बिहार के बक्सर जिले में जमीन अधिग्रहण के मुआवजे को लेकर विरोध कर रहे किसानों के घर में पुलिस ने रात में घुसकर बुरी तरह पीटा, महिलाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ा, गुस्साएं ग्रामीणों ने पुलिस की वैन में लगाई आग।

11 Jan, 2023
Deepa Rawat
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नई दिल्ली: बिहार के बक्सर जिले में जमीन अधिग्रहण के मुआवजे को लेकर किसान पिछले 85 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान चौसा के पास बन रहे थर्मल पावर प्लांट से जुड़ी जलापूर्ति पाइप लाइन और रेलवे लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण के मसले पर प्रदर्शन कर रहे थे। विरोध में किसानों ने निर्माणाधीन बिजलीघर के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया था। इसका तब तो प्रशासन ने कोई विरोध नहीं किया, लेकिन रात होते ही बड़ी संख्या में पुलिस बल प्रभावित गांवों में पहुंच गया। इस दौरान कई किसानों के घर में घुसकर पुलिस ने बेरहमी से मारपीट की। मिली जानकारी के मुताबिक, इस दौरान पुलिस ने महिलाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ा।

चार थाने की पुलिस पहुंची, 80 दिन से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे  किसान | Mahapanchayat of farmers in Buxar, farmers arrived from Bihar-UP,  Police reached four police stations,

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मारपीट से गुस्साएं ग्रामीणों ने पुलिस की वैन में लगाई आग

इसी से गुस्साएं ग्रामीणों ने बुधवार सुबह लाठी-डंडे लेकर पुलिस और पावर प्लांट पर टूट पड़े। ग्रामीणों ने पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ कर उनमें आग लगा दी। प्लांट के गेट पर भी आगजनी की गई। पुलिस ने हवाई फायरिंग करके भीड़ को खदेड़ने की कोशिश की। दोनों तरफ से बीच-बीच में पत्थरबाजी भी हुई। चार पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। बताया जा रहा है कि ग्रामीण हटने के लिए तैयार नहीं हैं। इसी के चलते भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

क्यों किया जा रहा है किसानों की जमीनों पर अधिग्रहण?

मिली जानकारी के मुताबिक, चौसा क्षेत्र के चौदह गांवों के मौजे के 137.0077 एकड़ जमीन पर रेल कॉरिडोर बनना है। इसके लिए 55.445 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की जाएगी। इसमें कई गांव के मौजे के तहत कुल 309 किसानों की भूमि की अधिसूचना निकाली गई है। जिन गांव की जमीन पर अधिग्रहण है, उनके नाम हैं – बनारपुर, ​​​सलारपुर, महुवारी, हुसैनपुर, कठघरवा, खेमराजपुर, चौसा, न्यायीपुर, धर्मागतपुर, महादेवा, माधोपुर, अखौरीपुर गोला, बघेलवा, बेचनपुरवा और मोहनपुरवा।

कब रखी गई थी थर्मल पावर प्लांट की आधारशीला?

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PM नरेन्द्र मोदी ने 1320 मेगावाट के इस प्लांट की आधारशिला 9 मार्च 2019 को रखी थी। ग्रीन फील्ड सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी वाले इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 11,000 करोड़ रुपए है। इसे केंद्र और हिमाचल प्रदेश सरकार की संयुक्त स्वामित्व वाली SJVN (सतलुज जल विद्युत निगम) बना रही है। बता दें, अभी तक 75% काम पूरा हो गया है। इस प्लांट से 9828 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन होगा। करार के अनुसार संयंत्र से उत्पादित बिजली का 85% बिहार को दिया जाएगा।


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