EUROPE CLIMATE EMERGENCY: गर्मी की मार से बेहाल यूरोप, 2060 तक बरसेगा हीटवेव का कहर, रेड अलर्ट जारी

20 Jul, 2022
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Europe heatwaves

इस समय यूरोप गर्मी के कहर से बुरी तरह बेहाल है. हालात हद से ज्यादा बिगड़े देख सरकार को इमरजेंसी मीटिंग तक बुलानी पड़ी. ब्रिटेन में पहली बार गर्मी को लेकर रेड अलर्ट जारी किया गया है. UN ने चेतावनी देते हुए कहा की यूरोप में हीटवेव का कहर 2060 तक जारी रहेगा.

नई दिल्ली: अपने खुशनुमा मौसम के लिए मशहूर यूरोप आजकल भयंकर गर्मी से झूझ रहा है. यूरोप का ऐसा कोई हिस्सा नहीं बचा जहाँ हीटवेव का कहर न बरस रहा हो. मंगलवार को इंग्‍लैंड का तापमान 41 डिग्री तक पहुंच गया. इस रिकॉर्ड तोड़ गर्मी में फ्रांस और पुर्तगाल में 700 से अधिक लोगों की जाने लीं हैं. यूरोप के कई देशों में हीट वेव्स के कारण जंगलों में आग लगने की घटनायें लगातार सामने आ रही हैं.संयुक्त राष्ट्र ने यूरोप में बढ़ती भीषण गर्मी पर चेतावनी देते हुए कहा कि फ़िलहाल हीट वेव्स से यूरोप को छुटकारा नहीं मिलने जा रहा है बल्कि 2060 तक इसका कहर बरसेगा.

गर्मी से बेहाल ब्रिटेन

मंगलवार को ब्रिटेन में तापमान 41 डिग्री पहुँच गया. हालात इतने बिगड़ गए कि सरकार को इमरजेंसी मीटिंग रखनी पड़ी और इंग्लैंड में पहली बार रेड अलर्ट जारी किया गया.

बढ़ती हीटवेव से सड़कें और रनवे पिघलने लगे हैं और रेल नेटवर्क भी लड़खड़ाने लगा है. वहां पर फ्लाइट्स को सस्‍पेंड करना पड़ा क्‍योंकि बहुत ज्‍यादा गर्मी की वजह से रनवे का कुछ हिस्‍सा डैमेज हो गया था. और तो और ट्रेनों को भी रद्द कर दिया गया. लंदन में बढ़ती गर्मी के चलते 135 साल पुराने लंदन ब्रिज को सिल्‍वर फॉयल से कवर करना पड़ा है. ब्रिटेन के परिवहन मंत्री ग्रैंट शैप्‍स ने इस पूरी स्थिति पर बेहद चिंता जताई है.

क्यूँ गर्मी ने तोड़े सारे रिकार्ड्स

बता दें, यूरोप में आई साल 2003 की हीट वेव्स ने 70 हज़ार से अधिक लोगों की जान ले ली थी. यूरोप में क्लाइमेट इमरजेंसी की स्थिति फिर सामने आ रही है. मौसम विभाग की तरफ से बताया गया है कि पूर्वी इंग्‍लैंड में कॉनिनगस्‍बे में पहली बार इतना ज्यादा तापमान रेकॉर्ड किया गया है. ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और स्‍टडी के को-ऑथर बेन क्‍लार्क ने बताया कि, ‘पूरी दुनिया में हीटवेव अब और ज्‍यादा भयंकर हो गई है और इसकी वजह सिर्फ क्‍लाइमेट चेंज है.’ एनवॉयरमेंटल रिसर्च: क्‍लाइमेट’ नामक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने बिगड़ते मौसम को क्‍लाइमेट चेंज का कारण बताया है.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार यूरोप में चल रही हीटवेव, विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों में अफ्रीका से आने वाली गर्म हवाओं के कारण हो रही है. WMO के प्रमुख पेटेरी तालस ने जिनेवा में हुए एक सम्मेलन में कहा कि हीट वेव्स अब लगातार बढ़ती नज़र आ रहीं है और यह साल 2060 तक ऐसे ही जारी रहेगा.

गर्मी की क़यामत

रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्पेन और फ्रांस में 748 लोगों की मौत हुई है और इन मौतों के लिए गर्मी को जिम्‍मेदार बताया जा रहा है. उत्‍तरी इटली से लेकर कई हिस्‍सों में सूखे की स्थिति हो गई है.  स्‍पेन के पीएम पेद्रो सांचेज ने इस स्थिति को ग्‍लोबल वॉर्मिंग से जोड़ते हुए कहा है कि अब क्‍लाइमेट चेंज लोगों की जान के लिया खतरा बन गया है. पुर्तगाल में भी सैकड़ों लोग गर्मी की वजह से जान गंवा चुके हैं. सोमवार को नीदरलैंड सबसे गर्म दिन रहा, दक्षिण-पश्चिमी शहर वेस्टडोर्प में 33.6 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया. हीटवेव की वजह से दर्जनों जंगल में आग लग गई है. हीटवेव अब यूरोप के उत्तर की ओर बढ़ रही है. और तो और फ्रांस में पारा रिकॉर्ड 44 डिग्री तक पहुंचने की आशंका जताई है. ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने नेशनल इमरजेंसी भी लागु कर दी है.

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