउंड की बातचीत हो चुकी है। हालांकि अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है।

1962 से है दोनों देशों में विवाद

भारत और चीन के बीच लगभग 3,440 किलोमीटर लंबी सीमा है। 1962 की जंग के बाद से ही इसमें से ज्यादातर हिस्सों पर विवाद है। अभी तक हुई बैठकों में दोनों देशों ने स्थिति पर नियंत्रण, शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए समाधान तलाशने की बात पर सहमति जताई है। विवादित क्षेत्रों में यथास्थिति कायम रखने और सेना के डिसइंगेजमेंट को लेकर भी समझौता किया है।

चीन और भारत को लेकर AIMIM के अध्यक्ष ने सरकार पर निशाना साधा

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वहीं भारत और चीन की भिंड़त पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार को घेरा और ट्वीट कर कहा, अरुणाचल प्रदेश से आ रही खबरें चिंताजनक हैं। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एक बड़ी झड़प हुई है और सरकार ने देश को कई दिनों तक अंधेरे में रखा। जब संसद का सत्र चल रहा था तब इस बारे में सूचना क्यों नहीं दी गई। ओवैसी ने आगो कहा कि अभी घटना का ब्योरा अधूरा है। झड़प की वजह क्या थी? गोलियां चली थीं या गलवान जैसा था? कितने सैनिक घायल हुए हैं? उनकी हालत क्या है? चीन को एक कड़ा संदेश भेजने के लिए संसद सैनिकों को अपना सार्वजनिक समर्थन क्यों नहीं दे सकती है? साथ ही ओवैसी ने आगे लिखा कि सेना किसी भी वक्त चीन को मुंहतोजवाब देने में सक्षम है। पीएम मोदी का कमजोर राजनीतिक नेतृत्व ही चीन के खिलाफ इस अपमान का कारण बना है। संसद में इस पर तत्काल चर्चा की जरूरत है। मैं कल इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश करूंगा।

Edit By Deshhit News

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