नई दिल्ली: एक बार फिर एक बच्चा बोरबेल में गिर गया है। बच्चे की उम्र चार वर्ष है। जानकारी के मुताबिक, हापुड़ में नगर पालिका की जगह में 50 फीट गहरा बोर हुआ था। बोर किए जाने के बाद उसका मुंह खुला छोड़ दिया गया था। कई बार मामले की शिकायत अधिकारियों से की गई। लेकिन, अधिकारियों ने इसकी सुध नहीं ली। इस कारण बच्चा खेलते-खेलते बोर के पास पहुंच गया और अचानक उसके अंदर जा गिरा। स्वजन को जैसे ही इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने तुंरत इसकी सूचना पुलिस और जिला प्रशासन को दी। जिसके बाद प्रशासन भी तत्काल हरकत में आ गया। मौके पर स्वास्थ्य विभाग की टीम सहित एसडीआरएफ की टीम बच्चे को रेस्क्यू करने में जुटी हुई।
बोरबेल से बच्चे के रोने की आ रही है आवाज
बच्चे को आवाज लगाने पर वह सुनने में असक्षम है लेकिन, बोरवेल के गड्ढे से उसके रोने की आवाज आ रही है। बच्चे के करीब 50 फीट पर फंसे होने की आशंका जताई जा रही है।
जेसीबी मशीन से नहीं हो पा रही है बोरबेल की खुदाई

प्रशासनिक अमला बोरवेल में गिरे बच्चे को बचाने की कोशिश में लगा हुआ है। जेसीबी मशीन से खुदाई नहीं हो पा रही है। इसलिए पोकलेन मशीन मंगाई गई है।
पिछले महीने ही बोरवेल में गिरने से हुई थी 6 साल की तन्मय की मौत

बता दें, एक महीने पहले मध्यप्रदेश के बैतूल में 6 साल का तन्मय शाम 5 बजे के करीब खेलते-खेलते बोरवेल में गिरा गया था। वह 400 फीट गहरे बोरवेल में 39 फीट पर फंसा गया था। उसे 84 घंटे बाद बोरवेल से बाहर निकाला गया था। SDRF और NDRF की टीम दिन-रात रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी रही। लगभग 45 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया था। इसके बाद 9 फीट लंबी हॉरिजेंटल सुरंग बनाई गई थी। तब जाकर टीम तन्मय के पास पहुंची थी लेकिन दुखद यह रहा था कि 3 दिन और 4 रात तक पत्थर तोड़ने के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका था।
तन्मय के पिता का छलका था दर्द, कहा था…

तन्मय के पिता सुनील साहू ने बोरवेल में गिरने से बेटे की मौत पर कहा था- मेरा बेटा अब नहीं रहा। मुख्यमंत्री से यही कहना चाहता हूं कि कुछ ऐसा करें, जिससे अब किसी के साथ ऐसा न हाे। बेटा 5 जनवरी काे 7 साल का हाेने वाला था। हम दोनों एक-दूसरे के बिना एक घंटे भी नहीं रह पाते थे। यदि मैं किसी काम से भी बाहर जाता ताे वह कॉल कर बार-बार यही कहता, कहां चले गए, जल्दी आ जाओ। खेत पर भी जाता ताे वह वीडियो कॉल कर दिया करता था। मेरे बिना वह कुछ नहीं करता था। न खाना, न पीना न सोना…। मेरा सब कुछ खो गया। मेरा सबसे बड़ा धन ताे मेरा बेटा था। मेरे जीवन में अब कुछ नहीं बचा। जाे भी कुछ कर रहा था, बेटे के लिए ही कर रहा था। खुला बोर छोड़ने से मेरा बेटा अब नहीं रहा। सबसे हाथ जोड़कर यही कहूंगा कि जाे इस प्रकार से खुला बोर छोड़ देते हैं, वो ऐसा नहीं करें।
लेकिन एक पिता की अपने बेटे को खोने के बाद की गई गुजारिश पर किसी ने ध्यान नहीं दिया और एक बार फिर एक बच्चा बोरवेल में गिर गया है।
2019 में बोरवेल में गिरने से हुई थी दो मजदूरों की मौत

मिली जानकारी के मुताबिक, 2019 में नोएडा के सेक्टर 39 में बोरवेल में गिरकर दो मजदूरों की मौत हो गई थी। अक्टूबर 2018 में गुजरात के साबरकांठा जिले में 200 फुट गहरे बोरवेल में गिरने से डेढ़ साल के बच्चे की मौत हो गई थी। नवंबर 2017 में राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के पनियाला गांव में खुले बोरवेल में गिरे बच्चे का शव निकला था। 7 मार्च 2016 को दक्षिण मुंबई स्थित गिरगांव के फणसवाड़ी इलाके में बोरवेल में गिरने से दो मजदूरों की मौत हो गई थी।
बोरवेल में गिरने से हुई इतने लोगों की मौत

13 साल हो गए प्रिंस को बोरवेल से निकले हुए। खुश और स्वस्थ है। उसके पहले भी कई बच्चे और लोग गिरे होंगे, लेकिन बोरवेल में फंसने की कहानी उसके बाद से लोगों की नजरों में आने लगी। प्रिंस के बोरवेल से निकलने के बाद से 2015 तक करीब 16,281 लोगों की जान बोरवेल, गड्ढ़ों और मेनहोल ने ली है। एनसीआरबी की मानें तो 2014 में 953 लोगों की मौत बोरवेल, गड्ढ़ों और मेनहोल में गिरने से हुई। इनमें से 50 की जान बोरवेल में गई। इन 50 लोगों में 8 बच्चे थे, जिनकी उम्र 14 साल से कम है। वहीं, 2015 में बोरवेल, गड्ढ़ों और मेनहोल ने 902 लोगों की जान ली। इनमें से 72 बोरवेल में गिरे थे। इन 72 में से 26 बच्चे थे, जो 14 साल से कम के थे।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करने से हो रही है बोरबेल में गिरने से बच्चों की मौत
2009 में बोरवेल से होने वाली बच्चों की मौत को ध्यान में रखकर सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस जारी की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन नहीं होने से हादसे थम नहीं रहे हैं ये हैं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस…जिनकी हो रही है अनदेखी

1.बोरवेल खोदने से 15 दिन पहले जमीन मालिक को डीसी या सरपंच को सूचना देनी होगी।
2.बोरवेल खोदने वाली कंपनी का रजिस्ट्रेशन जरूरी है। अफसरों की निगरानी में ही खुदाई होगी।
3.बोरवेल खोदते वक्त सूचना बोर्ड लगाना होगा। इस पर मालिक और कंपनी के नाम के साथ एड्रेस लिखना जरूरी होगा।
4.बोरवेल के आसपास कंटीली तारों से घेराव बनाना होगा। चारों तरफ कंक्रीट की दीवार बनानी होगी
5.शहरी इलाकों में गाइडलाइंस के पालन की जिम्मेदारी डीसी और ग्रामीण इलाके में सरपंच या संबंधित विभाग की होगी।
6.बोरवेल या कुएं को ढकने के लिए मजबूत स्टील का ढक्कन लगाना होगा।
7.बोरवेल का काम पूरा होने के बाद आस-पास के गड्ढों को पूरी तरह भरना जरूरी होगा।
borvel mai girne se hui thi 6 saal ki tanmaye ki maut, deshhit news, Hapur Latest News, Hapur mai Chhar saal ka baccha borvel mai gira, Hapur News, Hapur updated news, kin karno se ho rahi Borvel mai girne se baccho or lagao ki maut, Supreme Court
Edit By Deshhit News