नई दिल्ली: बीते दिनों रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर पूरे देश में बखेड़ा कर चुके राजद नेता और बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने एक बार फिर राम चरितमानस पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने रामचरितमानस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि रामचरितमानस में जो कूड़ा कचरा है, उसे साफ करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अभी तो कुछ दोहों पर सवाल किया है, अभी दर्जनों दोहे हैं, जिसे बदलने की जरूरत है। मैं रामचरितमानस पर बोलता रहूंगा। मैं चुप होने वाला नही हूं। बता दें, अपने पहले विवादित बयान पर शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला और समाज को बांटने वाला ग्रंथ बताया था। विवादित बयान के बाद बिहार के मुख्यमंत्री ने चंद्रशेखर को बयान वापस लेने के लिए कहा था और बयान के बाद नीतीष कुमार ने खुद को इससे अलग कर लिया था। वहीं, रामचरितमानस पर दिए गए बयान के बाद जदयू विधायक ने उन्हें धर्म परिवर्तन करने और अनाप शनाप बयान न देने की सलाह दी है।
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विवादित बयान के बाद जदयू विधायक ने चंद्रशेखर को धर्म परिवर्तन करने की दी सलाह
जदयू विधायक संजीव कुमार ने कहा कि चंद्रशेखर धर्म के बारे में अनाप शनाप बोलना बंद करें। शिक्षा मंत्री बताएं उनका धर्म क्या है? इतनी परेशानी है, तो तो चंद्रशेखर धर्म परिवर्तन कर लें। इतना ही नहीं संजीव कुमार ने कहा कि अगर चंद्रशेखर में हिम्मत है तो दूसरे धर्म पर बोलकर दिखाएं।
शिक्षा मंत्री के विवादित बयान देने पर अयोध्या के महंत ने जीभ काटने वाले को 10 करोड़ रुपये देने की कही थी बात

बता दें, रामचरितमानस पर शिक्षामंत्री के विवादित बायन के बाद अयोध्या के महंत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने मंत्री को पद से बर्खास्त करने की मांग की थी। इसके साथ ही महंत ने आगे कहा था कि बिहार के शिक्षा मंत्री ने जिस तरह से रामचरितमानस ग्रंथ को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया है। उससे पूरा देश आहत है और जो कोई भी बिहार के शिक्षा मंत्री की जीभ काटेगा, उसे 10 करोड़ रुपये का इनाम दिया जाएगा।
क्या था चंद्रशेखर का पहला विवादित बयान?

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर दिए गए अपने पहले बयान में कहा था कि रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। यह समाज में पिछड़ों, महिलाओं और दलितों को शिक्षा हासिल करने से रोकता है। यह उन्हें बराबरी का हक देने से रोकता है। चंद्रशेखर ने दावा किया था कि बाबा साहब अंबेडकर भी मनुस्मृति के खिलाफ थे। मनुस्मृति के बाद रामचरितमानस ने नफरत के इस दौर को आगे बढ़ाया। इस दौरान चंद्रशेखर ने आगे कहा था कि रामचरितमानस की दूसरी चौपाई ‘पूजहि विप्र सकल गुण हीना, शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा’ सुनाई। इस चौपाई का अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा कि इस चौपाई का मतलब है ब्राह्मण चाहे कितना भी ज्ञान गुण से रहित हो, उसकी पूजा करनी ही चाहिए और शूद्र चाहे कितना भी गुणी ज्ञानी हो वह सम्माननीय हो सकता है लेकिन कभी पूजनीय नहीं हो सकता है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर भले संविधान निर्माता बने हो लेकिन इस ग्रंथ के अनुसार वे पूजनीय नहीं हो सकते हैं। ऐसा ग्रंथ समाज में नफरत ही फैला सकता है।
चंद्रशेखर के बयान के बाद बीजेपी ने जताया था खासा विरोध
बीजेपी प्रवक्ता पूनावाला ने कहा था कि…

बिहार के शिक्षामंत्री के विवादित बयान के बाद बीजेपी प्रवक्ता पूनावाला ने कहा था कि बिहार के शिक्षा मंत्री ने कहा ‘रामचरितमानस’ नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। कुछ दिन पहले जगदानंद सिंह ने राम जन्मभूमि को ‘नफरत की जमीन’ बताया था। यह संयोग नहीं है। यह वोट बैंक का उद्योग है ‘हिंदू आस्था पर करो चोट, ताकि मिले वोट’, सिमी और पीएफआई की पैरवी, हिंदू आस्था पर चोट।” क्या कार्रवाई होगी?
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने विरोध जताते हुए कहा था कि….

पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने चंद्रशेखर को हिंदू विरोधी बताकर उनकी बर्खास्तगी की मांग थी। सुशील मोदी ने इसके लेकर सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा था।
बीजेपी विधायक नीरज कुमार ने कहा था कि…

बीजेपी विधायक नीरज कुमार ने कहा था कि शिक्षा मंत्री के बयान से हिंदू धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। वो धर्म विशेष को खुश करने के लिए अनाप-शना शनाप बयान दे रहे हैं। बीजेपी के बाकी नेता भी इसे लेकर आरजेडी पर हमलावर हैं। पार्टी ने मनुस्मृति और बंच ऑफ थॉट्स को किनारे कर रामचरितमानस पर टिप्पणी को बहस का मुद्दा बना दिया है।
कांग्रेस ने भी जताया था विरोध

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव के रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान पर एफआईआर दर्ज करने के लिए उत्तर प्रदेश के डीजीपी को प्रार्थना पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने मंत्री पर रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था।
Edit By Deshhit News